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Urawar Hastarf: यूपी के फिरोजाबाद का एक ऐसा गांव जिसका नाम है उसकी खास पहचान, दिलचस्प है इतिहास

Urawar Hastarf फिरोजाबाद जनपद का एक गांव का इतिहास बहुत दिलचस्प है। Lucknow Express Way पर बनी पुलिस चौकी का बोर्ड खींचता है ध्यान। 1211 में आए राजस्थानी सौंदेले यदुवंशियों ने यहां पर की थी जमींदारी। शिक्षा और सेना के क्षेत्र में गांव की है पहचान

By Abhishek SaxenaEdited By: Updated: Fri, 09 Sep 2022 03:31 PM (IST)
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Urawar Hastarf: फिरोजाबाद जनपद में उरावर हस्तरफ पुलिस चौकी।
डा.राहुल सिंघई, फिरोजाबाद। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस वे पर 64 वें किमी पर बनी पुलिस चौकी पर लगा बोर्ड यहां से गुजरने वाले लोगों का ध्यान खींचता है। बोर्ड पर लिखा यह नाम है उरावर हस्तरफ है। जिसका नामकरण यहां के गांव के नाम पर किया गया है।

जागरण ने इस अटपटे नाम वाले गांव की पड़ताल की तो इसका इतिहास अनूठा मिला। यदुवंशियों की जमींदारी वाले गांव उरावर हस्तरफ से शिक्षा की अलख जगी तो जिले में यह फौजियाें का गांव भी रहा। 1211 में राजस्थान मूल के यदुवंशियों के जमींदार घराने के लिए सेना में उच्च पदों पर रहे। इस गांव का रिश्ता हरियाणा के रेवाड़ी राजघराने से भी जुड़ा है।

उरावर हस्तरफ का लंबा है इतिहास

फिरोजाबाद जनपद की सिरसागंज तहसील के मदनपुर ब्लाक का गांव उरावर हस्तरफ का लंबा इतिहास है। जयपुर राजस्थान के विराटनगर के राजा कमलनयन सिंह यदुवंशी से इस गांव का रिश्ता जुड़ता है। सन 1211 में कमलनयन के वंशज विराटनगर छोड़ भरतपुर के सौ गांव में आकर बसे।

इसके बाद यहां से निकलने यदुवंशियों का गोत्र सौंदेले हो गया। पश्चिमी उप्र के बदायूं में बसने के बाद आठ लोग यमुना किनारे उरावर में आए और यहां जमींदारी की। इसके बाद गांव से आसपास सौंदेलों के सोलह गांव है।

उर्रा मल्लाह के नाम पर उरावर और खास के लिए जुड़ा हस्तरफ

उरावर हस्तरफ में सौंदेले जमींदारी की वंशज और पूर्व प्रधान सचिन यादव की शिकोहाबाद में उरावर हाउस के नाम से कोठी है। सचिन यादव बताते हैं कि उनके वंशजों ने यहां पर जमींदारी की। यदुवंशियों के आने से पहले यहां मल्लाह रहते थे, जिनमें एक सर्वमान्य नेता उर्रा मल्लाह था।

उसी के नाम पर गांव का नाम उरावर था। बाद में यदुवंशी बस गए और इसे खास बनाया। फारसी में हस्तरफ का मतलब विशेष या खास होता है। इसलिए गांव उरावर हस्तरफ हो गया। यह गांव कई मायनों में खास रहा है।

बाबा श्याम सिंह ने जगाई थी शिक्षा की अलख

यदुवंशियों के वंशजों में से एक बाबा श्याम सिंह ने शिक्षा की अलख जगाई। उन्होंने 1916 में शिकोहाबाद में अहीर कालेज की स्थापना की। अपने जमाने का यह महत्वपूर्ण शिक्षण संस्थान था। इस कालेज में मुलायम सिंह यादव समेत कई बड़े नेताओं ने पढ़ाई की।

पूर्व एमएलसी डा.असीम यादव बताते हैं कि अहीर कालेज क्षेत्र का सबसे पुराना कालेज रहा। बाद में संस्थानों से जातीय नाम हटाए जाने के बाद इसका नाम आदर्श कृष्ण कालेज कर दिया गया। शताब्दी वर्ष मना चुके कालेज की आज भी उच्च संस्थानों में गिनती होती है।

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फौज से लेकर सियासत तक रहा उरावर हस्तरफ का नाम

इस गांव का नाम हर क्षेत्र में हुआ। अहीर कालेज की स्थापना कराने वाले बाबा श्याम सिंह ने सेना की भर्ती का केंद्र गांव में खुलवाया था। उनके बेटे निहाल सिंह कैप्टन रहे और छोटे बेटे सूर्यकुमार यादव स्क्वाड्रन लीडर रहे। बाद में वे संघ में शामिल हो गए।

श्याम सिंह के तीसरे बेटे लायक सिंह की बेटी प्रभावती का विवाह हरियाणा की रेवाड़ी रियासत के महाराज राव वीरेंद्र सिंह के साथ हुआ था, जो हरियाणा के मुख्यमंत्री भी रहे।

गांव वाले कहते हैं उरावर हस्तरफ की अमिट है पहचान

बाहर वालों के लिए भले ही गांव का नाम अटपटा लगे लेकिन गांव वाले इसे अमिट पहचान मानते हैं। गांव के लोग कहते हैं कि हमारे लिए यह नाम अटपटा नहीं बल्कि गर्व की बात है।

इस गांव में अब भी जमींदारों की हवेली है। वहीं नगला खंगर थाने की पुलिस चौकी के संबंध में नामकरण के बारे में पुलिस अधिकारी कहते हैं कि चौकी का नाम शासन स्तर पर गांव के नाम उरावर हस्तरफ पर रखा गया है। 

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