दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने झारखंड में पकड़े गए अल-कायदा सरगना डॉ. इश्तियाक के करीबी एक डॉक्टर से अलीगढ़ में पूछताछ की। कार्रवाई के दौरान टीम ने लोकल पुलिस को भी साथ रखा लेकिन उससे कोई जानकारी साझा नहीं की। एसएसपी ने बताया कि दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल गुरुवार सुबह आई थी। एक डॉक्टर से पूछताछ करके चली गई। किसी को अलीगढ़ से गिरफ्तार नहीं किया है।
जागरण संवाददाता, अलीगढ़। झारखंड में पकड़े गए अल-कायदा के सरगना डॉ. इश्तियाक के करीबियों की तलाश में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की टीम ने गुरुवार को अलीगढ़ में भी छानबीन की। यहां डा. इश्तियाक के करीबी एक डॉक्टर से कई घंटे पूछताछ की गई। उससे कुछ जानकारी भी हाथ लगी हैं।
पूछताछ के बाद टीम डॉक्टर को स्वजन के हवाले कर लौट गई। कार्रवाई के दौरान टीम ने लोकल पुलिस को भी साथ रखा, लेकिन उससे कोई जानकारी साझा नहीं की। पुलिस ने किसी की गिरफ्तारी से इनकार किया है। डॉक्टर के अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) से जुड़ाव की कोई जानकारी सामने नहीं आई है।
फिरोजाबाद के एक निजी अस्पताल में तैनात है डॉक्टर
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की टीम तड़के अलीगढ़ आ गई थी। स्थानीय पुलिस को साथ लेकर सिविल लाइन क्षेत्र के धौर्रा के मोहल्ला रजा नगर में एक डॉक्टर के आवास पर पहुंची। वह मूल रूप से झारखंड का रहने वाला है। फिरोजाबाद के एक निजी अस्पताल में तैनात है।
पकड़े गए डॉ. इश्तियाक के साथ उसका संबंध है, यह साफ नहीं हो सका है। माना जा रहा है कि दोनों ने एक साथ पढ़ाई की थी। टीम ने आवास पर डाक्टर से कई घंटे पूछताछ की। इसके बाद साथ लेकर शहर के कुछ क्षेत्रों में भी गई। दोपहर में टीम क्वार्सी थाने ले आया गया। यहां स्वजन को भी बुला लिया था। शाम चार बजे के करीब टीम डॉक्टर को स्वजन के हवाले करके चली गई।
एसएसपी संजीव सुमन ने बताया कि दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल गुरुवार सुबह आई थी। एक डॉक्टर से पूछताछ करके चली गई। किसी को अलीगढ़ से गिरफ्तार नहीं किया है।
अलीगढ़ में पहले भी पकड़े गए आतंकी
जब भी कोई आतंकी पकड़ा जाता है, सुरक्षा एजेंसियों की निगाहें अलीगढ़ पर टिक जाती हैं। पहले भी आतंकी यहां पकड़े गए हैं। पिछले साल जुलाई में भी राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) की टीम अलीगढ़ आई थी।
यहां एएमयू के छात्र रहे झारखंड के फैजान अंसारी के कमरे की तलाशी ली थी। दो दिन बाद उसकी गिरफ्तारी दिखाई गई। जांच में पता चला था कि फैजान करीब तीन वर्ष पहले से ही आतंकी गतिविधियों में संलिप्त हो गया था। एएमयू में दाखिला लेने से पहले ही वह देश में बड़े हमले की साजिश रच रहा था। इसके बाद सितंबर को एनआईए के आने की चर्चाएं होती रहीं। लेकिन, कोई टीम नहीं आई। दो अक्टूबर को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने तीन आतंकियों को गिरफ्तार किया। इनमें झारखंड का अरशद वारसी शामिल था, जो 12 साल तक अलीगढ़ में रहा था।
मन्नान के आतंकी कनेक्शन ने दहलाया था
एएमयू
छात्र मन्नान वानी के आतंकी कनेक्शन सामने आने के बाद सुरक्षा एजेंसियों के होश उड़ गए थे। उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा के लोलब गांव का निवासी मन्नान वानी एएमयू से पीएचडी कर रहा था। वह उस वक्त सुर्खियों में आया था, जब उसने कश्मीर में मारे गए आतंकी बुरहान वानी के समर्थन में कैंपस में पोस्टर बांटे थे। एएमयू के हबीब हाल के कमरा नंबर 237 में रहने वाला मन्नान जनवरी 2018 को लापता हो गया था। सात जनवरी को इंटरनेट मीडिया पर उसकी एके-47 लिए तस्वीर सामने आई। अक्टूबर 2018 में जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मन्नान मारा गया था।
अलीगढ़ में हुई थी सिमी की स्थापना
वर्ष 1975 में आपातकाल के दौरान तमाम छात्र संगठनों पर भी पाबंदी लगी थी। आपातकाल हटा तो छात्रों को लामबंद करने के इरादे से 25 अप्रैल 1977 को शमशाद मार्केट के पास स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट आफ इंडिया (सिमी) की स्थापना की थी। यह संगठन एक दशक बाद ही रास्ता भटक गया। 80 के दशक में ही तमाम कार्यकर्ता उग्रवाद की ओर बढ़ चुके थे। इनकी राष्ट्रविरोधी हरकतें तब सामने आईं, जब अयोध्या में विवादित ढांचे का विध्वंस हुआ। तब सिमी नेताओं ने तिरंगे तक को सलाम करने से इन्कार कर दिया था। कई राज्यों में बम धमाकों में संलिप्तता की पुष्टि के बाद प्रतिबंध लगा दिया गया।
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