Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

Vivah Panchami 2022: दो विशेष योग के साथ 28 को है विवाह पंचमी, श्रीराम और कृष्ण से जुड़े पर्व का है ये महत्व

Vivah Panchami 2022 मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को विवाह पंचमी कहते हैं। त्रेता युग में भगवान और सीता का इस दिन विवाह हुआ था। वहीं बांके बिहारी जी का इसी दिन प्राकट्य दिवस भी मनाया जाता है। ये दिन विहार पंचमी के नाम से प्रसिद्ध है।

By Tanu GuptaEdited By: Updated: Wed, 23 Nov 2022 12:38 PM (IST)
Hero Image
28 काे है सीता राम जी के विवाह और बांके बिहारी जी के प्राकट्य की पंचमी तिथि।

आगरा, तनु गुप्ता। 28 नवंबर, मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की पंचमी का दिन राम और कृष्ण दोनों के भक्तों के लिए विशेष है। मिथिलांचल में विवाह पंचमी और ब्रज में विहार पंचमी के दिन के नाम से प्रसिद्ध इस विशेष दिन को भगवान राम और श्रीकृष्ण के भक्त उत्सव की तरह मनाते हैं। ये हो भी क्यों न। त्रेता युग में इस शुभ तिथि पर भगवान राम और सीता जी का विवाह संपन्न हुआ था वहीं कलिकाल में ब्रज धाम वृंदावन में बांके बिहारी जी का प्राकट्य भी हुआ। राम कहें या कृष्ण दोनों ही भगवान विष्णु के अवतार हैं। उनके भक्तों के लिए इस दिन को उत्सव के रूप में मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है।

यह भी पढ़ेंः Agra Metro Rail Project: मेट्रो रेल प्रोजेक्ट पहुंचा अब नेशनल हाईवे पर, कर लें रफ्तार पर अंकुश की तैयारी

विवाह पंचमी पर बन रहे हैं शुभ योग

धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी के अनुसार इस साल मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की विवाह पंचमी तिथि 27 नवंबर 2022 को शाम 04 बजकर 25 मिनट से शुरू हो रही है और 28 नवंबर को दोपहर 01 बजकर 35 मिनट पर समाप्त हो रही है। उदया तिथि के अनुसार इस साल विवाह पंचमी 28 नवंबर को है। विवाह पंचमी पर अभिजित मुहूर्त, सुबह 11 बजकर 53 मिनट से दोपहर 12 बजकर 36 मिनट तक का है। अमृत काल, शाम 05 बजकर 21 मिनट से लेकर अगले दिन सुबह 06 बजकर 55 मिनट तक है और सर्वार्थ सिद्धि योग, सुबह 10 बजकर 29 मिनट से लेकर अगले दिन सुबह 06 बजकर 55 मिनट तक है। वहीं रवि योग, सुबह 10 बजकर 29 मिनट से लेकर अगले दिन सुबह 06 बजकर 55 मिनट तक।

विवाह पंचमी पूजन विधि

पंचमी तिथि के दिन सुबह उठकर स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनने के बाद श्री राम का ध्यान पूरे मन से करें। एक चौकी पर गंगाजल छिड़ककर उसे शुद्ध करें और आसन बिछाएं। अब चौकी पर भगवान राम- माता सीता की प्रतिमा स्थापित करें। राम को पीले और सीता जी को लाल वस्त्र पहनाएं करें। दीपक जलाकर दोनों का तिलक करें। फल- फूल और नैवेद्य अर्पित कर विधि- विधान के साथ पूजा करें। पूजा करते हुए बालकाण्ड में दिए गए विवाह प्रसंग का पाठ करें। इस दिन रामचरितमानस का पाठ करने से जीवन और घर में सुख- शांति बनी रहती है।

यह भी पढ़ेंः Agra Crime News: दवा की दुकान पर काम करने वाला, बन गया गिराेह का सरगना, पढ़ें Inside Story

ब्रज में बिहार पंचमी का महत्व

स्वामी हरिदास के लडै़ते ठा. बांकेबिहारी का प्राकट्योत्सव बिहार पंचमी के रूप में मनाया जाता है। स्वामी हरिदास की साधना से प्रसन्न होकर वृंदावन स्थित निधिवन में विक्रम संवत 1563 की मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की पंचमी को ठा. बांकेबिहारी प्रकट हुए थे। आज यहां निधिवन राज मंदिर है। यहां ठा. बांकेबिहारी की प्राकट्यस्थली आज भी मौजूद है। इसी दिन को ब्रज में बिहार पंचमी के रूप में मनाया जाता है। स्वामी हरिदास निधिवन के कुंजों में प्रतिदिन नित्य रास और नित्य विहार का दर्शन करते थे। अत्यंत सुंदर पद गाया करते थे। स्वामी हरिदास को राधारानी की सखी ललिता सखी का अवतार बताया जाता है।

चांदी के डोले में बैठ बधाई देने निकलेंगे स्वामी हरिदास

प्राकट्योत्सव पर निकलने वाली बधाई यात्रा में प्रतीकात्मक तौर पर स्वामी हरिदास निधिवन राज मंदिर से चांदी के डोले में बैठ शोभायात्रा के साथ बधाई देने बांकेबिहारी मंदिर जाएंगे। करीब डेढ़ सौ साल से इसी तरह बधाई यात्रा निकलती आ रही है। 

धर्म वैज्ञानिक पंडित वैभव जोशी

लोकल न्यूज़ का भरोसेमंद साथी!जागरण लोकल ऐपडाउनलोड करें