Sharad Purnima 2022: आज है शरद के पूर्ण चांद की रात, जरूर बनाएं खीर और करें ये विशेष उपाय भी
Sharad Purnima 2022 आज रात दस से 12 बजे के मध्य जरूर करें चंद्र दर्शन। चावल और दूध- चीनी से बनी खीर को रखें चार घंटे तक चंद्रमा की चांदनी में। भगवान श्रीकृष्ण का महारास और भगवान शिव का पार्वती संग आज की रात हुआ था नटराज नृत्य।
आगरा, तनु गुप्ता। आज शरद पूर्णिमा Sharad Purnima 2022 की विशेष रात है। भगवान श्रीकृष्ण को अति प्रिय इस रात को महारास की रात्रि भी कहा जाता है। धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी के अनुसार सनातन धर्म में यूं तो हर पूर्णिमा को पूजनीय माना गया है लेकिन शरद पूर्णिमा की रात अपना विशेष स्थान रखती है। आज ही रात चंद्रमा की चांदनी में विशेष औषधिये गुणों की प्रचुरता होती है। इसलिए चावल की खीर बनाकर चंद्रमा की रोशनी में रखी जाती है। जितनी अधिक देर तक खीर चांदनी में रहेगी उतने ही उमें अमृत्व के गुणों का वास होगा।
क्या कहती हैं शरद पूर्णिमा के लिए धार्मिक मान्यताएं
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा Sharad Purnima वर्षा ऋतु की गगन मलिनता की समाप्ति की प्रतीक है। सभी देवियों ने आश्विन शुक्ल पक्ष में दैत्यों का संहार करके शरद पूर्णिमा की निशा में भगवान शंकर के साथ कैलाश पर्वत पर दिव्य नृत्य किया था। इसी दिव्य नृत्य में भगवान शिव नटराज स्वरूप में नाचे थे। भगवान श्रीराम ने भी शरद पूर्णिमा की निर्मल चंद्रता युक्त परिपूर्ण रात्रि में शरदोत्सव मनाया था। इसी शरद पूर्णिमाा की निशा में परब्रह्म परमात्मा भगवान श्री कृष्ण ने योगी स्वरूप में अपनी गोपियों के साथ अखंड मंडल रास किया था। इस महारास में श्री कृष्ण वांसुरी की ध्वनि पर भगवान शिव ने चंद्रसखी के स्वरूप में नृत्य किया था। शरद पूर्णिमा के दिन सनातन धर्मावलंबी स्त्रियां अपने पति एवं परिवार की कामना पूर्ति के लिए भगवान को लड्डुओं और खीर का भाेग लगाती हैं।
शरद पूर्णिमा पर खीर का महत्व
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार चन्द्रमा को मन और औषधि का देवता माना जाता है। शरद पूर्णिमा की रात को चांद अपनी 16 कलाओं से परिपूर्ण होकर पृथ्वी पर अमृत की वर्षा करता है। इस दिन चांदनी रात में दूध से बने उत्पाद का चांदी के पात्र में सेवन करना चाहिए। चांदी में प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है इससे विषाणु दूर रहते हैं। शरद पूर्णिमा की शीतल चांदनी में खीर रखने का विधान है। खीर में मौजूद सभी सामग्री जैसे दूध, चीनी और चावल के कारक भी चन्द्रमा ही है। अतः इनमें चन्द्रमा का प्रभाव सर्वाधिक रहता है। शरद पूर्णिमा के दिन खुले आसमान के नीचे खीर पर जब चन्द्रमा की किरणें पड़ती है तो यही खीर अमृत तुल्य हो जाती है जिसको प्रसाद रूप में ग्रहण करने से व्यक्ति वर्ष भर निरोग रहता है। प्राकृतिक चिकित्सालयों में तो इस खीर का सेवन कुछ औषधियां मिलाकर दमा के रोगियों को भी कराया जाता है। यह खीर पित्तशामक, शीतल, सात्विक होने के साथ वर्ष भर प्रसन्नता और आरोग्यता में सहायक सिद्ध होती है। इससे चित्त को शांति मिलती है।
शरद पूर्णिमा की रात करें ये उपाय
- शरद पूर्णिमा पर रात भर जागते हुए मां लक्ष्मी की आराधना करनी चाहिए।
- व्यक्ति को शरद पूर्णिमा की रात को कम से कम कुछ घंटों के लिए चंद्रमा की शीतल चांदनी में बैठना चाहिए।
- इस दिन बनने वाला वातावरण दमा के रोगियों के लिए विशेषकर लाभकारी माना गया है।
- शास्त्रों के अनुसार लंकाधिपति रावण शरद पूर्णिमा की रात किरणों को दर्पण के माध्यम से अपनी नाभि पर ग्रहण करता था। मान्यता है कि इस प्रक्रिया से उसे पुनर्योवन शक्ति प्राप्त होती थी।
- चांदनी रात में कम वस्त्रों में घूमने वाले व्यक्ति को ऊर्जा प्राप्त होती है, जिससे स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
- शरद पूर्णिमा की रात्रि में चंद्रमा की तरफ एकटक निहारने से या सुई में धागा पिरोने से नेत्र ज्योति बढ़ती है।
- शरद पूर्णिमा की रात को 10 से 12 बजे का समय जब चंद्रमा की रोशनी अपने चरम पर होती हैं, इसलिए इस दौरान चंद्रमा के दर्शन जरूर करना चाहिए।