UP PCS J: दोहरी खुशी लेकर आया राखी का त्योहार, आगरा के भाई-बहन बने जज, शैलजा ने प्रदेश में पाई 51वीं रैंक
UP PCS J रक्षाबंधन पर न्यायिक सेवा में चमके खंदौली के भाई-बहन। शैलजा ने प्रदेश में पाई 51वीं रैंक सुधांशु को मिली 276वीं रैंक। पिता सेवानिवृत्त न्यायाधीश भाई अर्जित भदोही में हैं सिविल जज। शैलजा का कहना है कि सफलता के लिए शार्टकट नहीं होता है। गांव के दो बच्चों को मिली कामयाबी पर पूरे गांव में खुशी का माहौल है।
By Jagran NewsEdited By: Abhishek SaxenaUpdated: Thu, 31 Aug 2023 07:52 AM (IST)
आगरा, जागरण संवाददाता। भाई-बहन के पवित्र बंधन का त्योहार रक्षाबंधन खंदौली के नगला अर्जुन के परिवार के लिए दोहरी खुशियां लेकर आया। सेवानिवृत्त न्यायाधीश आरबी सिंह मौर्य और डा. सुमन लता की बेटी शैलजा और बेटे सुधांशु ने उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा (सिविल जज, जूनियर डिवीजन) में सफलता प्राप्त की। शैलजा की प्रदेश में 51वीं और सुधांशु की 276वीं रैंक आई है।
गांव में खुशियां छा गईं
रक्षाबंधन पर भाई-बहन के चयन से परिवार और गांव में खुशियां छा गईं। शैलजा और सुधांशु ने सेल्फी स्टडी से यह मुकाम पाया है। परिवार से मिले माहौल ने उन्हें सफलता के पथ पर आगे बढ़ने को प्रशस्त किया। 25 वर्षीय शैलजा ने वर्ष 2021 में नेशनल ला यूनिवर्सिटी से गोल्ड मेडल के साथ बीएएलएलबी और वर्ष 2022 में एलएलएम किया था। वहीं, उनके 22 वर्षीय भाई सुधांशु ने वर्ष 2022 में नेशनल ला यूनिवर्सिटी से ही बीएएलएलबी की। उनकी स्कूलिंग बाराबंकी में हुई थी। पहले प्रयास में ही दोनों ने उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा (सिविल जज, जूनियर डिवीजन) की परीक्षा उत्तीर्ण कर परिवार को दोहरी खुशी दी।
बड़े भाई अर्जित सिंह भदोही में सिविल जज के पद पर तैनात
सेवानिवृत्त न्यायाधीश आरबी सिंह मौर्य और डा. सुमन लता ने कहा कि बेटी और बेटे ने सफलता के लिए कड़ी मेहनत की थी। इससे बड़ी खुशी हमें नहीं मिल सकती थी। परिवार में खुशी का माहौल है। शैलजा और सुधांशु के बड़े भाई अर्जित सिंह भदोही में सिविल जज के पद पर तैनात हैं।सफलता का शार्ट कट नहीं, कठिन परिश्रम करें
उत्तर प्रदेश न्यायिक सेवा (सिविल जज, जूनियर डिवीजन) की परीक्षा में एत्मादपुर के नगला अर्जुन की शैलजा ने 51वीं रैंक प्राप्त कर शहर का मान बढ़ाया। दैनिक जागरण ने प्रथम प्रयास में ही सफलता के बारे में शैलजा से पूछा तो उन्होंने कहा कि सफलता का कोई शार्ट कट नहीं होता। कठिन परिश्रम करने से ही सफलता मिलती है।
सवाल
न्यायिक अधिकारी बनने का लक्ष्य कब बनाया और कब से तैयारी शुरू की?जवाब: वर्ष 2015 में न्यायिक अधिकारी बनने का लक्ष्य बनाया। बीएएलएलबी और एलएलएम इसी उद्देश्य से किया।सवाल: प्रथम प्रयास में सफलता मिले, इसके लिए कैसे तैयारी की?जवाब: हम दोनों भाई-बहन मिलकर तैयारी करते थे। कभी कोई दिक्कत होती थी तो एक-दूसरे से पूछकर उसका समाधान करते थे। पिता और बड़े भाई से भी काफी सहयोग मिला। इससे प्रथम प्रयास में ही सफलता मिली।
सवाल: न्यायिक सेवा को क्यों चुना? जनता के हित में कैसे काम करेंगी?जवाब: पिता न्यायिक सेवा में रहे और बड़े भाई अर्जित सिंह सिविल जज हैं। उन्हें देखते हुए न्यायिक सेवा को चुना। जनता को उचित न्याय देकर उसकी सेवा करूंगी।सवाल: तैयारी के लिए कोचिंग ली या सेल्फ स्टडी की? प्रेरणा किससे मिली?जवाब: हम भाई-बहन ने घर में रहकर ही पढ़ाई की। पिता और बड़े भाई से प्रेरणा मिली। सफलता का श्रेय उन्हें ही देना चाहूंगी।
सवाल: न्यायिक सेवा की तैयारी करने वाले युवाओं को तैयारी कैसे करनी चाहिए? उन्हें क्या संदेश देना चाहेंगी? जवाब: 12वीं के बाद ही लक्ष्य निर्धारित कर तैयारी करें। सफलता पाने का कोई शार्ट कट नहीं है। मेहनत में कोई कमी नहीं रखें, सफलता कठिन परिश्रम से ही मिलती है।सवाल: रक्षाबंधन पर भाई-बहन को एक साथ सफलता मिली है। तैयारी एक साथ की या अलग-अलग?
जवाब: रक्षाबंधन के दिन परिणाम आने की उम्मीद नहीं थी। सफलता प्राप्त कर बहुत अच्छा लग रहा है। दोनों ने मिलकर परीक्षा की तैयारी की थी।
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