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आगरा में टला बड़ा हादसा, प्राथमिक स्कूल की जर्जर छत भरभराकर गिरी; बारिश के चलते बंद था विद्यालय

आगरा के खेरागढ़ में बड़ा हादसा होते- होते टल गया है। लगातार हो रही बारिश के चलते 14 साल पहले बने प्राथमिक विद्यालय की जर्जर छत अचानक भरभराकर गिर गई। गनीमत रहा कि हादसे के दौरान विद्यालय में शिक्षक व विद्यार्थी उपस्थित नहीं थे। ऐसा होने पर बड़ा हादसा हो सकता था। 14 वर्ष पहले बनी बिल्डिंग मानक विरुद्ध निर्माण के चलते जर्जर हो गया।

By Jagran NewsEdited By: Pragati ChandUpdated: Fri, 04 Aug 2023 12:21 PM (IST)
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खेरागढ़ में जर्जर प्राथमिक विद्यालय की छत गिरी। -जागरण
आगरा, जागरण संवाददाता। आगरा के खेरागढ़ में शुक्रवार को बड़ा हादसा होते- होते बच गया। लगातार हो रही बारिश से क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय बसैया की छत सुबह भरभरा कर गिर गई। तेज आवाज के साथ छत गिरने से क्षेत्र में अफरा-तफरी मच गई। गनीमत रही कि हादसे के समय विद्यालय में विद्यार्थी और शिक्षक उपस्थित नहीं थे, नहीं तो स्थिति विकराल हो सकती थी।

छत गिरने की तेज आवाज सुन भागे लोग

छत गिरने की आवाज सुनकर ग्रामीण विद्यालय की ओर भागे। पहुंचकर देखा कि छत के लेंटर का जर्जर एक हिस्सा नीचे आ गया है, इसके बाद उन्होंने वहां से सुरक्षित बचे सामान को हटाना प्रारंभ किया। सूचना पाकर इंचार्ज प्रधानाध्यापक अजीत सिंह भी पहुंच गए। उन्होंने बताय कि विद्यालय का भवन करीब 14 वर्ष पूर्व बना था, लेकिन शुरुआत के ही कुछ वर्ष बाद इसकी छत टपकने लगी थी। धीर-धीरे छत का प्लास्टर भी झड़ने लगा। बारिश में कक्षाओं में बैठना मुश्किल हो जाता था। इसकी शिकायत कई बार की गई, लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई। कायाकल्प में भी मरम्मत आदि की कोई व्यवस्था नहीं हुई।

निर्माण कार्य पर उठ रहे प्रश्न

विद्यालय की बिल्डिंग को बने अभी सिर्फ 14 वर्ष ही हुए थे, लेकिन जिस तरह से इसका लेंटर नीचे आ गया, यह मानकों की अनदेखी की ओर सीधा इशारा कर रहा है। शिकायत के बाद भी अधिकारियों का कार्रवाई तो दूर मामले को संज्ञान तक न लेना भी विभागीय सांठगांठ की ओर इशारा कर रहा है। फिलहाल हकीकत जांच के बाद ही सामने आएगी।

गनीमत रही बंद था विद्यालय

विद्यालय की छात्र संख्या 43 हैं, अधिकांश नियमित रूप से विद्यालय आते हैं। विद्यालय में दो कमरे, एक कार्यालय कक्ष, रसोई सहित बरामदा बना हुआ है, जो जर्जर स्थिति में हैं। गनीमत रही कि बारिश के कारण हादसे की स्थिति को देखते हुए विद्यालय की छुट्टी कर दी गई थी। यदि हादसे के समय विद्यालय में बच्चे होते, तो गंभीर हादसा हो सकता था।

पहले भी हुए हादसे, जांच तक सिमटी कहानी

यह पहला मामला नहीं है, जब कमीशनखोरी और विभागीय सांठगांठ के कारण विद्यालय भवन इतनी जर्जर स्थिति में पहुंची हो। अब भी जिले में ऐसे तमाम विद्यालय हैं। पिछले वर्ष भी एत्मादपुर क्षेत्र में विद्यार्थियों के सामने ही एक विद्यालय की छत नीचे आ गई थी, मामले में एक शिक्षक को निलंबित कर मामले में इतिश्री कर दी गई, जबकि इसमें खंड शिक्षाधिकारी से लेकर जिला बेसिक शिक्षाधिकारी तक की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए थी। मामले की सूचना पर घंटों बाद शिक्षाधिकारी पहुंचे और कार्रवाई के नाम पर जांच का आश्वासन दे दिया।

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