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Birth in Lockdown: लेडी लायल में 2100 से ज्यादा बच्चों की किलकारी गूंजी ढाई महीने में

Agra New Baby Birth During Coronavirus Lockown 673 सिजेरियन और 1500 से ज्यादा हुई नॉर्मल डिलीवरी। निजी अस्पताल बंद होने से बढ़ा आंकड़ा हर रोज लगभग 20 बच्चे हुए पैदा।

By Prateek GuptaEdited By: Updated: Sat, 13 Jun 2020 09:45 AM (IST)
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Birth in Lockdown: लेडी लायल में 2100 से ज्यादा बच्चों की किलकारी गूंजी ढाई महीने में

आगरा, प्रभजोत कौर। Agra New Baby Birth During Coronavirus Lockown: लॉक डाउन के लगभग ढाई महीनों में लेडी लायल अस्पताल में रिकॉर्ड बच्चे पैदा हुए हैं। निजी अस्पताल बंद होने की वजह से यहां गर्भवती सि्त्रयों की संख्या में काफी इजाफा हुआ। इसी वजह से लगभग 75 दिनों में हर रोज लगभग 20 बच्चे पैदा होने का प्रतिशत रहा है।इस दौरान सिजेरियन डिलीवरी भी काफी हुई हैं।

लेडी लायल अस्पताल में हर बीस दिन में डिलीवरी की रिपोर्ट शासन को भेजी जाती है। गुरुवार को 21 मार्च से 10 जून तक की रिपोर्ट तैयार की गई, जो शासन को भेजी जाएगी। इस रिपोर्ट के अनुसार 21 मार्च से 10 जून के बीच लेडी लायल अस्पताल में 673 सिजेरियन और 1500 से ज्यादा नॉर्मल डिलीवरी हुई हैं। कुल मिलाकर 2100 से ज्यादा बच्चे ढाई महीनों में पैदा हुए हैं। लॉक डाउन से पहले एक महीने में 180 से 240 बच्चे यहां पैदा होते थे। परंतु लॉक डाउन के कारण निजी अस्पताल बंद थे। एेसे में, शहर और गांव से भी ज्यादातर गर्भवती महिलाएं लेडी लायल अस्पताल पहुंची हैं।

रविवार को सबसे ज्यादा सिजेरियन

सरकारी अस्पताल होने के कारण यहां रविवार को सिजेरियन का आंकड़ा काफी कम रहता है क्योंकि ज्यादातर चिकित्सक छुट्टी पर रहते हैं। पर सात जून का रविवार खास बन गया, इस एक दिन में अस्पताल में 13 सिजेरियन डिलीवरी हुई हैं। इन सभी डिलीवरी को कराने में एनेसथेटिस्ट डा. बीपी सिंह के साथ चिकित्सकों के दल में डा. ममता किरन, डा. हरविंदर और डा. नीति सिन्हा शामिल थीं। सुबह से लेकर रात तक लगातार अॉपरेशन हुए हैं। इससे पहले सात अप्रैल को भी अस्पताल ने रिकॉर्ड बनाया था। इस एक दिन में यहां 16 सिजेरियन और 20 नॉर्मल डिलीवरी हुई थीं।

सड़क पर भी पैदा हुए थे बच्चे

मई माह में लेडी लायल अस्पताल में गर्भवती सि्त्रयों को अंदर नहीं आने दिया गया था, इस वजह से तीन बच्चों ने सड़क पर ही जन्म लिया।कोरोना की जांच के लिए उपयुक्त सुविधाएं न होने का हवाला देकर सभी को गेट पर ही रोक दिया गया था। महिलाओं को प्रसव पीड़ा शुरू हुई तो अस्पताल में मौजूद तीमारदार महिलाओं और परिवार की महिलाअों ने ही डिलीवरी कराई थी।जिसके लिए बाद में जांच भी कराई गई थी। हालांकि इस जांच की आंच का असर किसी पर नहीं हुआ था।

कोरोना पॉजीटिव की नहीं हुई डिलीवरी

एसएन मेडिकल कालेज से लॉक डाउन के पहले ही गायनाकोलोजी विभाग को लेडी लायल अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया था।इस वजह से भी यहां बच्चे पैदा होने के आंकड़े काफी ज्यादा रहे।कोरोना पॉजीटिव महिलाओं की डिलीवरी एसएन मेडिकल कालेज में ही कराई गई। एसएन में भी ज्यादातर बच्चे सिजेरियन ही पैदा हुए।

लॉक डाउन में हमारी पूरी टीम ने बहुत मेहनत की है। निजी अस्पताल बंद होने की वजह से हमारे यहां गर्भवती महिलाएं ज्यादा आईं। हमने पूरी मेहनत के साथ बच्चों को इस दुनिया में लाने का काम किया है।

- डा. कल्याणी मिश्रा,एसआईसी