UP Board: आखिरकार डेढ़ महीने का खत्म हुआ इंतजार, आरटीआई में मिले मार्कशीट के अंक
UP Board अंक देख विद्यार्थियों की नम हुई आंखें। जेडी के हस्तक्षेप पर आरटीआई में मिले अंक। डीआईओएस से आरटीआई के तहत पूछे थे अंक। कोरोना महामारी के चलते यूपी बोर्ड 2021 द्वारा परीक्षाएं नहीं कराई गई थी
By Tanu GuptaEdited By: Updated: Sat, 23 Jul 2022 05:57 PM (IST)
आगरा, जागरण संवाददाता। डेढ़ महीने के इंतजार के बाद संयुक्त शिक्षा निदेशक के हस्तक्षेप पर हाई स्कूल के विद्यार्थियों को मिले अंक देखकर विद्यार्थियों की आंखें नम हो गईं। उन्होंने कहा कि यह अधूरी खुशी है। यदि यही अंक मार्कशीट में मिल जाए तो उनका जीवन सफल हो सकता है। विद्यार्थियों ने कहा आईटीआई में मिले इन अंकों के आधार पर हक की लड़ाई की राह आसान हो जाएगी। अंक मिलने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।
बोर्ड ने कहा था स्कूल ने नहीं भेजे अंककोरोना महामारी के चलते यूपी बोर्ड द्वारा परीक्षाएं नहीं कराई गई थी। कक्षा 9 तथा हाई स्कूल प्री-बोर्ड परीक्षाओं के आधार पर विद्यार्थियों को अंक दिए गए थे लेकिन कुछ विद्यार्थियों को अंक न देकर उन्हें कोरी मार्कशीट थमा दी गईं। जब विद्यार्थियों ने यूपी बोर्ड से पत्राचार किया तो क्षेत्रीय कार्यालय मेरठ बोर्ड द्वारा बताया गया कि विद्यालय ने बोर्ड को अंक नहीं भेजे थे। अंक जानने के लिए विद्यार्थियों ने चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट नरेश पारस के मार्गदर्शन में जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय में आरटीआई दायर की लेकिन एक माह बीत जाने के बाद भी अंक उपलब्ध नहीं कराए गए।
जेडी के हस्तक्षेप पर मिले अंक आरटीआई मैं अंक ना बताने पर विद्यार्थियों ने संयुक्त शिक्षा निदेशक कार्यालय में प्रथम अपील दायर की थी। जिसकी सुनवाई संयुक्त शिक्षा निदेशक आरपी शर्मा द्वारा शनिवार को की गई। दोनों पक्ष सुनने के बाद संयुक्त शिक्षा निदेशक के आदेश पर विद्यार्थियों को अंको की सूची दी गई। जिसमें कक्षा-9, हाई स्कूल प्री-बोर्ड की लिखित परीक्षा के तथा प्रयोगात्मक परीक्षाओं के अंक भी शामिल हैं। जो विद्यालय द्वारा बोर्ड की वेबसाइट के पोर्टल पर अपलोड किए गए थे। मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर विद्यार्थियों द्वारा की गई शिकायत में क्षेत्रीय कार्यालय बोर्ड द्वारा बताया गया था कि जिन विद्यालयों ने अंक भेजे थे उन विद्यार्थियों को हाई स्कूल में अंक दे दिए गए लेकिन जिन विद्यालयों ने अंक नहीं भेजे थे उनको सामान्य रूप से प्रमोट कर दिया गया। आरटीआई से मिले जवाब में स्पष्ट हुआ कि विद्यालय द्वारा बोर्ड को अंक भेजे गए थे। बोर्ड की लापरवाही के चलते विद्यार्थियों को अंक नहीं दिए गए हैं। चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट नरेश पारस ने कहा कि आरटीआई में मिले अंकों के आधार पर आंदोलन की रणनीति तैयार की जाएगी। यदि अनुनय विनय के बाद भी अंक नहीं मिले तो हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा।
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