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Agra News: पापा! मैं कैसे कहूं...ये दर्द कब तक सहूं, 11 साल की मासूम की कहानी दिल दहला देगी

Agra News आगरा में एक 11 वर्ष की बालिका घर छोड़ने के आठ दिन बाद पुलिस को मिली। उसने यह व्यथा बताई और घर जाने से इनकार कर दिया। पिता भी कैसा कठोर था कि वह भी घर में नहीं रखने को तैयार हुआ। पुलिस ने समझाने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हुई। आखिर बेटी को कानपुर स्थित राजकीय बालगृह (बालिका) भेज दिया गया।

By Jagran NewsEdited By: Swati SinghUpdated: Fri, 15 Sep 2023 01:00 PM (IST)
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पापा! मैं कैसे कहूं...ये दर्द कब तक सहूं

आगरा, अली अब्बास। पापा! मैं कैसे उनको पापा कहूं। मुझ मासूम से छोटी सी ही गलती तो हुई थी कि कमरे में पानी फैल गया। आप मुझे डांटकर समझा सकते थे। नहीं, आपका गुस्सा तो सातवें आसमान पर पहुंच गया। आपने बेल्ट उतारी और मेरी पीठ पर बरसा दीं। मेरी त्वचा उधड़ गई। मैं रोई, बार-बार माफी मांगती रही। परंतु पिता के हाथ रुके ही नहीं। मैं चीखती रही। यह पहली बार नहीं हुआ। एक बेटी के पास और क्या रास्ता है। मैं घर छोड़कर आ गई।

एक 11 वर्ष की बालिका घर छोड़ने के आठ दिन बाद पुलिस को मिली। उसने यह व्यथा बताई और घर जाने से इनकार कर दिया। पिता भी कैसा कठोर था कि वह भी घर में नहीं रखने को तैयार हुआ। पुलिस ने समझाने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हुई। आखिर बेटी को कानपुर स्थित राजकीय बालगृह (बालिका) भेज दिया गया।

ये है मामला

मामला सदर थाना क्षेत्र के मुहल्ले का है। एक पिता ने 31 अगस्त को 11 वर्षीय इकलौती बेटी के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कराई। सदर पुलिस ने उसे खोजने के लिए इंटरनेट मीडिया की मदद ली। एक सितंबर को पता चला कि उसे आखिरी बार ताजगंज के रमाडा होटल के पास देखा गया है। एक सितंबर को बालिका शमसाबाद में गांधी पार्क चौराहे के पास परेशान हालत में मिल गई।

पिता ने साथ ले जाने से किया इनकार

पुलिस ने बालिका से पूछा तो पहले तो वह मूड से उखड़ी लगी। बोली, क्यों जानना चाहते हो मैं पिता के साथ नहीं रहूंगी। ऐसे में प्यार से समझाया। वहीं पिता को बुलाया। बात हुई तो बेटी भी मना करती रही, वहीं पिता ने भी साथ ले जाने से इनकार कर दिया। वह लिखित में भी दे गया। इसके बाद बाल कल्याण समिति द्वारा उसकी काउंसलिंग कराई गई, लेकिन वह घर जाने के लिए तैयार नहीं हुई।

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राजकीय बाल गृह में रह रही बालिका

पुलिस ने बुधवार को दोबारा उसे बाल कल्याण समिति के सामने पेश किया। समिति सदस्य हेमा कुलश्रेष्ठ और बेताल निमेष, अर्चना उपाध्याय और रेनू चतुर्वेदी ने आखिर बालिका के हित में उसे राजकीय बाल गृह (बालिका) कानपुर भेजने के आदेश दिए। मामले के विवेचक एसआई हरीश ने बताया कि बालिका पांच दिन फतेहाबाद मेले में रही थी। उसके बाल मन को बहुत ठेस पहुंची है।

बालिका बोली बेरहम है पिता, मिलने नहीं आई मां

तीन बच्चों में सबसे बड़ी बालिका ने काउंसलिंग के दौरान पिता को बेरहम बताया। उसका कहना था कि तीसरी कक्षा में ही पढ़ाई छुड़वा दी। पिता छोटी-छोटी बात पर बेल्ट से पीटते हैं। कई बार उसे उल्टा लटका कर पिटाई की। वह पिटाई के कारण पांच बार घर से बाहर रह चुकी है। वहीं पिता का कहना था कि बेटी बात नहीं सुनती, इसलिए नहीं रखूंगा। वहीं उसकी मां थाने में मिलने तक नहीं पहुंची।

क्या कहता है कानून

वरिष्ठ अधिवक्ता दुर्ग विजय सिंह कहते हैं कि कानून के अनुसार यदि इस तरह की स्थिति बनती है तो बालक-बालिका को बाल कल्याण समिति के आदेश पर सरकारी आश्रय स्थल भेजा जाएगा। बालिग होने तक वह आश्रय स्थल में रहेगी। इसके बाद वह जहां जाना चाहेगी, वहां भेज दिया जाएगा।

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