World Heritage Week: 'शीशे' में कैद है शीश महल, बड़ा ही रोचक है आगरा किला के इस हिस्से का इतिहास
World Heritage Week वर्ष 2003 में संरक्षण के नाम पर कर दिया गया था बंद। शाहजहां ने कराया था निर्माण सीरिया से मंगाया था कांच। मुगल−ए− आजम फिल्म में जब प्यार किया तो डरना क्या गीत इस शीश महल की तर्ज पर बने सेट पर फिल्माया गया था।
By Tanu GuptaEdited By: Updated: Fri, 20 Nov 2020 08:50 AM (IST)
आगरा, जागरण संवाददाता। फिल्म 'मुगल-ए-आजम' में अभिनेत्री मधुबाला पर फिल्माए गए गीत 'जब प्यार किया तो डरना क्या...' को भुलाया नहीं जा सकता। भव्य सेट में लगे शीशों में नृत्य करती अभिनेत्री मधुबाला के अक्स को देखकर शीशमहल की शानाे-शौकत से दर्शक विस्मित रह गए थे। आगरा किला स्थित शीश महल की तर्ज पर ही फिल्म का सेट बनाया गया था। अफसोस, पिछले 17 वर्षों से आगरा किला का शीश महल शीशे में कैद है। उसके गेट पर ताला लगा हुआ है।
आगरा किला का शीश महल, मुगलकालीन हमाम है। इसका निर्माण मुगल शहंशाह शाहजहां ने वर्ष 1637 में अपने परिवार के सदस्यों के लिए तुर्की हमाम के रूप में कराया था। इसका उपयोग महिलाओं द्वारा हमाम एवं परिधान कक्ष के रूप में किया जाता था। शाहजहां ने इसकी तामीर को सीरिया से कांच मंगाया था। इसकी दीवार, मेहराब व छत में छोटे-छोटे शीशे जड़े हुए हैं। दो कमरों वाले शीश महल में गर्म व ठंडे पानी के टैंक और फुव्वारे इसे हर मौसम के लिए विशेष बनाते हैं। शीश महल में दर्पणों की श्रृंखला के बीच हल्की रोशनी की किरण में ही पूरा कक्ष धीरे-धीरे रोशन हो जाता है। प्रत्येक दर्पण में देखने वाले का अक्स नजर आता है। शीशमहल को सैलानियों ने ही ऐसे जख्म दिए कि उन्हें भरा नहीं जा सका। वर्ष 2003 से पूर्व शीश महल खुला हुआ था। उसको खास बनाने वाले दर्पणों को सैलानियों ने ही खरोंच दिया। हाथ की ऊंचाई तक के कई दर्पण निकल चुके हैं। इसके चलते भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) ने इसे सैलानियों के लिए वर्ष 2003 में बंद कर दिया था। इसके बाद इसे दोबारा जाली लगाकर खोला गया, लेकिन 2014 में दोबारा बंद कर दिया गया। इसके करीब एक मीटर चौड़े द्वार पर एएसआइ ने शीशे का फ्रेम लगा रखा है, जिससे सैलानी इसे झांककर देख सकते हैं। शीशे के फ्रेम से शीश महल देखने में वो मजा नहीं आता, जो इस स्मारक को अंदर से देखने पर आता था।
बन सकता है आकर्षण
एप्रूव्ड टूरिस्ट गाइड एसोसिएशन के अध्यक्ष शमसुद्दीन बताते हैं कि एएसआइ संरक्षण के नाम पर या कर्मचारियों की कमी के नाम पर स्मारकों को सैलानियों के लिए बंद कर देता है। आगरा किला का शीश महल, सैलानियों के लिए ताजमहल जैसा आकर्षण बन सकता है। एएसआइ चाहे तो अलग से इसका टिकट लगा सकता है।
स्थानीय स्तर से नहीं खोल सकते अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि शीश महल को एएसआइ के महानिदेशक द्वारा जारी नोटिफिकेशन के आधार पर बंद किया गया था। मुख्यालय स्तर से आदेश होने के चलते उसे स्थानीय स्तर पर खोलने का निर्णय नहीं लिया जा सकता है।
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