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Air Pollution in Agra: आगरा में वाहन नंबर बताओ, प्रदूषण का प्रमाण पत्र ले जाओ

Air Pollution in Agra बुधवार को दैन‍िक जागरण टीम ने पडताल की तो उप परिवहन आयुक्त कार्यालय कार्यालय के बाहर प्रताप पुरा खंदारी नामनेर भगवान टाक‍िज पर छानबीन की तो स्‍पष्‍ट हुआ क‍ि अध‍िकांश आनलाइन प्रदूषण जांच केंद्रों पर आधुनिक उपकरण भी नहीं हैं।

By Tanu GuptaEdited By: Updated: Wed, 17 Nov 2021 01:22 PM (IST)
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उप परिवहन आयुक्त कार्यालय कार्यालय के बाहर आनलाइन प्रदूषण जांच केंद्र।
आगरा, जागरण संवाददाता। प्रदूषण नियंत्रण जांच प्रमाणपत्र (पीयूसी)के नाम पर हर साल लाखो के वारे-न्यारे हो रहे हैं। वाहन की फिटनेस में आन लाइन प्रदूषण प्रमाण पत्र की अनिवार्यता होनेे के बाद प्रदूषण जांच केंद्र वालों की बल्ले-बल्ले हो गई है। आगरा के 54 जांच केंद्रों के 70 फीसद संचालक हर वाहन मालिक से निर्धारित दरों से 50-100 रुपये अधिक वसूल रहे हैं। हालात यह है क‍ि वाहन की बिना जांच के ही प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाता है।

बुधवार को दैन‍िक जागरण टीम ने पडताल की तो उप परिवहन आयुक्त कार्यालय कार्यालय के बाहर, प्रताप पुरा, खंदारी, नामनेर, भगवान टाक‍िज पर छानबीन की तो स्‍पष्‍ट हुआ क‍ि अध‍िकांश आनलाइन प्रदूषण जांच केंद्रों पर आधुनिक उपकरण भी नहीं हैं, लेकिन सेटिंग-गेटिंग के तहत यह वाहनों की जांच कर उन्हें आनलाइन प्रदूषण का प्रमाण पत्र जारी कर रहे हैं। करीब तीन साल पहले शासन ने वाहनों की फिटनेस में आन लाइन प्रदूषण प्रमाण पत्र अनिवार्य किया है। उससे पहले मैनुअल कागज लगाकर वाहन की फिटनेस हो जाती थी। कुछ ऐसे जांच केंद्र वाले भी हैं जो बाहर से पुरानी मशीनें खरीद लाए हैं और उसी के आधार पर प्रदूषण प्रमाण पत्र बना रहे हैं।

यह केंद्र वाहनों को प्रदूषण नियंत्रण प्रमाण तो जारी कर रहे हैं, लेकिन इसका र‍िकार्ड नहीं रख रहे। जो वाहन आनलाइन जांच में फेल हो जाते हैं, उन्हें जुगाड़ करके पास का प्रमाण पत्र दे दिया जाता है। इसकी एवज में 200 से 300 रुपये वसूले जाते हैं। नियमानुसार प्रत्येक माह परिवहन कार्यालय में वाहनों की संख्या का रिकार्ड जमा कराना होता है, लेकिन अधिकांश प्रदूषण जांच केंद्र के प्रबंधकों को इस नियम की परवाह नहीं है। जांच केंद्र के मशीन आपरेटर के पास स्मोग और गैस एनालाइजर का सर्टिफिकेट या डिप्लोमा होना चाहिए। यह सर्टिफिकेट प्रदूषण जांच की मशीन बनाने वाली कंपनी ऑपरेटर को प्रशिक्षण देकर जारी करती है। लेकिन यहां प्रदूषण जांच केंद्रों के ज्यादातर आपरेटर पर कोई सर्टिफिकेट नहीं है। एक सर्टिफिकेट या डिप्लोमा का प्रयोग दो प्रदूषण जांच केंद्रों के मशीन आपरेटर कर रहे हैं। प्रदूषण केंद्र वालों ने जांच प्रमाण पत्र की सूची का बोर्ड भी नहीं लगाया है। कई पीयूसी केंद्र पर वहां 500 से 2500 रुपए तक लेने की बात वाहन का नंबर डालने की बात की जा रही है । गैस एनालाइजर साइलेंसर पर लगाएंगे। इसके बाद कहेंगे कुछ देर इंतजार करो। हाथों-हाथों चाहिए तो 100-150 रुपए अतिरिक्त कर्मचारी को देने होंगे। वाहन की बिना जांच के ही आनलाइन प्रक्र‍िया पूरी करने के बाद प्रमाण पत्र दे दिया जाता है।

क्या है पीयूसी

पीयूसी यानी पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल। इसकी जांच को कहते हैं पीयूसी टेस्ट। इस जांच के बाद ही किसी गाड़ी को पीयूसी सर्टिफिकेट दिया जाता है। यह सर्टिफिकेट एक निश्चित समय को मान्य होता है। बीएस-4 गाड़ियों के लिए समय सीमा एक साल की होती है।

प्रमाण न होने पर 10 हजार का जुर्माना 

अगर आपकी गाड़ी के पीयूसी सर्टिफिकेट की समय सीमा खत्म हो चुकी है। चेकिंग में पकड़े जाते हो तो 10 हजार रुपये का जुर्माना भरना पड़ सकता है। नया कानून लागू होने से पहले जुर्माने की राशि पहली बार गलती के लिए एक हजार और इसके बाद दो हजार रुपये जुर्माना लिया जाता है।

दस गुना अधिक लेते चार्ज

गाड़ी के प्रदूषण की जांच करवाकर नया सर्टिफिकेट प्राप्त करने के लिए आपको सिर्फ 100 से 200 रुपये तक ही देने होंगे लेकिन जब अधिक वाहन स्वामी वाहन लेकर जांच को पहुंचने लगे तो केंद्र इंचार्ज मनमाने रुपए लेने लगे। यहां तो 200 से 2500 रुपए तक सर्टिफिकेट के लिये जाते हैं।

ऐसे होती है जांच

देश में गाड़ियों के प्रदूषण की जांच की प्रक्रिया सोसायटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैनुफैक्चरर्स द्वारा विकसित की गई है। प्रदूषण की जांच को गैस एनालाइजर को एक ऐसे कंप्यूटर से जोड़ा जाता है जिसमें कैमरा और प्रिंटर भी जुड़ा हो। यह गैस एनालाइजर गाड़ी से निकलने वाले प्रदूषण के आंकड़ों की जांच करता है। इसे कंप्यूटर को भेजता है। जबकि कैमरा गाड़ी के लाइसेंस प्लेट की फोटो लेता है। अगर गाड़ी से निश्चित दायरे के अंदर प्रदूषण निकल रहा है तो पीयूसी सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाता है। यदि मानकों से अधिक प्रदूषण निकल रहा है तो सर्टिफिकेट जारी नहीं होगा।

ज‍िले में 54 पीयूसी केंद्र हैं। सभी में आनलाइन प्रक्रिया सक्र‍िय है। ऑनलाइन प्रक्रिया से पीयूसी सर्टिफिकेट गड़बड़ी नहीं होगी। इसकी न‍िगरानी भी की जा रही है।

- प्रमाेद कुमार आरटीओ 

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