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Road Safety: दीजिए महंगा टोल, अगर हादसा हो जाए तो तड़पते रहिए, हाईवे पर नहीं मिलेगी एंबुलेंस

Road Safety इंडियन रोड कांग्रेस की गाइडलाइंस के मुताबिक शहरी क्षेत्र में अनिवार्य रूप से तैनात होनी चाहिए एंबुलेंस। आपातकालीन सेवाओं के नंबर के जगह-जगह नहीं लगे हैं बोर्ड। आधा किमी की दूरी पर आपातकालीन नंबरों के संकेतक बोर्ड लगे होने चाहिए।

By amit dixitEdited By: Prateek GuptaUpdated: Sat, 19 Nov 2022 07:59 AM (IST)
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Road Safety: हाईवे पर हादसे का शिकार बस, ग्रामीण ही मददगार बने, सरकारी एंबुलेंस पहुंची ही नहीं।
आगरा, जागरण संवाददाता। पांच जुलाई 2022। आगरा ग्वालियर हाईवे पर स्थित बाद गांव के पास दुर्घटना में देवरी रोड निवासी श्याम चंद, शिव कुमार घायल हो गए। श्याम और शिव बाइक से रिश्तेदारी में जा रहे थे। ट्रक चालक भाग गया। क्षेत्रीय लोग जुट गए। क्षेत्रीय निवासी राम स्वरूप ने बताया कि 35 मिनट तक दोनों घायल पड़े रहे। हाईवे की एंबुलेंस नहीं पहुंची। एक कार सवार की मदद से घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया।

- 10 अगस्त 2022। दिल्ली-आगरा नेशनल हाईवे स्थित आइएसबीटी के सामने साइकिल सवार विक्रम कुमार को निजी बस ने टक्कर मार दी। दुकानदार सरोज गुप्ता ने बताया कि विक्रम की मदद के लिए कई लोग आ गए। एनएचएआइ के आपातकालीन नंबर पर फोन किया गया। बीस मिनट के इंतजार के बाद भी एंबुलेंस नहीं पहुंची। एक आटो में बिठाकर विक्रम को निजी अस्पताल ले जाया गया।

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हर 50 किमी पर होनी चाहिए एंबुलेंस

नेशनल हाईवे पर दुर्घटना के बाद एंबुलेंस तैनात न होने के यह तो दो ही उदाहरण हैं। कुछ यही हाल हाथरस हाईवे, जलेसर हाईवे, जयपुर हाईवे का भी है। इंडियन रोड कांग्रेस की गाइड लाइन के अनुसार 50 किमी की दूरी पर एक एंबुलेंस होनी चाहिए। शहरी क्षेत्र में अनिवार्य रूप से एंबुलेंस तैनात होनी चाहिए जिससे अगर कोई दुर्घटना होती है तो गोल्डन आवर में उपचार मिल सके। इससे घायलों की जान बचाई जा सकती है।

सेवानिवृत्त इंजीनियर एसपी सिंह का कहना है कि शहरी क्षेत्र में आधा किमी की दूरी पर आपातकालीन नंबरों के संकेतक बोर्ड लगे होने चाहिए। इससे आसानी से मदद मिल सकेगी लेकिन नेशनल हाईवे के अधिकांश स्थलों में बोर्ड नहीं लगाए गए हैं। जिले में 71 ब्लैक स्पाट हैं। इन स्पाट के 200 मीटर के दायरे में आपातकालीन नंबरों के बोर्ड नहीं लगे हैं। इसी के चलते लोग अपने स्तर से घायलों की मदद करते हैं।

निजी अस्पताल ही हैं सहारा

शहर के किसी भी नेशनल हाईवे के किनारे भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की ओर घायलों को प्राथमिक उपचार देने की व्यवस्था नहीं की गई है। सिर्फ निजी अस्पताल ही सहारा हैं। सेवानिवृत्त इंजीनियर बीके चौहान ने बताया कि हाईवे के किनारे संकेतक बोर्ड में एसएन अस्पताल, जिला अस्पताल या फिर अन्य नजदीकी अस्पताल का नंबर भी अंकित होना चाहिए। 

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