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Abul Kalam Azad Jayanti 2022 : शिक्षा के विकास में मौलाना आजाद निभाई अहम भूमिका

Abul Kalam Azad Jayanti 2022 इगलास में परोपकार सामाजिक सेवा संस्था तोछीगढ़ द्वारा केएसएसडी इंटर कालेज हरिरामपुर में स्वतंत्रता सेनानी भारत के पहले शिक्षामंत्री भारत रत्न मौलाना अबुल कलाम आजाद की 134वीं जयंती को राष्ट्रीय शिक्षा दिवस के रूप में मनाया गया।

By Yogesh KaushikEdited By: Sandeep kumar SaxenaUpdated: Fri, 11 Nov 2022 07:08 PM (IST)
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भारत रत्न मौलाना अबुल कलाम आजाद की जयंती 'राष्ट्रीय शिक्षा दिवस' के रूप में मनाई गई।

 अलीगढ़, जागरण संवाददाता। इगलास में परोपकार सामाजिक सेवा संस्था तोछीगढ़ द्वारा केएसएसडी इंटर कालेज, हरिरामपुर में स्वतंत्रता सेनानी भारत के पहले शिक्षामंत्री भारत रत्न मौलाना अबुल कलाम आजाद की 134वीं जयंती को 'राष्ट्रीय शिक्षा दिवस' के रूप में मनाया गया। कार्यक्रम में विद्यार्थियों और शिक्षकों ने मौलाना अबुल कलाम आजाद के छायाचित्र पर पुष्प अर्पित करके श्रद्धांजलि दी और शिक्षा तथा समाजसेवा के क्षेत्र में उनके द्वारा किए गए उल्लेखनीय कार्यों का स्मरण किया।

शिक्षा व प्रौढ़ शिक्षा के हिमायती थे अबुल कलाम

संस्था के अध्यक्ष जतन चौधरी ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा दिवस भारत सरकार भारत के पहले शिक्षा मंत्री एवं भारत रत्न से सम्मानित मौलाना अबुल कलाम आजाद की याद में हर वर्ष 11 नवंबर को मनाया जाता है। वैधानिक रूप से इसका प्रारंभ 11 नवंबर 2008 से किया गया। मौलाना अबुल कलाम आजाद का जन्म 11 नवंबर 1888 को मक्का में हुआ था। इनके पिता मौलाना खैरुद्दीन अरबी भाषा के प्रकांड विद्वान थे। भारत में शिक्षा के विकास में मौलाना आज़ाद की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी। मौलाना महिला शिक्षा एवं प्रौढ़ शिक्षा के खास हिमायती थे। उनकी पहल पर ही भारत में 1956 में 'यूनिवर्सिटी ग्रांट कमीशन' की स्थापना हुई थी।

हिंदू-मुस्‍लिम एकता पर दिया बल

महात्मा गांधी के विचारों से प्रभावित होकर भारत के स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए। हालांकि वह उर्दू के बेहद काबिल साहित्यकार और पत्रकार थे, लेकिन शिक्षामंत्री बनने के बाद उन्होंने उर्दू की जगह अंग्रेजी को तरजीह दी, ताकि भारत, पश्चिमी देशों के साथ कदमताल मिलाकर चल सके। राष्ट्रीयता की भावना का विस्तार तथा हिंदू-मुस्लिम एकता उनके मिशन के अंग थे।

प्रधानाचार्य मनमोहन उपाध्याय ने कहा कि मौलाना आजाद ने शिक्षा, कला, संगीत और साहित्य के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किए थे। उनकी सूझबूझ और दूरदृष्टि से ही देश में शिक्षा का समुचित विकास हुआ है। सभा को चंचल रावत, सोनम सिंह एवं पारुल रावत आदि वक्ताओं ने भी संबोधित किया और शिक्षा दिवस के महत्व को समझाया।

ये रहे मौजूद

कार्यक्रम में मनु चौधरी, सुप्रिया रावत, भूमिका उपाध्याय, शिवानी, रितु, खुशबू, मुस्कान, दीप्ती, सिमरन, भावना, काजल, शोभित सिकरवार, ज्योति सिंह, वीरेंद्र सिंह, हिमांसू, अरुन, मनीष, विशाल, शिवम, पूजा, प्रियांशू, राधा, आकाश आदि मौजूद रहे।

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