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Sawan 2022: एक शिव मंदिर ऐसा, जहां शिवलिंग का रंग काला और नंदी पर सवार हैं भोलेनाथ

Sawan 2022 भगवान शिव के रूप अनेक हैं। अलग अलग जगहाें पर शिवलिंग अलग प्रकार के हैं। आगरा में 10वीं शताब्दी में बनाए गए नीलकंठ महादेव मंदिर है। यहां मिट्टी की टीले की खुदाई करने पर शिवलिंग निकले शिवलिंग काले रंग के हैं और नंदी पर सवार हैं।

By Prateek GuptaEdited By: Updated: Sat, 23 Jul 2022 08:26 AM (IST)
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10वीं शताब्दी का नीलकंठ महादेव मंदिर, यहां काले रंग के शिवलिंग मिट्टी के टीले के नीचे से निकले थे।
आगरा, अजय दुबे। भगवान शिव के रूप अनेक हैं। अमरनाथ में बाबा बर्फानी हैं तो उज्जैन में महाकाल। आगरा एक मंदिर में भी भगवान शिव का अलग ही रूप है। यहां सिटी स्टेशन रोड पर बने नीलकंठ महादेव मंदिर 10 वीं शताब्दी का है। यहां पहले मिट्टी के टीले हुआ करते थे। खुदाई करने पर शिवलिंग निकले, शिवलिंग काले रंग के हैं और नंदी पर सवार हैं।

सिंहासन भी है। इसके साथ ही जलहरी और सर्प हैं। शिवलिंग जमीन से निकली है, इसलिए शिवलिंग की गहराई का कोई पता नहीं है। शिवलिंग कसौटी पत्थर के हैं। इस तरह के शिवलिंग कालिंजर दुर्ग में हैं, ऐसा कहा जाता है कि भगवान शिव ने सागर मंथन से निकलने विष को पीने के बाद तपस्या की थी, इसलिए शिवलिंग का रंग काला है। इस तरह के शिवलिंग बहुत कम है। शिवलिंग पर जलाभिषेक के साथ ही शृंगार किया जाता है।

मंदिर परिसर में सावन और शिवरात्रि पर की जाने वाली सजावट के बाद दृश्य ही अलग होता है। 

शिवरात्रि पर सजते हैं सांप

इस मंदिर में काफी लंबे समय से शिवरात्रि पर सांप सजाए जाते हैं। इस दिन सपेरे यहां पहुंचते हैं और वे शिवलिंग के अलावा मंदिर परिसर में सांपाें को सजाते हैं। शिवलिंग पर बैठे जीवित नाग को दूध अर्पित किया जाता है।

श्रंगार से शनि दोष हो जाता है दूर

नीलकंठ महादेव मंदिर में दर्शन करने से शनि का दोष दूर हो जाता है। मंदिर के मुख्य द्वार पर गणेश जी और रिद्धि सिद्ध हैं। मंदिर में 47 देवी देवताएं हैं। दर्शन करने के लिए बहुत दूर से भक्त आते हैं। यहां हर मनोकामना पूरी होती है। सावन के सोमवार पर फूल बंगला सजाया जाता है। मंगला आरती और शयन आरती में बड़ी संख्या में भक्त शामिल होते हैं, अदभुत श्रंगार किया जाता है।

मंदिर में हमारी 14 वीं पीढ़ी है, शिवलिंग नंदी पर सवार हैं। काले रंग के शिवलिंग देखने को नहीं मिलते हैं। भोलेनाथ भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं, मंदिर में अनगिनत घंटे हैं। सावन के महीने में भव्य आयोजन किया जाता है।

जगदीश पुरी, महंत नीलकंठ महादेव मंदिर

कई सालों से मंदिर में दर्शन करने के लिए आ रहे हैं। इस तरह के शिवलिंग देखने को नहीं मिले, जो भी मांगों, वह पूरा हो जाता है।

नितिन राठौर, कमला नगर 

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