Swami Avimukteshwaranand Saraswati आए आगरा, बोले- तेजोमहालय पर जल्द पूरी हो सुनवाई
Swami Avimukteshwaranand Saraswati News शनिवार को आगरा आए ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती। तेजोमहालय मामले की सुनवाई जल्द पूरी कर स्थिति स्पष्ट करने की उठाई मांग। कहा ताजमहल से पहले है आगरा का पौराणिक महत्व। अपने भक्तों को उन्होंने धर्म की परिभाषा समझाई।
आगरा, जागरण संवाददाता। मनुस्मृति का अग्रजन्मनां शब्द दिखाता है कि आगरा एडवांस सिटी है, इसे अपने पौराणिक गौरव का स्मरण करना चाहिए। तेजोमहालय विषय में त्वरित सुनवाई हो, साक्ष्य देखकर निर्णय कर ताजमहल और तेजोमहालय के बीच का विवाद खत्म किया जाए। यह बात ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने शनिवार को आगरा में कहीं।
आगरा को मुगल कालीन नगरी सिर्फ ताजमहल के कारण कहते हैं
परमहंसी गंगा आश्रम से आते हुए दयालबाग स्थित पुष्पांजलि बाग, फेज-वन में भक्त डा. दीपिका उपाध्याय के आवास पर जगद्गुरु शंकराचार्य ने अल्प प्रवास किया। उनका कहना था कि आगरा को मुगल कालीन नगरी, ताजमहल के कारण कहते हैं। मूल में जाएं, तो तेजोमहालय के साक्ष्य मिलते हैं। आरटीआइ से प्रत्येक नागरिक सरकारी फाइल अधिकारपूर्वक देख सकता है, तो तेजोमहालय बंद क्यों है? मामले में त्वरित सुनवाई हो।
गुरुकुल प्रणाली गौरव
उन्होंने बताया कि भारत में जब तक गुरुकुल प्रणाली थी, देश जगतगुरु रहा। गुरुकुल प्रणाली क्षीण होने के बाद से भारत परमुखापेक्षी हुआ। शंकराचार्यों का कार्य सनातन संस्कृति व वर्णाश्रम धर्ममूलक व्यवस्था बनाना है। गंगा की धारा अविरल और निर्मल हो, भारत भूमि पर गाय का एक बूंद रक्त न गिरे और प्रत्येक व्यक्ति को गीता ज्ञान हो क्योंकि गीता शरणागति का ज्ञान देती है। स्त्री-पुरुष में ज्ञान, भक्ति और शरणागत का कोई भेद नहीं, इन तीनों का अधिकार स्त्री के पास भी है।
समझाई धर्म की परिभाषा
बताया कि जिन्हें धर्म पर पूर्ण विश्वास है, उन्हें शासन व्यवस्था से कोई फर्क नहीं पड़ता। जो परमुखापेक्षी हैं, वे अवश्य शासन का अनुकरण करते हैं इसलिए धर्मनिरपेक्ष शासन उन्हें प्रभावित करता है। वर्तमान परिस्थितियों में धर्म निरपेक्षता का अर्थ सनातन धर्म का विरोध हो गया है। किसी भी एक धर्म का बहुत ख्याल रखाना गलत है। जनता को समझना होगा कि वर्तमान में उनका शासन है, वह स्वयं राजा है। इसके बाद वह दिल्ली रवाना हो गए।
ये रहे मौजूद
उनके साथ ब्रह्मचारी मुकुंदानंद, ब्रह्मचारी केशवानंद, कृष्णा पाराशर, पवन मिश्रा, मनीषमणि त्रिपाठी आदि थे। शंकराचार्य रुप में प्रथम आगरा आगमन पर गुरुदीपिका योगक्षेम फाउंडेशन ने धर्मरक्षा के प्रतीक स्वरुप त्रिशूल भेंट किया। वारिजा चतुर्वेदी, रवि उपाध्याय, ओपी शर्मा, पीसी गर्ग, अनुज गुप्ता आदि मौजूद रहे।