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सच के साथी-सीनियर्स : विश्‍वास न्‍यूज के फैक्‍ट चेकर्स ने दिया आगरा में ऑनलाइन फैक्ट चेकिंग का प्रशिक्षण

इंटरनेट मीडिया पर मिस-इन्फॉर्मेशन की बढ़ती समस्या और उससे बचाव के तरीकों को लेकर शुक्रवार को आगरा के लिए एक वेबिनार का आयोजन किया गया। जागरण न्‍यू मीडिया की फैक्‍ट चेकिंग विंग विश्‍वास न्‍यूज के मीडिया साक्षरता अभियान सच के साथी-सीनियर्स के तहत सीनियर एडिटर उर्वशी कपूर और एसोसिएट एडिटर आशीष महर्षि प्रतिभागियों से रूबरू हुए। इस वेबिनार में डिजिटल सुरक्षा जैसे मुद्दों के बारे में जागरूक किया गया।

By Jagran News Edited By: Nitesh Srivastava Updated: Fri, 22 Dec 2023 06:25 PM (IST)
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ऑनलाइन फैक्ट चेकिंग का प्रशिक्षण देते हुए विश्वास न्यूज के फैक्ट चेकर्स
 डिजिटल डेस्क, आगरा। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार, देश में आर्थिक धोखाधड़ी के मामले हर साल बढ़ते ही जा रहे हैं। यदि आर्थिक धोखाधड़ी से खुद को बचाना है तो जागरूकता बहुत जरूरी है। यह कहना है विश्‍वास न्‍यूज की सीनियर एडिटर उर्वशी कपूर का। वे शुक्रवार को आगरा के लिए आयोजित एक खास ऑनलाइन कार्यक्रम में बोल रही थीं।

इंटरनेट मीडिया पर मिस-इन्फॉर्मेशन की बढ़ती समस्या और उससे बचाव के तरीकों को लेकर शुक्रवार को आगरा के लिए एक वेबिनार का आयोजन किया गया। जागरण न्‍यू मीडिया की फैक्‍ट चेकिंग विंग विश्‍वास न्‍यूज के मीडिया साक्षरता अभियान 'सच के साथी-सीनियर्स' के तहत सीनियर एडिटर उर्वशी कपूर और एसोसिएट एडिटर आशीष महर्षि प्रतिभागियों से रूबरू हुए। इस वेबिनार में फेक न्यूज, डीप फेक के साथ डिजिटल सुरक्षा जैसे मुद्दों के बारे में जागरूक किया गया।

कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए उर्वशी कपूर ने विस्‍तार से विश्‍वास न्‍यूज और उसके अभियान के बारे में बताया। साथ में उन्‍होंने कहा कि फेक न्‍यूज के इस युग में मीडिया साक्षरता अभियान की भूमिका काफी अहम हो जाती है। आजकल मशीन लर्निंग की एक विधा डीप लर्निंग की मदद से डीप फेक वीडियो या फोटो को तैयार किया जाता है। अभी एआई उतना परिष्कृत नहीं है कि शत-प्रतिशत सटीकता से फेक वीडियो या इमेज तैयार कर सके, इसलिए थोड़ी अतिरिक्त सावधानी और अवलोकन की मदद से ऐसे वीडियो या तस्वीरों को आसानी से पहचाना जा सकता है।

आशीष महर्षि ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए फेक न्यूज व उसके दुष्प्रभाव, उसे पहचानने के तरीकों व फैक्ट चेक की बुनियादी जानकारी से रूबरू कराया। उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर वायरल किसी खबर को शेयर करने से पहले उसके तथ्यों और स्रोत की जांच करना बेहद जरूरी है। इसके साथ ही उन्होंने डीप फेक की बढ़ती समस्या, इसके दुष्प्रभाव और ऐसे वीडियो व फोटो को पहचानने के बुनियादी तरीकों के बारे में जानकारी दी।

उन्‍होंने फैक्ट चेक टूल्स, डिजिटल सेफ्टी और वोटर जागरूकता जैसे अहम मुद्दों पर भी लोगों को जानकारी दी। प्रतिभागियों को डिजिटल सुरक्षा के प्रति जागरूक करते हुए उन्होंने कहा कि किसी भी संदिग्ध लिंक पर क्लिक करने से बचना डिजिटल सुरक्षा की पहली कड़ी है। ऐसे किसी भी लिंक पर क्लिक करने से हमें कई तरह के नुकसान हो सकते हैं, जिसमें वित्तीय नुकसान भी शामिल है।

कार्यक्रम के दौरान डिजिटल सुराक्षा के तहत वित्तीय धोखाधड़ी, बैंकिंग फ्रॉड समेत अन्य डिजिटल तरीकों से होने वाले फ्रॉड से बचाव और सुरक्षात्मक उपायों के बारे में जानकारी दी गई।

कार्यक्रम में कॉलेज ऑफ फार्मेसी आगरा, जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट ) और डा भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा के के. एम. आई. स्थित पत्रकारिता व जनसंचार विभाग और हिंदी विभाग के विद्यार्थियों ने भाग लिया।

अभिय़ान के बारे में

'सच के साथी सीनियर्स' भारत में तेजी से बढ़ रही फेक और भ्रामक सूचनाओं के मुद्दे को संबोधित करने वाला मीडिया साक्षरता अभियान है। कार्यक्रम का उद्देश्य 15 राज्यों के 50 शहरों में सेमिनार और वेबिनार की श्रृंखला के माध्यम से स्रोतों का विश्लेषण करने, विश्वसनीय और अविश्वसनीय जानकारी के बीच अंतर करते हुए वरिष्ठ नागरिकों को तार्किक निर्णय लेने में मदद करना है। गूगल न्यूज इनिशिएटिव (जीएनआई) की सहायता से संचालित उक्त कार्यक्रम का अकादमिक भागीदार माइका (मुद्रा इंस्टीट्यूट ऑफ कम्युनिकेशंस, अहमदाबाद) है।

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