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Global Day of Parents: जिन्हें कभी अपनों ने था ठुकराया, आज गोद लेने वाले मां-बाप की आंखों का हैं तारा

संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2012 में एक जून को ग्लोबल डे आफ पेरेंट्स के रूप में मनाने की घोषणा की। बच्चों के पालन-पोषण में माता-पिता की अहम भूमिका होती है। राजकीय शिशु एवं बाल गृह से चार साल में 40 से ज्यादा बच्चों को दिया गया गोद।

By Prateek GuptaEdited By: Updated: Tue, 01 Jun 2021 12:52 PM (IST)
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आगरा में चार साल में 40 बच्‍चों को गोद दिया जा चुका है।
आगरा, अली अब्‍बास। पूर्वांचल के एक जिले के रहने वाले नि:संतान कारोबारी दंपती ने करीब तीन साल पहले राजकीय शिशु एवं बाल गृह से बालक को गोद लिया था। माता-पिता ने बालक का नामकरण किया। बालक जल्दी ही माता-पिता, बाबा व दादी से भरे-पूरे परिवार की आंखों का तारा बन गया। माता-पिता ने बेटे को कान्वेंट में प्रवेश दिलाया। मेधावी बेटे की प्रतिभा का कायल स्कूल भी हो गया है। उसने छह महीने में अपनी कक्षा का पाठ्यक्रम पढ़ डाला। पूरी कक्षा में सबसे ज्यादा नंबर हासिल किए। उसकी प्रतिभा को देखते हुए स्कूल ने आगे की कक्षा का स्लेबस दिया। बालक ने उसे भी छह महीने में पूरा करके सर्वाधिक अंक प्राप्त किए। बेटे की इस उपलब्धि ने माता-पिता की खुशी में चार चांद लगा दिए हैं। उन्हें यकीन है कि ईश्वर ने उनकी गोदी में वरदान डाला है। उनका राज दुलारा आगे चलकर जग में उनका नाम रोशन करेगा।

केस दो: दिल्ली के रहने वाले एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में साफ्टवेयर इंजीनियर दंपती ने अपने आंगन में किलकारी गूंजने के लिए सभी बड़े अस्पतालों की शरण ली। युवती ने मां बनने के लिए आइवीएफ तकनीकी की मदद ली। पांच बार नाकाम होने के बाद जब छठवीं बार उम्मीद लेकर डाक्टर के पास गए। उसने साफ्टवेयर इंजीनियर युवती से मना कर दिया। उसे बताया कि इससे उसके हार्मोंस गड़बड़ा सकते हैं। आगे चलकर इसका काफी बुरा दुष्प्रभाव उसके शरीर पर पड़ सकता है। इसके बाद दंपती ने राजकीय शिशु एवं बाल गृह से वर्ष 2018 में छह महीने की बालिका को गोद लिया। इन चार साल के दौरान बालिका उनके संयुक्त परिवार की आंखों का तारा और खुशी का सबब बन चुकी है। दंपती सितारा होटल में धूमधाम से उसका जन्मदिन मनाते हैं। अब बेटी का कान्वेंट स्कूल में प्रवेश कराने की तैयारी कर रहे हैं।

राजकीय शिशु एवं बाल गृह से निकलकर नि:संतान दंपतियों के आंगन में इन बच्चों की किलकारी गूंज रही है। ये दंपती इस बात के लिए तरस रहे थे कि उनके आंगन में भी कोई खेले। नन्हीं सी हंसी के बदले भले ही कोई उनकी सारी दौलत ले ले। आज इन बच्चों की उंगली पकड़कर चलना सिखाने वाले दंपतियों को यकीन है कि यह बच्चे उनके बुढ़ापे का सहारा बनेंगे। उनके यह राज दुलारे दुनिया में उनका नाम रोशन करेंगे।

राजकीय शिशु एवं बाल गृह से चार साल के दाैरान 40 से ज्यादा बच्चों को कारा के माध्यम से गोद दिया गया है। इसने इन बच्चों की किस्मत को बदलने के साथ ही उन्हें गोद लेने वाले माता-पिता काे जिंदगी जीने का एक मकसद भी दिया। यह बच्चे उनकी जिंदगी बन गए हैं। जिनके बिना जीने की वह एक पल के लिए भी नहीं सोच सकते हैं। यह दंपती अपने साथ बच्चों की तस्वीरों को राजकीय शिशु एवं बाल गृह के अधिकारियों के पास भेजते हैं। बच्चों के चेहरों पर खुशी और उल्लास उनका अपने परिवार से अटूट रिश्तों को बयां करती है।

जब विदेशी माता-पिता को मनानी पड़ी दिपावली

राजकीय शिशु एवं बाल गृह से भारतीय दंपतियों के अलावा विदेशी दंपती भी बच्चों को गोद लिया है। इन बच्चों की अच्छी परवरिश कर रहे हैं। यह बच्चे उनके परिवार की हिस्सा बन चुके हैं। बच्चों को गोद लेने वालों में इटली, जर्मनी, स्पेन और अमेरिका के दंपती शामिल हैं। पिछले इन बच्चों के माता-पिता ने उनके लिए दिपावली मनाई। पूरे घर को दीपों से सजाया और उनके लिए आतिशबाजी लेकर आए थे।

वर्ष 2012 से हुई ग्लोबल डे आफ पेरेंट्स

संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2012 में प्रत्येक वर्ष एक जून को ग्लोबल डे आफ पेरेंट्स के रूप में मनाने की घोषणा की। एक जून को इसे पूरी दुनिया में मनाया जाता है। बच्चों के पालन-पोषण में माता-पिता की अहम भूमिका होती है। यह दिवस संदेश देता है कि बच्चों का पालन-पोषण और संरक्षण प्रत्येक परिवार की प्राथमिकता है। बच्चो के विकास में परिवार का माहौल, प्यार, खुशी व समझ के साथ बड़े होने की जरूरत है। इसके साथ ही बच्चों को भी बड़े होने पर अपने जीवन और हर खुशी का ध्यान रखने के लिए माता-पिता का धन्यवाद करें।

राजकीय शिशु गृह से चार साल के दौरान 40 से ज्यादा बच्चों को दंपतियों ने गोद लिया है। यह सभी बच्चे इन दंपतियों की जिंदगी का अभिन्न हिस्सा बन चुके हैं। अपने माता-पिता के सपनों को पूरा कर रहे हैं।

विकास कुमार अधीक्षक राजकीय शिशु एवं बाल गृह

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