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डेढ़ साल में बढ़ गए 24 कूड़ा कलेक्शन प्वाइंट, रिहायशी इलाकों में बदबू का साम्राज्‍य Aligarh news

शहर में जगह-जगह बने कूड़ा कलेक्शन प्वाइंट (डलावघर) मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं। इन्हें कम करने की कवायद दो साल से चल रही है। लेकिन कम होने के वजाय ये बढ़ते ही जा रहे हैं। हैरत की बात है कि कि डेढ़ साल में 24 डलावघर बढ़ गए।

By Anil KushwahaEdited By: Updated: Wed, 18 Aug 2021 02:45 PM (IST)
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शहर में जगह-जगह बने कूड़ा कलेक्शन प्वाइंट (डलावघर) मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं।
अलीगढ़, जेएनएन।  शहर में जगह-जगह बने कूड़ा कलेक्शन प्वाइंट (डलावघर) मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं। इन्हें कम करने की कवायद दो साल से चल रही है। लेकिन, कम होने के वजाय ये बढ़ते ही जा रहे हैं। हैरत की बात है कि कि डेढ़ साल में 24 डलावघर बढ़ गए। खासकर रिहायशी इलाकों में नए डलावघर स्थापित हो गए हैं।

मथुरा रोेड स्‍थित प्‍लांट में होता है कूड़ों का निस्‍तारण

शहर में प्रतिदिन 450 मीट्रिक टन कूड़ा निकलता है। एटूजेड कंपनी के वाहन डलावघरों से कूड़ा उठाकर मथुरा रोड स्थित प्लांट में निस्तारण के लिए ले जाते हैं। शहर में नगर निगम ने 84 डलावघर स्थापित किए थे। यहीं क्षेत्र का कूड़ा डाला जाता। डेढ़ साल पहले तक डलावघरों की यही संख्या रही। अब डलावघरों की तादात 208 हो गई है। पिछले दिनों इसका सर्वे कराया गया था। पता चला कि डलावघर 84 से बढ़कर 208 हो गए हैं। इनमें कुछ अघोषित हैं, तो कुछ निगम द्वारा बढ़ाए गए हैं। जबकि, 2019 में आबादी वाले इलाकों से डलावघर हटाने का निर्णय लिया गया था।

आबादी के बीच बने डलावघरों को कहीं और शिफ्ट करने पर हो रहा विचार

ऐसे डलावघर दिखवाए भी गए, जो आबादी में हैं। इन्हें हटाकर कहीं और शिफ्ट करने पर भी विचार किया गया। लेकिन, कुछ दिन मंथन करने के बाद अधिकारियों ने इस ओर से ध्यान हटा लिया। तब से वही स्थिति बनी हुई है। उन इलाकों में ज्यादा मुसीबत है, जहां चार पहिया वाहन मुश्किल से निकलते हैं। यहां डलावघर से कूड़ा उठाने के लिए प्रतिदिन जेसीबी और ट्रैक्टर-ट्राली पहुंचते हैं। इस दौरान अक्‍सर जाम की स्थिति बन जाती है। पैदल तक निकलना दूभर हो जाता है। पिछले दिनों पार्षदों ने डलावघर कम करने की मांग नगर आयुक्त ने सामने उठाई थी। नगर आयुक्त ने अधीनस्थ अफसरों के साथ बैठकर समस्या के निस्तारण का आश्वासन दिया है।

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