Self Help Groups: कोराेना काल में बंद रहे स्कूलों को आगरा में महिलाओं ने बनाया ऐसे कमाई का जरिया
स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं ने स्कूल ड्रेस तैयार किए। इससे एक-एक महिला ने 30 से 35 हजार रुपये की आमदनी की। घर-घर जाकर बच्चों के नाप लेकर ये स्कूल ड्रेस तैयार किए। जिले में 126 स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं ने 368378 स्कूल ड्रेस तैयार किए।
आगरा, जागरण संवाददाता। कोरोना काल में बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूल भले ही बंद रहे हों लेकिन इससे भी महिलाओं को रोजगार मिला। स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं ने स्कूल ड्रेस तैयार किए। इससे एक-एक महिला ने 30 से 35 हजार रुपये की आमदनी की। घर-घर जाकर बच्चों के नाप लेकर ये स्कूल ड्रेस तैयार किए।
मार्च 2020 से सभी बेसिक शिक्षा विभाग के सभी स्कूल बंद चल रहे हैं। जुलाई से नया सत्र शुरू हुआ। इस दौरान प्रवेश प्रक्रिया जारी रही। आनलाइन पढ़ाई पर जोर दिया गया। हालांकि इससे उद्देश्य पूर्ति नहीं हो सकी। शासन के निर्देश पर प्रवेश पाने वाले स्कूली बच्चों की ड्रेस तैयार की गईं। जिले में 126 स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाओं ने 3,68,378 स्कूल ड्रेस तैयार किए। ये काम इतना आसान भी नहीं था। सबसे बड़ी मुश्किल बच्चों के नाप की थी। विद्यालय के प्रधानाचार्य से स्कूली बच्चों की सूची लेने के बाद ड्रेस तैयार करने वाली महिलाओं ने घर-घर जाकर बच्चों के नाप लिए। इसके बाद यह स्कूल ड्रेस तैयार किए गए। काम थोड़ा मुश्किल था लेकिन महिलाओं को रोजगार का एक बेहतर अवसर मिला। इसके लिए महिलाओं ने सरकारी मदद भी ली। साईं बाबा समूह से जुड़ी कोलारा कला की राजकुमारी ने सामुदायिक निवेश निधि से सरकारी सहायता से सिलाई मशीन, कटर मशीन ली। इससे उन्होंने सरकारी स्कूलों की ड्रेस बनाने का काम शुरू किया। साकार मातेश्वरी स्वयं सहायता समूह की हेड पूनम सिंह का कहना है कि हमने 43 हजार स्कूली ड्रेस तैयार की हैं। इसमें हमने 1500 से अधिक महिलाओं को रोजगार दिया। एक-एक महिला ने 30 से 35 हजार रुपये की आमदनी की।