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Shani Pradosh 2022: शनि प्रदोष के साथ इस बार चातुर्मास समापन का है संयोग, कल से शुरू होंगे मांगलिक कार्य

Shani Pradosh 2022 कार्तिक माह का दूसरा प्रदोष व्रत है कल शनिवार को। पहला प्रदोष व्रत भी था शनि प्रदोष। भाेलेनाथ और मां पार्वती की पूजा सेवा से मिलता है संतान सुख भी। शाम के समय की जाती है प्रदोष काल की पूजा। कल ही होगा चातुर्मास का समापन।

By Tanu GuptaEdited By: Updated: Fri, 04 Nov 2022 02:51 PM (IST)
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कार्तिक मास का अंतिम प्रदोष व्रत है कल।
आगरा, तनु गुप्ता। सनातन धर्म में सबसे पवित्र माह माने जाने वाले कार्तिक मास का समापन बिल्कुल करीब आ चुका है। इस माह का प्रत्येक दिन अपने आप में विशेष होता है। इसी तरह विशेष है अब कल यानी 5 नवंबर का दिन। धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी के अनुसार ​​​​​कार्तिक शुक्ल पक्ष शनि प्रदोष व्रत Shani Pradosh पांच नवंबर को होगा। इसी दिन चातुर्मास समापन के साथ भगवान शिव पुनः विष्णु भगवान को सृष्टि के पालन का कार्यभार देंगे। इसके साथ ही शादियों के मुहूर्त शुरू हो जाएंगे।

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क्या है प्रदोष व्रत

हर माह में दो बार त्रयोदशी तिथि पड़ती है। एक तिथि शुक्ल पक्ष में और दूसरी कृष्ण पक्ष में होती है। दोनों ही त्रयोदशी तिथि भगवान भोलेनाथ को समर्पित हैं। त्रयोदशी तिथि के दिन ही प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस दिन प्रदोष काल में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना की जाती है। सप्ताह के जिस दिन त्रयोदशी तिथि होती है, उसी के आधार पर प्रदोष व्रत का नाम भी पड़ता है। इस समय कार्तिक माह चल रहा है और इस माह का प्रदोष व्रत पांच नवंबर शनिवार को रखा जाएगा। शनिवार के दिन होने की वजह से इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाएगा। शनि प्रदोष व्रत करने से शिव जी के साथ शनिदेव भी प्रसन्न होते हैं। कहा जाता है कि शनि प्रदोष व्रत पुत्र प्राप्ति की कामना से भी किया जाता है।

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कार्तिक मास का पहला प्रदोष भी था शनि प्रदोष

कार्तिक मास का दूसरा शनि प्रदोष व्रत 5 नवंबर शनिवार को रखा जाएगा। ये बेहद खास संयोग है कि इस माह का पहला प्रदोष व्रत भी शनिवार के ही दिन था। इस माह का पहला प्रदोष व्रत 22 अक्टूबर दिन शनिवार को था और दूसरा प्रदोष व्रत भी शनिवार के दिन है। इस दिन प्रदोष काल में शिव पूजन से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही व्यक्ति के जीवन से शनि दोष दूर होता है।

शनि  प्रदोष पूजन मुहूर्त

पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत पांच नवंबर शाम 5: 06 बजे से हो रही है। इसका समापन 06 नवंबर रविवार को शाम 04: 28 बजे पर होगा। वहीं शनि प्रदोष की पूजा का शुभ मुहूर्त पांच नवंबर को शाम 05: 41 से रात 08: 17 बजे तक है।

इस तरह करें शनि प्रदोष पूजा

शनि प्रदोष व्रत वाले दिन पूजा के लिए प्रदोष काल यानी शाम का समय शुभ माना जाता है। सूर्यास्त से एक घंटे पहले स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। संध्या के समय दोाबारा स्नान के बाद शुभ मुहूर्त में पूजन आरंभ करें। गाय के दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल आदि से शिवलिंग का अभिषेक करें। फिर शिवलिंग पर श्वेत चंदन लगाकर बेलपत्र, मदार, पुष्प, भांग आदि अर्पित करें। इसके बाद विधि पूर्वक पूजन और आरती करें।

धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी

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