'अंग्रेज तो चले गए उनके वचनवंशी, विचारवंशी अभी भी हैं...'उपचुनाव में अखिलेश यादव ने भाजपा सरकार पर किए करारे हमले
Akhilesh Yadav Slams Bjp In Aligarh UP News समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने टप्पल में भाजपा पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि भाजपा ने बंटोगे तो कटोगे का नारा अंग्रेजों से सीखा है। अखिलेश ने किसानों मजदूरों और बेरोजगारी के मुद्दे उठाकर सरकार को घेरा। अखिलेश यादव ने कहा अंग्रेज चले गए पर विचारवंशी वचनवंशी अभी हैं।
जागरण संवाददाता, अलीगढ़। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव शुक्रवार को खैर विधानसभा क्षेत्र के गांव कमालपुर में खूब गरजे। चुनावी सभा को संबोधित कर रहे अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा की सरकार जा रही है। यह बंटोगे तो कटोगे नारा दे रहे हैं, यह नारा इन्होंने अंग्रेजों से सीखा है।
अंग्रेजों ने डिवाइड इन रूल का नारा दिया था। अंग्रेज तो चले गए उनके वचनवंशी, विचारवंशी अभी भी हैं। ये नकारात्मक लोग हैं। एनडीए के आगे एन लगा है, जिसका मतलब नेगेटिव है। जबकि, पीडीए में पी है यानी, प्रोगेसिव व पोजिटिव। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने मंच से किसान, मजदूर, बेरोजगारी के मुद्दे उठाकर सरकार को घेरने को पूरा प्रयास किया।
गांव कमालपुर (टप्पल) में आयोजित जनसभा में करीब एक घंटे देरी से पहुंचे अखिलेश यादव ने कहा कि 13 को मतदान होना था। त्योहार भी थे। लोग छुट्टियां लेकर आए थे। मतदान के चलते छुट्टियां और बढ़ा लीं। लोगों ने मन बना लिया था भाजपा को हराना है। भाजपा को जैसे ही भनक पड़ी, चुनाव की तारीख ही बदल दी।
अखिलेश ने कहा, कि यहां आने से पहले सीएम को सुन रहा था, वह क्या-क्या कह रहे हैं। हमने पीडीए का नारा दिया। भाजपा को डीएपी में भी पीडीए नजर आ रहा है। पीडीए को कुछ नहीं दिया, न किसानों को डीएपी मिल रहा है। डीएपी वहीं पहुंचा रहे हैं, जहां चुनाव हैं। समितियों पर लंबी लाइन लगी रहती है। किसानों को ब्लैक में डीएपी खरीदना पड़ रहा है। जो कहते थे किसान की आय दोगुणी कर देंगे, वह डीएपी, बीज भी नहीं दे पा रहे हैं। लागत बढ़ी है, महंगाई बढ़ी है। बिजली, खाने-पीने का सामान, पेट्रोल-डीजल मंहगा है।
गरीब अपनी बेटी के लिए जेवर कैसे खरीदे
सोने की कीमत कहां पहुंचा दी है। 2014 में सोने की क्या कीमत थी, अब क्या है। गरीब अपनी बेटी की शादी के लिए जेवर कैसे खरीदेगा। बीजेपी के लोग उद्योगपति मित्रों का मुनाफा करा रहे हैं। इसलिए महंगाई है। नौजवान सड़कों पर भर्ती की तैयारी कर रहे हैं। फौज में भर्ती पहले की तरह नहीं हो रही। बजट में कटौती के लिए ऐसा किया जा रहा है। समाजवादियों को मौका मिलेगा तो अग्निवीर की व्यवस्था समाप्त होगी। बजट कितना भी खर्च हो जाए, पक्की नौकरी और पक्की वर्दी उपलब्ध कराएंगे। ये लोग ऐसे फैसले लेते हैं कि नौकरी न देनी पड़े। उद्योगपति कम पैसों में नौकरी देते हैं।
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