Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Agra News: जिस नवजात को अपने बच्चे की तरह पाला, आज उसी को पाने के लिए लड़ रही एक मां; कानून के आगे बेबस ममता

एक मां कानून के सामने बेबस हो गई है। जिस बेटी को वो आंख खुलने से पहले से पाल रही है औज वहीं बेटी कानून की बंदिशों के चलते उससे दूर हो गई है। आठ साल तक वह बच्ची परिवार का हिस्सा बनकर रही। अब कानून की दीवार खड़ी हो गई है। बच्ची बाल शिशु गृह में है और मां उसे पाने के लिए अधिकारियों के पास भटक रही है।

By Jagran NewsEdited By: Swati SinghUpdated: Fri, 23 Jun 2023 08:08 AM (IST)
Hero Image
जिस नवजात को अपने बच्चे की तरह पाला, आज उसी को पाने के लिए लड़ रही एक मां

आगरा, जागरण संवाददाता। आगरा में एक मां अपनी बच्ची को पाने के लिए लड़ रही है। वो बच्ची जिसे उसने जन्म तो नहीं दिया, लेकिन उसे उसने पैदा होने से लेकर आठ साल तक पाला। इस मां की जिंदगी बदलती है 28 नवंबर 2014 की सुबह करीब चार बजे से।

कड़ाके की सर्दी पड़ रही थी। ताजगंज की रहने वाली मीना गहरी नींद में थी। दरवाजे पर लगातार दस्तक से उनकी नींद खुली। दरवाजा खोला तो सामने परिचित किन्नर गोद में नवजात बच्ची लिए खड़ी थी। बोली नाले किनारे कोई फेंक गया है। इसे तुम पाल लो, सर्दी में कुछ और देर बाहर रही तो बचेगी नहीं।

आठ साल तक वह बच्ची परिवार का हिस्सा बनकर रही। अब कानून की दीवार खड़ी हो गई है। बच्ची बाल शिशु गृह में है और मां उसे पाने के लिए अधिकारियों के पास भटक रही है। किन्नर से जिस बच्ची को पाकर मीना का पूरा परिवार निहाल हो उठा था, उसी बच्ची को लेकर सात वर्ष बाद किन्नर की नीयत बदल गई। अक्टूबर 2021 में एक दिन वह मीना के घर पहुंची और जब मीना घर पर नहीं थी बच्ची को कार में बिठा कर ले गई। बस, इसी दिन से मीना की परेशानी का दौर शुरू हो गया।

बच्ची का नाम कायनात रखा

जिस किन्नर ने 2014 में बच्ची को उसे सौंपा था, और वही किन्नर कानूनी रूप में बच्ची को पाने की लड़ाई लड़ रही हैं। मीना ने बताया, किन्नर जिस दिन उन्हें बच्ची देकर गया, उसके दस दिन बाद ही उसकी तबीयत खराब हो गई। अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। उनके पति ने रक्तदान कर उसे बचाया। तीन साल तक उसका उपचार चला। तब उसका जीवन बचा। मीना और चारों बच्चों के लिए यह बच्ची उनकी दुनिया बन गई थी। उसका नाम कायनात रखा। अंग्रेजी माध्यम स्कूल में प्रवेश दिलाया। वह पहली कक्षा में पढ़ रही थी।

कानून के आगे बेबस मीना

चाइल्ड लाइन और स्थानीय पुलिस की मदद से बच्ची को फर्रुखाबाद के कायमगंज से बरामद किया गया। मगर, कानून का एक सवाल सामने आ गया कि आखिर मीना को यह बच्ची कैसे दी जाए। वह उसकी कानून मां नहीं है। उसे गोद लेने की प्रक्रिया भी नहीं हुई है। इस सवाल पर दिसंबर 2021 में बच्ची को चाइल्ड लाइन ने आगरा में बाल कल्याण समिति के सामने पेश किया। वहां से अगस्त 2022 में बच्ची को शिशु गृह भेज दिया गया। बीते दस माह से मीना कायनात को पाने के लिए भटक रही है।

मां के लिए परेशान मासूम

उधर, शिशु गृह में बंद बच्ची भी मां मीना के लिए लगातार परेशान है। वह मीना को ही अपनी मां जानती है। मीना ने बताया, बच्ची आठ वर्ष तक उनकी गोद में पली, भाई-बहनों के बीच रही, वह अब कहीं और नहीं रह सकती।

जारी है लड़ाई

कायनात को उसकी पालक मां मीना को कानूनी मां बनाने के लिए वह लड़ाई लड़ रहे हैं। गोद लेने के कानून में भी इसका प्रावधान है। इन्हीं नियमों का हवाला देकर वह अधिकारियों से मिल रहे हैं। उम्मीद है कि कोई न कोई रास्ता निकल आएगा। नरेश पारस, बाल अधिकार के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता

लोकल न्यूज़ का भरोसेमंद साथी!जागरण लोकल ऐपडाउनलोड करें