Tajmahal: चांद की किरणों से दमक उठते हैं ताज के नगीने, पढ़िए चमकी का इतिहास
Tajmahal चार दशक पहले तक ताज रात्रि दर्शन के लिए ताजमहल में मेहमानखाना की तरफ मुख्य मकबरे पर चढ़ने के लिए अस्थायी सीढ़ियां बल्लियों और स्लीपर से बनाई जाती थीं। मुख्य मकबरे पर लगी संगमरमर की रेलिंग के पैनल को हटाया जाता था।
By Jagran NewsEdited By: Abhishek SaxenaUpdated: Fri, 07 Oct 2022 12:55 PM (IST)
आगरा, जागरण टीम। बेपनाह खूबसूरत ताजमहल को देखने की ललक सात समंदर पार से भी सैलानियों को भारत तक खींच लाती है। देश के कोने-कोने से ताजमहल देखने के लिए पर्यटक आते हैं। चांदनी रात में ताजमहल देखने की ख्वाहिश रखने वाले टूरिस्ट भी कम नहीं है। ये ताज की दीवानगी है जो सभी को अपनी ओर खींचती है।
शरद पूर्णिमा पर देखने आते हैं ताजमहल की चमकी
शरद पूर्णिमा पर ताजमहल की रौनक देखते ही बनती है। चंद्रमा की श्वेत रश्मियां जब ताजमहल के श्वेत संगमरमरी हुस्न पर पड़ती हैं तो देखने वाले वाह कर उठते हैं। ताजमहल में जड़े कीमती पत्थरों के चमकने को चमकी कहते हैं। करीब 38 वर्ष पूर्व तक ताजमहल के दीवानों को मुख्य मकबरे से चमकी देखने का मौका मिलता था, अब तो उन्हें 280.2 मीटर की दूरी से चमकी देखनी पड़ती है। पहले ताजमहल पूरी रात खुला रहता था। लेकिन अब महज चार घंटों की खुलता है।
शरद पूर्णिमा पर पांच दिन होता है चांदनी रात में ताजमहल का दीदार
ताज रात्रि दर्शन माह में पांच दिन (पूर्णिमा, पूर्णिमा से दो दिन पूर्व व दो दिन बाद) होता है। इस अवधि में अगर शुक्रवार पड़ता है तो उस दिन साप्ताहिक बंदी के चलते ताजमहल नहीं खुलता है। रात 8:30 से 12:30 बजे तक आधा-आधा घंटे के आठ स्लाट में 50-50 पर्यटकों को स्मारक में प्रवेश मिलता है। एक दिन में अधिकतम 400 पर्यटक ताजमहल रात में देखते हैं।Sharad Purnima पहले लगता था मेला
एप्रूव्ड टूरिस्ट गाइड एसोसिएशन के अध्यक्ष शम्सुद्दीन बताते हैं कि वर्ष 1984 से पूर्व ताजमहल में इतनी सुरक्षा पाबंदियां नहीं थीं। तब पूरी रात ताजमहल पर्यटकों के लिए खुलता था। मेले जैसा नजारा रहता था। फोरकोर्ट में पुलिस चौकी व टिकट विंडो बनाई जाती थीं। पर्यटक तब मुख्य मकबरे से चमकी का दीदार करते थे। अब तो उन्हें मुख्य मकबरे से 280.2 मीटर की दूरी पर स्थित वीडियो प्लेटफार्म से चमकी देखनी पड़ती है।
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