UP News: करोड़ों की जमीन पर कब्जा कराने को पुलिस ने दो परिवारों को फंसाया, एसओ समेत चार पुलिसकर्मी निलंबित
जगदीशपुरा क्षेत्र में करोड़ों रुपये की जमीन पर कब्जा दिलाने के लिए पुलिस ने दो भाइयों के परिवार को झूठे मुकदमों में फंसा कर जेल भेज दिया। पहले गांजे के मुकदमे में सगे भाइयों को जेल भेजा फिर अवैध शराब बनाने का मामला बनाकर भाभी और ननद को जेल भेज दिया। इसके बाद पुलिस की शह पर बैनारा फैक्ट्री के पास स्थित चार बीघा जमीन पर कब्जा कर लिया गया।
जागरण संवाददाता, आगरा। जगदीशपुरा क्षेत्र में करोड़ों रुपये की जमीन पर कब्जा दिलाने के लिए पुलिस ने दो भाइयों के परिवार को झूठे मुकदमों में फंसा कर जेल भेज दिया। पहले गांजे के मुकदमे में सगे भाइयों को जेल भेजा, फिर अवैध शराब बनाने का मामला बनाकर भाभी और ननद को जेल भेज दिया।
परिवार को जेल भेजे जाने के बाद पुलिस की शह पर बैनारा फैक्ट्री के पास स्थित चार बीघा जमीन पर कब्जा कर लिया गया। बाउंड्रीवाल पर गेट लगाकर सीसीटीवी कैमरे भी लगा दिए गए। इतना ही नहीं बचे हुए परिवार के सदस्यों को पुलिस ने डराकर मुंह बंद करा दिया।
एसओ समेत 4 पुलिसकर्मी को निलंबित
मामला डीजीपी तक पहुंचने के बाद खलबली मच गई। दो माह बाद अब तत्कालीन एसओ जगदीशपुरा जितेंद्र कुमार (वर्तमान एसओ एमएम गेट) और उनके साथ इस खेल में शामिल तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया गया। मामले में संलिप्त आबकारी विभाग के अधिकारियों के खिलाफ विभाग को रिपोर्ट दी गई है।
यह है पूरा मामला
जगदीशपुरा क्षेत्र में बैनारा फैक्ट्री के पास बीएस कांप्लेक्स के पास चार बीघा जमीन का मामला है। बोदला रोड निवासी उमा देवी ने डीजीपी से शिकायत की है। इसमें उन्होंने कहा है कि उनके ससुर सरदार टहल सिंह के नाम से खतैना में चार बीघा जमीन है। टहल सिंह और उमा के पति सरदार जसवीर सिंह की मृत्यु हो चुकी है। इसके बाद जमीन पर उमा का कब्जा था।
देखरेख के लिए सरदार टहल सिंह ने रवि कुशवाह और शंकरलाल कुशवाह को जिम्मा दिया था। करीब 35 वर्ष से दोनों परिवार के साथ इसी जमीन पर रहते हैं। रवि की पत्नी पूनम और रवि की बहन पुष्पा भी वहां रहती थीं।
पुलिस ने कब्जा कराने का ठेका लिया
बेशकीमती जमीन पर नेमचंद जैन का विवाद चल रहा था। नेमीचंद अकेले यह काम करने में सक्षम नहीं थे। कई नामी लोग उनके साथ मिल गए। पुलिस ने चर्चित एक व्यक्ति ने इसमें कब्जा कराने का पूरा ठेका ले लिया। जमीन पर जो लोग रह रहे थे उन्हें वहां से हटाया जाना था, ताकि जमीन पर कब्जा लिया जाए।
आरोप है कि इस खेल में जगदीशपुरा पुलिस भी शामिल हो गई। साजिश के तहत पहला मुकदमा 26 अगस्त 2023 को एनडीपीएस एक्ट का लिखा गया। पुलिस ने मौके से रवि कुशवाह, शंकरलाल उर्फ शंकरिया और जटपुरा निवासी ओमप्रकाश को पकड़ा।
मौके से एक वाहन बरामद दिखा। उसकी नंबर प्लेट फर्जी बताई गई। तीन पैकेट से नौ किलोग्राम गांजा बरामद दर्शाया गया। तीनों आरोपियों को जेल भेजा गया। मुकदमे में अरुण को फरार दिखाया गया, जो आज तक नहीं पकड़ा गया।
जेल भेजने के बाद रातों रात चला काम
नौ अक्टूबर को उसी जगह आबकारी निरीक्षक ने छापा मारा। मौके पर रह रहीं पूनम और उसकी ननद पुष्पा व फुरकान को पकड़ा। जगदीशपुरा थाने में आबकारी अधिनियम का मुकदमा लिखा गया। धोखाधड़ी की धाराएं भी लगाई गईं। तीनों को जेल भेजा गया। जगह खाली हो गई। उसके बाद वहां रातों रात काम चला। जगह-जगह से टूटी पड़ी बाउंड्री वाल बनवाई गई। उस पर पुताई कराई गई।
सीसीटीवी कैमरे लगवाए गए। दो सिक्योरिटी गार्ड तैनात कर दिए गए। जमीन पर कब्जा दिलाने में मदद करने वाले नामी लोग अब वहां प्लाट काट रहे हैं। दो बार एडीए कार्रवाई भी कर चुका है।
डीजीपी ऑफिस पहुंची शिकायत
उमा की शिकायत पर डीजीपी ऑफिस से जांच के लिए एक सीओ स्तर के अधिकारी मौके पर आए। यहां आसपास के लोगों के बयान लिए। इसके बाद भी इस खेल में शामिल पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई नहीं की गई।
मीडिया के दखल के बाद सक्रिय हुए अधिकारी
शुक्रवार को मीडियाकर्मियों के सवाल-जवाब करने पर स्थानीय अधिकारी सक्रिय हो गए। इसके बाद पुलिस आयुक्त ने डीसीपी सिटी से रिपोर्ट ली। डीसीपी सिटी सूरज कुमार राय ने अपनी रिपोर्ट में तत्कालीन एसओ जगदीशपुरा जितेंद्र कुमार, जितेंद्र कुमार, मुख्य आरक्षी उपेंद्र मिश्रा, शिवराज सिंह व आरक्षी रविकांत व एसआई विकास कुमार को दोषी माना। उन्होंने सभी की भूमिका को संदिग्ध माना।
उन्होंने यह भी लिखा है कि दोषी पुलिसकर्मियों की जमीन पर कब्जा कराने में सक्रिय संलिप्तता से भी इनकार नहीं किया जा सकता है। डीसीपी की रिपोर्ट के आधार पर पुलिस आयुक्त ने एसओ और टीम में शामिल हेड कांस्टेबल और कांस्टेबल को निलंबित कर दिया।
निलंबन के लिए सहारनपुर भेजी रिपोर्ट
एसओ विकास कुमार का सहारनपुर तबादला हो गया है। उनके निलंबन के लिए वहां रिपोर्ट भेज दी गई है। मामले की विभागीय जांच एसीपी हरीपर्वत को दे दी गई है। इसके साथ ही आबकारी अधिनियम के तहत मुकदमा लिखाने वाले आबकारी विभाग के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई को रिपोर्ट दी जा रही है।