ताजनगरी की महिलाओं ने आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ाया कदम, समूह बना गांव में खोल दिया जूता कारखाना
ताजगंज के गांव गढ़ी नवलिया की महिलाओं ने आत्मनिर्भरता ओर कदम बढ़ाते हुए सीएफटीआई से प्रशिक्षण लिया और खुद का समूह खड़ा कर जूता कारखाना खोल दिया। खादी ग्रामोद्योग आयोग ने इनकी आर्थिक मदद की। जिससे महिलाओं के जज्बे को सहारा मिला और उन लोगों ने कड़ी मेहनत और हौसले के बल पर खुद को काबिल बनाया। ये महिलाएं आधी आबादी के लिए मिसाल हैं।
आगरा, अली अब्बास। ताजगंज के गांव गढ़ी नवलिया में काम की तलाश में निकली 10 महिलाओं ने अपना खुद का समूह खड़ा कर जूता कारखाना खोल दिया। इसके लिए उन्होंने केंद्रीय पादुका प्रशिक्षण संस्थान सीएफटीआइ से प्रशिक्षण लिया। खादी ग्रामोद्योग आयोग समूह की आर्थिक मदद को आगे आया। उसने चार लाख रुपये की आर्थिक सहायता की। महिलाओं को काम मिलने के साथ ही उन्होंने आत्मनिर्भरता की ओर एक कदम बढा दिया है।
ऐसे शुरू हुआ सफर
बात दो वर्ष पहले की है। ताजगंज के गांव गढ़ी नवलिया की शीला यादव, रीना यादव किशेारी समेत कई महिलाएं काम की तलाश में थी। इससे कि परिवार की आर्थिक जिम्मेदारी में अपना सहयोग दे सकें। इसी दौरान इन महिलाओं की मुलाकात समूह सखी बबली से हुई। उन्होंने महिलाओं को अलग-अलग काम तलाशने की जगह समूह बनाकर खुद का कोई काम करने की सलाह दी। शीला और किशोरी को बात जंच गई। उन्होंने गांव की ऐसी महिलाओं से संपर्क किया, जो उनकी तरह काम की तलाश कर रही थीं।
नवंबर 2021 में शीला देवी, रीना देवी, किशोरी कुशवाह समेत महिलाओं ने गुरु शक्ति स्वयं सहायता समूह बनाकर बैंक में खाता खोला। इसके बाद सभी महिलाओं ने एकमत से प्रशिक्षित जूता कारीगर बनने का निर्णय किया। फरवरी 2022 में सिकंदरा औद्योगिक क्षेत्र में सीएफटीआइ के कार्यालय पहुंची। संस्थान के निदेशक सनातन साहू ने महिलाओं के जज्बे को देखते हुए उन्हें दो महीने का प्रशिक्षण दिया।
बबली और शीला यादव ने बताया कि समूह को कारखाने के लिए पांच लाख रुपये की मशीन चाहिए थीं। एक लाख रुपये समूह ने अपने अपने पास से लगाया। चार लाख रुपये की आर्थिक मदद खादी ग्रामोद्योग आयोग द्वारा की गई। आयोग के अध्यक्ष मनोज कुमार ने दिसंबर 2022 में कारखाने का आनलाइन उद्घाटन किया। इसी के साथ काम मिलना आरंभ हो गया।
मधु यादव ने दिया काम
अशोक नगर की रहने वाली मधु यादव मधुरम इंडस्ट्रीज की मालिक हैं। उन्होंने महिलाओं का काम के प्रति जुनून देख उन्हें आगे बढ़ाने का फैसला किया। महिलाओं को करीब पांच लाख रुपये का कच्चा माल उपलब्ध कराया। समूह कारखाने में तैयार जूतों को वह खरीदती हैं। मधु यादव बताती हैं कि समूह को लेकर भविष्य की याेजनाएं बना रखी हैं।
हर महीने कमा रहीं दो से तीन हजार
समूह की सखी बबली बताती हैं कि महिलाएं हर महीने दो से तीन हजार रुपये कमा रही हैं। जो उनके आत्मनिर्भर बनने की दिशा में एक कदम है। जैसे-जैसे काम मिलेगा, आय भी बढ़ेगी।