Red Tajmahal: क्या आपने देखा है आगरा में लाल ताजमहल, मकबरे को अकबर ने दी थी जमीन, दिलचस्प है किस्सा
Red Tajmahal ताजमहल को शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज की याद में तामीर कराया था। वहीं आगरा में भगवान टाकीज चौराहा के पास है रोमन कैथोलिक सिमिट्री में डच जान हैसिंग का मकबरा पत्नी से किया था वादा ताजमहल जैसा मकबरा बनवाने के लिए।
आगरा, जागरण टीम। सफेद संगमरमरी हुस्न की बेहद खूबसूरत इमारत ताजमहल को मुमताज की याद में शहंशाह शाहजहां ने बनवाया था। करीब पौने चार सौ पहले बनी ये ऐतिहासिक इमारत आज देश विदेश के लोगों के लिए एक बेहद दर्शनीय स्थल है। आगरा में एक लाल ताजमहल भी है, जो किसी की याद में बनवाया गया था। जी हां आज हम बात कर रहे हैं डच जान हैसिंग के मकबरे की। हालांकि ये सफेद संगमरमर का नहीं है लेकिन मुहब्बत की निशानी के तौर पर ही इसका निर्माण हुआ था। इस लेख के जरिए पढ़िए इस स्मारक का दिलचस्प इतिहास...
ताजमहल के साए में हजारों जोड़े एक साथ जीने-मरने की कसमें खाते हैं, लेकिन जान हैसिंग और उनकी पत्नी एलिस ताजमहल देखने के बाद इस कदर दीवाने हो गए कि उन्होंने एक-दूसरे से वादा लिया कि वो भी एक ताजमहल बनवाएंगे। उन्होंने आगरा में लाल ताजमहल बनवा दिया।
संरक्षित है लाल ताजमहल
आगरा के मुख्य भगवान टाकीज चौराहे के पास रोमन कैथाेलिक सिमिट्री में डच जान हैसिंग का मकबरा बना है। रेड सैंड स्टोन से बना ये मकबरा हूबहू ताजमहल की तरह नजर आता है। इसके भी चारों किनारों पर मीनारें और मकबरे पर गुंबद बना हुआ है। ताजमहल के समान इसमें भी भूमिगत कक्ष हैं। हालांकि यह ताजमहल जितना बड़ा तो नहीं है। लेकिन, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने इस मकबरे को संरक्षित किया है। यहां पर कोई प्रवेश शुल्क लागू नहीं है। शहर की व्यस्त जगह पर होने के बावजूद पर्यटक नहीं आते हैं, बाहर से ही इसे देखकर लौट जाते हैं।
इतिहास में मिलता है इसका जिक्र
इतिहासविद राजकिशोर राजे ने अपनी पुस्तक 'तवारीख-ए-आगरा' में लिखा है कि यह मकबरा डच जान विलियम हैसिंग का है। वो 1784 में महादजी सिंधिया की सेना में शामिल हुआ था। आगरा जब दौलतराव सिंधिया के अधीन था, तब उसने वर्ष 1799 में हैसिंग को यहां तैनात किया था।
मकबरा बनाने के पीछे है एक दिलचस्प किस्सा
जान और उसकी पत्नी एलिस ताजमहल की खूबसूरती से काफी प्रभावित हुए थे। दोनों ने एक-दूसरे से वादा किया था कि उनमें से जो भी पहले मरेगा, दूसरे ताजमहल की तरह उसका भी मकबरा बनवाएगा। वर्ष 1803 में हैसिंग की मौत हो गई, इसके बाद एलिस ने अपने बेटों की मदद से हैसिंग का मकबरा आगरा में बनवाया। रोमन कैथोलिक सिमिट्री जिस जगह पर स्थित है, उस जगह को अकबर ने रोमन कैथोलिक मिशन को दिया था। इसमें कई देशों के नागरिकों की कब्रें हैं। इनमें सबसे पुराना मकबरा जहांगीर के समय में वर्ष 1611 में दफन किए गए मोर्टिनेल्स का है।
और भी कई कब्रें हैं यहां
हैसिंग के मकबरे की उत्तरी दिशा में जनरल पेरन का मकबरा पिरामिड के डिजाइन में बना हुआ है। वाल्टर रीनहार्ड जिसे समरू के नाम से जाना जाता है, उसका मकबरा भी यहां है। वो सरधना की बेगम समरू का पति था। महान यात्री थिएफन थालर, कलाकार आस्टिन डे भी यहां दफन हैं। यहां कब्रों पर फारसी, अंग्रेजी और पुर्तगाली भाषा में लिखे हुए लेख हैं। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए यहां टिकट दर नहीं है लेकिन काफी कम सैलानी ही यहां पहुंचते हैं।