World Breastfeeding Week: कोरोना संक्रमित होने पर भी कराएं स्तनपान, फायदे के साथ पढ़ें काम की बातें
World Breastfeeding Week आज से शुरू हो चुका है विश्व स्तनपान सप्ताह। धात्री माताओं को स्तनपान के लिए किया जाएगा जागरूक। बच्चों को घर पर बना तरल और ऊपरी आहार दो से तीन चम्मच देना चाहिए। व्यावसायिक शिशु आहार जैसे डिब्बा बंद दूध बोतल का प्रयोग बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
By Tanu GuptaEdited By: Updated: Sun, 01 Aug 2021 02:42 PM (IST)
आगरा, जागरण संवाददाता। एक अगस्त से जनपद में विश्व स्तनपान सप्ताह की शुरुआत हो रही है। सात अगस्त तक चलने वाले इस सप्ताह में धात्री माताओं को स्तनपान कराने के लिए जागरुक किया जाएगा। इस साल विश्व स्तनपान सप्ताह की थीम स्तनपान सुरक्षा की जिम्मेदारी, साझा जिम्मेदारी रखी गई है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. अरुण कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि उन्होंने कहा कि कोविड के संक्रमण काल में मां का दूध बच्चे लिए सबसे अच्छा है, इससे बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी। इसलिए धात्री माताएं कोविड-19 प्रोटोकाल का पालन करते हुए स्तनपान जारी रखें। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के नोडल आफिसर डा. संजीव वर्मन ने बताया कि कोविड के दौरान भी स्तनपान कराया सकता है। साफ हाथों से नवजात को छुएं और हाथों को साबुन पानी से 40 सेकेंड तक धोते रहें। बच्चे को दूध पिलाते समय मास्क लगाएं। जिस सतह पर बैठ कर स्तनपान कराएं उसे साफ रखें और सैनिटाइज करें। यदि किसी कारणवश मां बीमार है और दूध नहीं पिला सकती है तो दूध को साफ हाथों से कटोरी में निकाल कर चम्मच से पिलाएं। शिशु का साप्ताहिक वजन करके मातृ एवं सुरक्षा कार्ड में अंकित भी करवाना अनिवार्य है।
जिला सामुदायिक प्रोग्राम मैनेजर डा. विजय सिंह ने बताया कि छह माह के शिशु का पूरक आहार शुरू किया जा सकता है। बच्चों को घर पर बना तरल और ऊपरी आहार दो से तीन चम्मच देना चाहिए। व्यावसायिक शिशु आहार जैसे डिब्बा बंद दूध, बोतल का प्रयोग बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
काम की बातें - यदि केवल स्तनपान कर रहा शिशु 24 घंटे में छह से आठ बार पेशाब करता है, स्तनपान के बाद कम से कम दो घंटे की नींद ले रहा है और उसका वजन हर माह करीब 500 ग्राम बढ़ रहा है, तो इसका मतलब है कि शिशु को मां का पूरा दूध मिल रहा है।
स्तनपान कराने के फायदेसर्वोच्च मानसिक विकास में सहायक, संक्रमण से सुरक्षा (दस्त-निमोनिया), दमा एवं एलर्जी से सुरक्षा। जन्म के पश्चात बच्चेदानी के जल्दी सिकुड़ना व रक्तस्राव एवं एनीमिया से बचाव, कारगर गर्भनिरोधक, मोटापा कम करने और शरीर को सुडौल बनाने में सहायक,स्तन एवं अंडाशय के कैंसर से बचाव।
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