Sawan 2023: आगरा में शिव की विशेष कृपा, चार काेने पर लगते हैं सोमवार के मेले, अंग्रेज अफसर का आदेश आज भी लागू
Sawan 2023 श्रावण मास चार से शिव मंदिरों पर आस्था का उमड़ेगा ज्वार। आगरा में सावन के हर सोमवार को मेले का आयोजन होता है। शिव मंदिरों में लाखाें शिवभक्त पूजा अर्चना के लिए पहुंचते हैं। आस्था का मेला पूरे सावन रहता है। हर शिव मंदिर की विशेष मान्यता है। कैलाश मंदिर पर लगने वाले मेले के लिए सोमवार को अवकाश घाेषित रहता है।
आगरा, डिजिटल टीम। सावन (श्रावण) का पवित्र महीना चार जुलाई से प्रारंभ हो रहा है। इस वर्ष श्रावण मास के मध्य में पुरुषोत्तम मास पड़ने से यह 60 दिन तक चलेगा। आगरा के लिए सावन का यह महीने बेहद विशेष है क्योंकि इससे जुड़ी एक ऐसी परंपरा है, जिससे प्रत्येक शहरवासी कहीं न कहीं जु़ड़ा है। इस विशेष मान्यता के अंतर्गत सावन के पहले सोमवार के साथ ही शहर के चारों कोनों पर स्थित शिवालयों पर भव्य मेले लगना प्रारंभ हो जाते हैं और आस्था का सावन हिलोरे मारने लगता है।
हर सोमवार लगता है मेला
प्रथम सोमवार को राजपुर चुंगी स्थित राजेश्वर महादेव मंदिर पर, द्वितीय सोमवार पर बल्केश्वर स्थित बल्केश्वर महादेव मंदिर पर, तृतीय सोमवार पर सिकंदरा स्थित कैलाश महादेव मंदिर पर और चतुर्थ सोमवार को शाहगंज स्थित पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर पर भव्य मेला लगाया जाता है। इसके साथ शहर के मध्य में स्थित रावली और श्रीमन:कामेश्वर महादेव मंदिर पर भी सावन के प्रत्येक सोमवार को आस्था का ज्वार उमड़ता है।
मंदिरों की है विशेष मान्यता
राजपुर चुंगी स्थित राजेश्वर महादेव मंदिर की अपनी अलग विशेषता है। यहां शिवलिंग दिन में तीन बार रंग बदलता है। वहीं बल्केश्वर महादेव मंदिर की भी विशेष मान्यता है। सिकंदरा स्थित कैलाश मंदिर में एक ही जलहरि में एक साथ दो शिवलिंग स्थापित हैं, जो अपने आप में दुर्लभ हैं। वहीं पृथ्वीनाथ महादेव मंदिर में स्थापित शिवलिंग को पृथ्वीराज चौहान के खोजा था, जिनके नाम पर ही इनका नाम पृथ्वीनाथ महादेव पड़ा। यहां एक ही पत्थर से बने शिवलिंग पर भगवान शिव का पूरा परिवार विराजमान है।
श्मशान में स्थापित किया शिवलिंग
रावतपाडा स्थित श्रीमन:कामेश्वर मंदिर की पौराणिक मान्यता है कि यहां पहले श्मशान था, भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन करने जाने के दौरान भगवान शिव ने यहां रात्रि विश्राम करने के बाद इस शिवलिंग की स्थापना स्वयं की थी। वहीं रावली महादेव मंदिर को लेकर मान्यता है कि इस रेल पटरी बिछाने के लिए अंग्रेजों ने शिवलिंग को हटाने का काफी प्रयास किया, लेकिन अगली सुबह पटरियां टेढ़ी पड़ जाती थी। इसके बाद मंदिर को बचाते हुए एस आकार में पटरियों को यहां से गुजारा गया।
शहर में लगती है परिक्रमा
द्वितीय सोमवार की पूर्व रात्रि पर शहर की परिक्रमा लगाई जाती है, जिसमें लाखों श्रद्धालु रातभर नंगे पैर चलकर शहर के चारों कोनों पर स्थित शिवालयों का जलाभिषेक कर पुण्य-लाभ कमाते हैं। करीब 42 किमी की इस परिक्रमा के मार्ग में जगह-जगह पर भंडारों का आयोजन किया जाता है। पूरे शहर रात से ही शिवमय होना प्रारंभ हो जाता है।
स्थानीय अवकाश भी रहता है
सावन के तृतीय सोमवार को सिकंदरा स्थित प्राचीन कैलाश मंदिर पर मेला लगता है। इस दिन के लिए स्थानीय स्तर पर प्रशासनिक अवकाश घोषित है, जो आगरा के गजट में शामिल हैं, जिसकी शुरुआत अंग्रेज अधिकारी ने अपनी पत्नी के मंदिर में मिलने पर की थी, जो जंगल में शिकार करने के दौरान खो गई थीं।