Migrated Birds: इस साल मौसम में बदलाव, समय से एक महीने पहले ही विदेशी परिंदाें ने आगरा में डाला डेरा
विश्व प्रवासी पक्षी दिवस मनाया जा रहा है शनिवार को। आगरा में हर साल सर्दियाें में हर साल आते हैं विभिन्न प्रजातियाें के विदेशी पक्षी। इस बार समय से पहले ही दिखने लगे नजारे। जलवायु परिवर्तन से बदल रहे मौसम चक्र का माना जा रहा है प्रभाव।
आगरा, निर्लाेष कुमार। मौसम में बदलाव के साथ आगरा में विदेशी परिंदे भी नजर आने लगे हैं। यहां वैटलैंड्स पर उनकी अठखेलियां देखने को मिल रही हैं। शनिवार को विश्व प्रवासी पक्षी दिवस है। ताजनगरी में एक माह पहले ही प्रवासी पक्षियों ने डेरा डाल लिया है। पक्षी विज्ञानी इसकी वजह जलवायु परिवर्तन से बदल रहे मौसम चक्र को बता रहे हैं।
अक्टूबर के आखिरी सप्ताह में आते थे
जिले में प्रवासी पक्षियों का आगमन अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से शुरू होता है। इस वर्ष सितंबर के अंतिम सप्ताह में ही प्रवासी पक्षियों का आना शुरू हो गया है। जोधपुर झाल व अन्य वेटलैंड्स पर वेडर व शोर बर्ड दिखाई दे रहे हैं। नोर्दन शोवलर, नोर्दन पिनटेल, वुड सैंडपाइपर, कामन सैंडपाइपर, कामन ग्रीनशैंक, गेडवाल और रफ यहां नजर आ रहे हैं। जोधपुर झाल पर पीएचडी कर रहे शोधार्थी शम्मी सैयद ने बताया कि इस वर्ष अप्रत्याशित बारिश होने से यहां दलदल तैयार हो गया है, जिसके चलते प्रवासी पक्षी समय से पहले पहुंच गए हैं।
यह प्रजातियां आती हैं
आगरा में सूर सरोवर पक्षी विहार, जोधपुर झाल, बाह का चंबल क्षेत्र, ताज नेचर वाक, यमुना नदी के क्षेत्र, सेवला आदि वेटलैंड्स पर प्रवासी पक्षी आते हैं। इनमें सर्दियों में आने वाली वेडर बर्ड, शोर बर्ड और डक परिवार की प्रजातियां शामिल हैं। इनमें मुख्य रूप से रोजी पेलिकन, ग्रेटर फ्लेमिंगो, रेड-क्रेस्टेड पोचार्ड, कामन पोचार्ड, बार-हेडेड गूज, पाइड एवोसेट, नोर्दन शोवलर, नोर्दन पिनटेल, कामन टील, ग्रे-लैग गूज, रूडी शेल्डक, कामन शेल्डक, मलार्ड, गारगेनी, गेडवाल आदि हैं।
सेंट्रल एशियन फ्लाई-वे से आते हैं प्रवासी पक्षी
बीआरडीएस के पक्षी विशेषज्ञ डा. केपी सिंह बताते हैं कि भारत में प्रवासी पक्षी सेंट्रल एशियन फ्लाई-वे से आते हैं। सेंट्रल एशियन फ्लाई-वे उत्तर, मध्य व दक्षिण एशिया और ट्रांस-काकेशस के 30 देशों को कवर करता है। इनमें मध्य एशियाई और यूरोपीय देश शामिल हैं। इस फ्लाई-वे से 182 प्रजातियों के प्रवासी जलीय पक्षी सर्दियों में प्रवास पर भारत आते हैं, जिनमें से 29 विश्व स्तर पर संकटग्रस्त और खतरे के निकट वाली प्रजातियां हैं। आगरा और आसपास के क्षेत्र में इस बार अक्टूबर तक बारिश हो रही है। मौसम चक्र में यह परिवर्तन जलवायु परिवर्तन का परिणाम है। बदलते मौसम चक्र का प्रभाव पक्षियों के माइग्रेशन और प्रजनन पर भी पड़ रहा है।