Sharad Purnima 2022: बांके बिहारी मंदिर में दर्शन का समय बढ़ा, शरद पूर्णिमा को होगी ठाकुरजी की महारास मुद्रा
Sharad Purnima 2022 ठा. बांकेबिहारी वर्ष में एक ही दिन शरद पूर्णिमा पर महारास की मुद्रा में वंशी धारण कर भक्तों को दर्शन देंगे। वर्ष में एक ही मुरली बजाते देते हैं दर्शन। शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है।
By Vipin ParasharEdited By: Tanu GuptaUpdated: Sat, 08 Oct 2022 06:14 PM (IST)
वृंदावन, जागरण टीम। शरद पूर्णिमा पर रात में चंद्रमा की धवल चांदनी के प्रकाश में महारास की मुद्रा में ठा. बांकेबिहारी भक्तों को वंशी बजाते हुए दर्शन देंगे। शरद पूर्णिमा पर ही भगवान श्रीकृष्ण ने वृंशीवट पर राधाजी और गोपियों संग महारास किया था। इसी मुद्रा में ठा. बांकेबिहारी शरद पूर्णिमा पर अपने भक्तों को दर्शन देंगे। मोर-मुकुट, कटि-काछनी, हीरे-मोती और जवाहरात के साथ सोलह श्रृंगार संग आराध्य को देख भक्त भी निहाल होंगे।
रविवार को ठा. बांकेबिहारी के दिव्य दर्शन को देशभर से आए श्रद्धालुओं की सहूलियत के लिए मंदिर प्रबंधन ने दर्शन के समय में सुबह और शाम एक-एक घंटे की बढ़ोतरी की है। ठा. बांकेबिहारी मंदिर में हर उत्सव वर्ष में एक ही दिन मनाया जाता है।Banke Bihari मंदिर में भीड़ के दबाव से बिगड़ी महिला की हालत, मुजफ्फरनगर की रहने वाली है श्रद्धालु
शरद पूर्णिमा पर इसलिए होते हैं बिहारी जी के विशेष दर्शन
मंदिर सेवायत आचार्य गोपी गोस्वामी ने बताया, शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। यही कारण है, भगवान श्रीकृष्ण ने शरद पूर्णिमा की रात वंशीवट पर गोपियों संग महारास किया था। तभी से परंपरा पड़ी और शरद की रात ठाकुरजी को चंद्रमा की रोशनी में विराजमान कराया जाता है। उन्हें खीर का भोग अर्पित करते हैं।
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वर्ष में एक ही मुरली बजाते देते हैं दर्शन
ठा. बांकेबिहारी वर्ष में एक ही दिन शरद पूर्णिमा पर महारास की मुद्रा में वंशी धारण कर भक्तों को दर्शन देंगे। जब वह श्वेत परिधान में चांदी के सिंहासन पर विराजमान होकर मंदिर के जगमोहन में दर्शन देंगे, तो आसमान से चंद्रमा की धवल चांदनी उनके ऊपर पड़ेगी।
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