यमुना का दर्द होगा दूर, प्रदूषण रोकने के लिए अपनाया जा रहा है अब ये नया तरीका
कालिंदी की मिटेगी पीर कैनाल से जोड़े जा रहे नाले। यमुना किनारे बनाई जा रही हैं कैनाल तालाब से जोड़ रहे हैं। फाइटो रेमेडिएशन टेक्नीक से होगा नालों के दूषित पानी का शाेधन। आगरा में यमुना में 92 नाले गिरते हैं इनमें से 62 नाले अनटैप हैं।
By Prateek GuptaEdited By: Updated: Sat, 01 Jan 2022 09:54 AM (IST)
आगरा, जागरण संवाददाता। शहर में कालिंदी की पीर हरने को कवायद शुरू हुई है। यमुना में नालों के दूषित पानी को सीधे जाने से रोकने को कैनाल बनाई गई हैं। इनके माध्यम से दूषित पानी को तालाब में ले जाकर फाइटो-रेमेडिएशन टेक्नीक से शोधित किया जाएगा। यमुना शहर में गिर रहे नालों की वजह से अधिक दूषित होती है।
शहर में यमुना में 92 नाले गिरते हैं, इनमें से 62 नाले अनटैप हैं। करीब 70 नालों पर बायो-रेमेडिएशन टेक्नीक अमल में लाई जा रही है। इसके उचित परिणाम अब तक नहीं मिले हैं। यमुना में गिर रहे छोटे-छाेटे नालों को यमुना में सीधे जाने से रोकने को नगर निगम ने काम शुरू किया है। इसके लिए वाटर वर्क्स, भैरों नाला और मंटोला नाला के पास यमुना की तलहटी में खोदाई कर कैनाल बनाई गई हैं। कैनाल के माध्यम से नालों के दूषित पानी को यमुना की तलहटी में खोदे गए तालाब तक ले जाया जा रहा है। तालाब में फाइटो-रेमेडिएशन टेक्नीक के माध्यम से नालों के दूषित पानी को शोधित किया जाएगा। इससे यमुना में नालों का दूषित पानी सीधे जाना रुकेगा। शहर के अप स्ट्रीम में यमुना स्वच्छ और डाउन स्ट्रीम में अधिक गंदी है। इसकी वजह यमुना में सीधे गिर रहे नाले ही हैं।
मेहता के निरीक्षण में मिला था बुरा हाल
पर्यावरणविद अधिवक्ता एमसी मेहता ने आगरा में सीधे गिर रहे नालों का हाल जाना था। मंटोला नाला और भैंरों नाला पर उन्हें हाल खराब मिला था। बायो-रेमेडिएशन टेक्नीक से नालों के पानी को शोधित किए जाने के बावजूद गंदा पानी सीधे यमुना में जा रहा था और दुर्गंध से बुरा हाल था।क्या है टेक्नीक
फाइटो-रेमेडिएशन टेक्नीक में ऐसी प्रजातियों के पौधे लगाए जाते हैं, जो दूषित पानी का शोधन करते हैं। इनमें टाइफा और कैरी के पौधे प्रमुख हाते हैं। वहीं, बायो-रेमेडिएशन टेक्नीक में केमिकल के माध्यम से प्रदूषित पानी को शोधित किरते हैं।
यमुना की स्थिति नवंबर मेंजगह, डीओ, बीओडी, टोटल कालिफार्म, फीकल कालिफार्मअप स्ट्रीम, 6.1, 9.2, 16000, 9000डाउन स्ट्रीम, 5.4, 12.4, 52000, 28000मानकडीओ: डिजाल्व आक्सीजन पीने के पानी में छह, नहाने के पानी में पांच और शोधन के बाद चार मिलीग्राम प्रति लीटर से कम नहीं होनी चाहिए।बीओडी: बायो आक्सीजन डिमांड पीने पानी में दो, नहाने के पानी में तीन और शोधन के बाद तीन मिलीग्राम मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए।
टोटल कालिफार्म: पीने के पानी में 50, नहाने के पानी में 500 और शोधन के बाद किसी भी दशा में 5000 मोस्ट प्रोबेबल नंबर प्रति 100 मिलीग्राम से अधिक नहीं होनी चाहिए।
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