पर्यटक 35 लाख सालाना (करीब)
ताजमहल का मुख्य गुंबद
ताजमहल में मुख्य मकबरे में दोहरा गुंबद है। पहले गुंबद के ऊपर बने ड्रमनुमा स्ट्रक्चर के ऊपर दूसरा गुंबद बना हुआ है। मकबरे की छत के ऊपर बने ड्रमनुमा स्ट्रक्चर की ऊंचाई 11.45 मीटर (37.56 फुट) और उसके ऊपर बने गुंबद की ऊंचाई 22.86 मीटर (75 फुट) है।
इनकी देखरेख में बना ताज
आगरा के मुहम्मद हनीफ ताजमहल के मुख्य अभियंता थे। ताजमहल का गुंबद तुर्की के इस्माइल खान के निर्देशन में बनाया गया था। दुनियाभर में बेमिसाल खूबसूरती के लिए प्रसिद्ध ताजमहल की पच्चीकारी का काम लाहौर के मनोहर सिंह, मुल्तान के बंशीधर, कन्नौज के मोहनलाल के निर्देशन में कारीगरों द्वारा किया गया था।
ताज की ऊंची मीनार
ताजमहल में चारों कोनों पर मीनारें बनी हुई हैं। मीनार में अंदर की तरफ रेड सैंड स्टोन की नीचे से ऊपर तक जाने को सीढ़ियां बनी हुई हैं। मीनार में अंधेरा रहता है। प्रत्येक मीनार की ऊंचाई जमीन से कलश तक 42.95 मीटर (140.91 फुट) है।
ताजमहल कब बनकर तैयार हुआ
शहंशाह शाहजहां ने मुमताज महल की याद में ताजमहल का निर्माण कराया था ये सभी जानते हैं। वर्ष 1631 से 1648 के बीच खूबसूरत स्मारक का निर्माण कराया था। वर्ष 1983 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर घोषित किया, जिसके बाद दुनियाभर से ताजमहल देखने पर्यटक आगरा आने लगे।
ताजमहल कितने रुपये में बना
ताजमहल के निर्माण में 32 मिलियन की लागत आई थी। वर्तमान समय में उसकी कीमत 1 बिलियन डॉलर है। ताजमहल के निर्माण में संगमरमर के पत्थरों पर बारीक नक्काशी के लिए कुल 17 वर्ष लगे थे। ताजमहल के निर्माण कार्य में 22 हजार मजदूर लगे थे।
ताजमहल का किरीट कलश
शाहजहां ने ताज के गुंबद पर लगा कलश भी सोने से बनवाया था। इसमें 466 किलो सोने का इस्तेमाल हुआ था। वर्ष 1810 में इसे उतरवाकर अंग्रेज अधिकारी जोसेफ टेलर ने सोने की पॉलिश किया हुआ तांबे का कलश लगवा दिया। यह कलश अब तक तीन बार बदला जा चुका है। ताजमहल का कलश 40 हजार तोले (466 किलो) सोने का बना था। यह सोना शाही खजाने से दिया गया था।
ताजमहल पर नक्काशी
ताजमहल और रायल गेट पर हो रही कैलीग्राफी का काम फारस के अमानत खान और मुहम्मद खान द्वारा किया गया था। फारसी भाषा में रही कैलीग्राफी की खासियत यह है कि नीचे से लेकर ऊंचाई तक एक समान नजर आती है, जिससे उसे पढ़ने में कोई दिक्कत महसूस नहीं होती है। दिल्ली के अब्दुल्ला, बल्ख के मुहम्मद सज्जन, मुल्तान के शकरुल्ला राजमिस्त्री और बल्देव दास, अमीर अली और मुल्तान के रोशन खान ने ताजमहल में फूलों की कार्विंग की थी। अरब के जादिर जमान खान सामान्य कारीगर थे और बुखारा के अता मुहम्मद संगतराश थे। बादशाहनामा में उल्लेख मिलता है कि मीर अब्दुल करीम और मकरामत खान की देखरेख में मकबरे का निर्माण हुआ था। ताज के निर्माण को 20 हजार मजदूरों ने काम किया था।
ताजमहल की चमकी
चमकी का तात्पर्य है धवल चांदनी में ताज के संगमरमर पर चमकती किरणों की अठखेलियां। शरद पूर्णिमा पर यह चमक इसलिए अधिक देखने को मिलती है क्योंकि चांद पृथ्वी के सबसे निकट होता है। चांदनी रात में ताज की दीवार में लगे पत्थर झिलमिलाते से दिखाई देते हैं। इसी को देखकर लोग कहते हैं ये चमकी, वो चमकी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नवंबर, 2004 में रात्रि दर्शन फिर शुरू हुआ। तब से हर माह पूर्णमासी पर पांच दिन (पूर्णिमा के दो दिन पहले, पूर्णिमा और उसके दो दिन बाद) ताज का रात्रि दर्शन कराया जाता है।
ताजमहल के कुछ रोचक तथ्य
ताजमहल के नगीने चांदनी रात में दमकते हैं। दिन में सूरज की किरणें जब ताज पर पड़ती हैं तो उसकी आभा देखने लायक होती है। दिन में तीन बार ताजमहल अलग और आकर्षक नजर आता है। ताजमहल के पाश्र्व में यमुना नदी बहती है। ताजमहल के फव्वारे बिना किसी मशीन के चलते थे।