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आगरा में धरने पर बैठी पुलवामा शहीद की वीर नारी ने अन्न त्यागा

सरकार और प्रशासन पर वादाखिलाफी का आरोप लगा दूसरे दिन भी जारी रहा धरना। शहीद कौशल के परिवार का एलान आश्वासन के अमलीजामा पहनने के बाद उठेंगे। कौशल कुमार रावत समेत यूपी के 12 अन्य जवान भी शहीद हुए थे।

By Tanu GuptaEdited By: Updated: Fri, 02 Jul 2021 04:55 PM (IST)
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पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए कौशल के परिजन धरने पर बैठे हुए।
आगरा, जागरण संवाददाता। पुलवामा आतंकी हमले में शहीद कौशल कुमार रावत की वीर नारी का परिवार समेत धरना शुक्रवार को भी जारी रहा। प्रशासनिक अधिकारियों के रवैये से क्षुब्ध वीर नारी ने गुरुवार को अन्न त्याग दिया है। वीर नारी और परिवार का आरोप है कि दो साल पहले सरकार और प्रशासन ने कई वादे किए थे। इनमें से अधिकांश वादे आज तक पूरे नहीं किए हैं। इसे लेकर वह लखनऊ से लेकर आगरा के अधिकारियों के 200 से ज्यादा चक्कर काट चुके हैं। सरकार और प्रशासन जब तक उन्हें दिए गए आश्वासनों को अमलीजामा नहीं पहनाती, परिवार धरने से नहीं उठेगा।

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आतंकी हमले में शहीद होने वालों में आगरा के थाना ताजगंज के कहरई गांव के कौशल कुमार रावत भी शामिल थे। कौशल कुमार का पार्थिव शरीर अंतिम संस्कार के लिए आगरा लाया गया था। वीर नारी ममता रावत ने बताया कि उस समय सरकार, प्रशासन के अधिकारियों और नेताओं ने कई वादे किए थे। इनमें प्रमुख रूप से शहीद द्वार बनाने, स्कूल और गांव की सड़क का नाम शहीद के नाम पर रखने की कहा था। इसके साथ ही गांव के विकास और वहां सड़क बनवाने की कहा था।

प्रशासन ने शहीद की प्रतिमा को स्थापित करने के साथ ही जीवन यापन को जमीन देने का आश्वासन भी दिया था। जीवन यापन तो दूर की बात शहीद स्मारक बनाने के लिए भी प्रशासन ने जमीन उपलब्ध नहीं कराई। उन्हाेंने अपनी जमीन पर शहीद स्मारक बनाया। शहीद के पुत्र अभिषेक ने बताया पुलवामा हमले में पिता कौशल कुमार रावत समेत यूपी के 12 अन्य जवान भी शहीद हुए थे। अभिषेक का दावा है कि इनमें अन्य जिलों के 11 शहीदों के परिवार को तीन से पांच बीघा जमीन मिल चुकी है। जबकि उन्हें 28 महीने बाद भी एक इंच जमीन नहीं दी गई है।

प्रशासन के रवैये से क्षुब्ध शहीद की वीर नारी ममता रावत गुरुवार की सुबह परिवार के साथ शहीद पति के स्मारक के सामने धरने पर बैठी थीं। उन्होंने शुक्रवार की सुबह से अन्न त्याग कर दिया है। वह सिर्फ जल ग्रहण कर रही हैं। वीर नारी ने कहा कि सरकार और प्रशासन के अधिकारियों द्वारा दिए आश्वासन अमलीजामा नहीं पहनते, वह धरने से नहीं उठेंगी। धरने पर बैठने वालों में शहीद की वीर नारी ममता रावत, भाई कमल किशोर रावत, बेटा अभिषेक, बेटी अपूर्वा, भतीजा आकाश और साले मुकेश पचौरी आदि शामिल हैं।

उल्टे पांव लौटे अधिकारी

शहीद के परिवार द्वारा धरना देने की जानकारी होने पर गुरुवार की शाम को प्रशासनिक अधिकारी वहां पहुंचे थे। उन्होंने परिवार को समझाने का प्रयास किया। मगर, शहीद के स्वजन का कहना था कि जब तक सभी आश्वासन पूरे नहीं हो जाते, वह धरने से नहीं उठेंगे। इसके चलते अधिकारी उल्टे पांच लौट आए।

परिवार को नहीं मिली शिक्षा विभाग द्वारा दी गई धनराशि

बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से शहीद कौशल कुमार रावत के परिवार को अपना एक दिन का वेतन दिया गया था। यह धनराशि 65 लाख 57 हजार रुपये थी। वीर नारी और उनके परिवार का कहना है कि प्रशासन द्वारा यह धनराशि भी उन्हें अभी नहीं दी गई है।

शहीद के परिवार के समर्थन में आए गांव वाले

धरने पर बैठे शहीद के परिवार के समर्थन में गांव वाले भी एकजुट हो रहे हैं। वह बारी-बारी से परिवार के साथ धरने में शामिल हो रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार और प्रशासन के अधिकारियों को अपना वादा पूरा करना चाहिए।

अधिकारियों के चक्कर काट घनचक्कर बना परिवार

शहीद कौशल कुमार रावत की पत्नी ममता और बेटे अभिषेक ने बताया कि वह लखनऊ से लेकर आगरा तक के अधिकारियों के चक्कर काट कर वह घनचक्कर बन चुके हैं। लखनऊ में सिर्फ एक बार मुख्यमंत्री से उनकी मुलाकात हुई थी। अधिकारियों के कार्यालय के यहां काटे गए चक्कर निम्न हैं

-150: 28 महीने में डीएम कार्यालय के चक्कर काटे, हर बार आश्वासन मिला, कोई ठोस नतीजा नहीं निकला

-15: 28 महीने के दौरान विधायकों और सांसदों के यहां चक्कर काटे, आश्वासन दिया पर काम नहीं किया

-07: 28 महीने के दौरान लखनऊ के चक्कर काटे, एक बार मुख्यमंत्री से मुलाकात हुई। इसके बाद सचिवों के कार्यालय तक जाकर लौट आए। 

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