Food In Vrindavan: दस रुपये में भरपेट भोजन, जगन्नाथ रसोई की थाली भरती है हर श्रद्धालु का पेट
Food In Vrindavanवृंदावन के बारे में कहा जाता है कि यहां जो भी आता है भूखा नहीं रहता। दान का न खाए इसलिए रखी दस रुपये की थाली की कीमत हर दिन बनता है अलग खाना। वृंदावन में चार हजार आश्रम और मंदिर हैं। जहां हजारों श्रद्धालु रोजाना आते हैं।
आगरा, जागरण टीम। कान्हा की नगरी वृंदावन के बारे में कहा जाता है कि यहां जो भी आता है, भूखा नहीं रहता। यहां के आश्रम, मठों में चलने वाले भंडारों में भक्त प्रसाद पाकर अपनी भूख मिटाने में संकोच नहीं करते। तीर्थयात्रा पर आने वाले कई भक्त ऐसे हैं, जो अपनी धार्मिक मान्यताओं के चलते आश्रमों के इन भंडारों में प्रसाद पाना ठीक नहीं समझते। ऐसे भक्तों के लिए जगन्नाथ रसोई है।
मात्र दस रुपये में स्वरुचि भोजन की थाली
जगन्नाथ मंदिर द्वारा शुरू की गई इस रसोई में मात्र दस रुपए शुल्क में श्रद्धालु को भरपेट और स्वरुचि भोजन की थाली परोसी जा रही है। इसमें श्रद्धालु को भरपेट भोजन परोसा जाता है।
हर दिन का मैन्यू इस थाली का अलग होता है। हर दिन एक जैसा भोजन भी नहीं परोसा जाता, ताकि श्रद्धालुओं को हर दिन अलग-अलग तरह के स्वाद मिले।
फ्री भंडारा, लेकिन रसोई भी उपलब्ध
यमुना किनारे जगन्नाथ घाट स्थित जगन्नाथ मंदिर में वैसे तो दशकों से साधु-संतों और जरूरतमंदों के लिए निश्शुल्क भंडारे की व्यवस्था है। मंदिर के महंत स्वामी ज्ञानप्रकाश के सान्निध्य में एक जगन्नाथ रसोई की शुरुआत पिछले साल नवंबर में की गई है।
थाली का शुल्क दस रुपये रखा गया है। ये भी इसलिए कि श्रद्धालु जब रसोई में भोजन करने पहुंचें, तो उनके मन में ये बात न रहे कि वह केवल दान स्वरूप भोजन कर रहे हैं।
वृंदावन आने वाले यात्रियों के लिए शुरू हुई थाली
रसोई के प्रबंधक नीलमाधव शर्मा ने बताया, वृंदावन में आने वाले यात्रियों के लिए ये रसोई शुरू की गई है। इसमें एक थाली का मात्र दस रुपये शुल्क रखा गया है। थाली में रोटी, सब्जी, दाल, चावल, रायता और एक मिठाई परोसी जाती है।
थाली में तय कुछ भी नहीं होता। जिसे जितना भी भोजन खाना है, उतना ही परोसा जाता है। थाली का मेन्यू हर दिन बदलकर ही परोसा जाता है। पर्व-उत्सव के दिनों में पक्का भोजन श्रद्धालुओं को परोसा जाता है।
ये भी पढ़ें...