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Miniature Garden: शीशे के जार में सजती है हरियाली की दुनिया, फ्लैट में बढ़ा कल्चर, ऐसा है टेरारियम

Agra News डा. सुमिता डोडिया दे रही हैं युवतियों को प्रशिक्षण। लगभग तीन सालों में डा. डोडिया 22 युवतियों को प्रशिक्षण दे चुकी हैं। यह युवतियां कई कालेजों स्कूलों और निजी स्तर पर प्रशिक्षण दे रही हैं। एक युवक ने अपना स्टार्ट अप भी शुरू कर दिया है।

By Prabhjot KaurEdited By: Abhishek SaxenaUpdated: Wed, 19 Oct 2022 07:39 PM (IST)
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Agra News: मिनिएचर गार्डन के लिए मिल चुके हैं कई पुरस्कार।

आगरा, जागरण संवाददाता। शहर में ऐसे कई लोग हैं, जिन्हें प्रकृति से प्रेम है। अपने घर में वे हरियाली बिखेरना चाहते हैं, लेकिन जगह की कमी की वजह से अपनी इस इच्छा को पूरा नहीं कर पाते हैं। उनकी इस इच्छा को पूरा करने का काम करती हैं डा. सुमिता डोडिया। वे मिनिएचर गार्डन बनाने की कला सिखाती है। छोटे से गमले में अपनी कलात्मकता दिखाते हुए सही पौधों का चुनाव करना इसकी खासियत है। इसके अलावा वे टेरारियम बनाना भी सिखाती हैं।

कोरोना संक्रमण काल के बाद से प्रशिक्षण ले रहीं लड़कियां

कोरोना काल से लेकर अब तक डा. डोडिया 22 से ज्यादा लड़कियों को प्रशिक्षण दे चुकी हैं। प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद कई लड़कियां नौकरी भी कर रही हैं। उनकी दो किताबें भी प्रकाशित हो चुकी हैं। मिनिएचर गार्डन के लिए वे कई जगह पुरस्कार भी प्राप्त कर चुकी हैं।

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क्या है मिनिएचर गार्डन?

यह एक तरह का छोटा सा बगीचा होता है,जिसे प्रकृति प्रेमी अपनी रचनात्मकता व पसंद के हिसाब से खुद ही तैयार कर सकते हैं। इसके लिए घर के कबाड़ को भी इस्तेमाल किया जा सकता है, यहां तक की टूटे गमलों को भी। मिनिएचर गार्डन में पौधों का चुनाव सबसे महत्वपूर्ण होता है। उसके बाद उसकी थीम देखी जाती है। मिनिएचर गार्डन में सकुलेंट, मिनिएचर नाइट, स्टोनक्राप, कार्सिकन मिंट, सेंपरविवम व आक्जेलिस जैसे पौधे इस्तेमाल होते हैं।

शीशे के जार में बनता है इंडोर बगीचा

टेरारियम में कांच के बंद बर्तन यानी जार में मिट्टी डाली जाती है और एेसे पौधों का चुनाव किया जाता है, जो बंद जार में भी पनप सकें। एक बार ही पानी दिया जाता है, जिसे पौधों की जड़ द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। जो पौधों के वायुवीय अंगों से उत्स्वेदन क्रिया में उत्सर्जित होकर वाष्प के रूप में कांच के बर्तन की दीवारों पर जमा हो जाता है।

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यही वाष्प ठंडी होकर पानी के रूप में बदलकर दोबारा मिट्टी में मिल जाती है। इससे पौधे को कांच के बर्तन के अंदर ही संतुलित वातावरण मिल जाता है।टेरारियम बंद जार के अलावा खुले कांच के बर्तनों में भी बनाए जा सकते हैं जैसे बड़ा कटोरा, गिलास या कटोरी।

आजकल ज्यादातर लोग फ्लैट में रहते हैं। जगह की कमी होती है। घर भी छोटे-छोटे हैं। ऐसे में मिनिएचर गार्डन और टेरारियम बागवानी के शौकीनों के लिए लाभकारी है।पौधों की सही जानकारी होना जरूरी है- डा. सुमिता डोडिया, वनस्पति विज्ञानी 

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