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AMU: एएमयू का रहा विवादों से नाता, पहले भी सामने आए आतंकी रिश्ते; कभी अफजल गुरु को दिया था शहीद का दर्जा

Aligarh Muslim University अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का नाता हमेशा विवादों में रहा। कभी अपने नारों तो कभी अपने आतंकी रिश्तों की वजह से। 25 अप्रैल 1977 को अलीगढ़ में स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) की स्थापना की थी। यह संगठन एक दशक बाद ही रास्ता भटक गया। फरवरी 2013 में संसद पर हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु को एएमयू छात्रों ने शहीद का दर्जा दिया है।

By Jagran NewsEdited By: Swati SinghUpdated: Fri, 21 Jul 2023 02:47 PM (IST)
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AMU: एएमयू का रहा विवादों से नाता, पहले भी सामने आए आतंकी रिश्ते

अलीगढ़, जागरण डिजिटल डेस्क। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) वो  नाम है जो हमेशा चर्चा में रहता है। अपनी सफलताओं से ज्यादा ये विश्वविद्यालय विवादों की वजह से चर्चा का विषय रहा है। देश विरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों का आना- जाना रहा हो या फिर यहां के छात्रों का ऐसे लोगों के साथ जुड़ाव जो सुरक्षा एजेंसियों के निशाने पर रहे हों। आपत्तिजनक नारे भी यहां लगते रहते हैं। 46 वर्ष पहले एएमयू में ही सिमी की स्थापना हुई थी। आपातकाल हटने के बाद छात्रों ने 25 अप्रैल 1977 को अलीगढ़ में स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) की स्थापना की थी।

यह संगठन एक दशक बाद ही रास्ता भटक गया। 80 के दशक में ही तमाम कार्यकर्ता उग्रवाद की ओर बढ़ चुके थे। इनकी राष्ट्रविरोधी हरकतें तब सामने आईं, जब अयोध्या में विवादित ढांचे का विध्वंस हुआ। तब सिमी नेताओं ने तिरंगे तक को सलाम करने से इनकार कर दिया था। कई राज्यों में बम धमाकों में संलिप्तता की पुष्टि के बाद प्रतिबंध लगा दिया गया। तभी से शहर के शमशाद मार्केट में खुला संगठन का दफ्तर सील है। सिमी के दफ्तर पर ताला भले ही लगा हो, लेकिन इसके सदस्य बीच-बीच में पकड़े भी गए हैं। इसके चलते सुरक्षा एजेंसियों का ध्यान अलीगढ़ पर जरूर रहता है।

जब निकला था मन्नान वानी का आतंकी कनेक्शन

छह वर्ष पहले एएमयू छात्र मन्नान वानी का आतंकी कनेक्शन सामने आने के बाद सबके होश उड़ गए थे। उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा के लोलब निवासी मन्नान वानी पीएचडी कर रहा था। दो जनवरी 2018 को हबीब हाल के कमरा नंबर 237 में रहने वाला मन्नान लापता हो गया था। सात जनवरी को इंटरनेट मीडिया पर उसकी एके-47 लिए तस्वीर सामने आई। अक्टूबर 2018 में जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारा गया था।

सीएए-एनआरसी को लेकर सुर्खियों में था एएमयू

आतंकी घटनाओं व देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्त लोगों की अलीगढ़ में आवाजाही के विवाद भी सुर्खियों में रहे हैं। सीएए-एनआरसी के विरोध की शुरुआत एएमयू से ही हुई थी। उसके बाद शहर में उपद्रव, कई माह तक धरना प्रदर्शन प्रमुख रहा। गोरखपुर के डा. कफील, जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम, एएमयू के पूर्व छात्र नेता शरजील उस्मानी आदि पर मुकदमे भी दर्ज हुए।

अबु बशर व उसके साथी के आने के मिले थे इनपुट

अहमदाबाद में सीरियल बम धमाके में सजा पाने वालों में शामिल अबु बशर यहां आया था और एक रात रुका था। मुख्य साजिशकर्ता सफदर नागौरी के भी अलीगढ़ से गहरे संपर्क रहे हैं। अबु बशर के दूसरे साथी आजमगढ़ के संजरपुर के मो. सैफ को लेकर भी अलीगढ़ आने की जानकारी मिली थी। शोर मचा था कि बाटला हाउस कांड के बाद वह किसी पुलिस अधिकारी के रिश्तेदार के घर में ठहरा था।

पीएफआई की राजनीतिक विंग के अध्यक्ष को पकड़ा था

लखनऊ एसटीएम की टीम ने सितंबर 2022 में क्वार्सी थाना क्षेत्र के धौर्रामाफी से पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की राजनीतिक विंग सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) के प्रदेश अध्यक्ष निजामुद्दीन को गिरफ्तार किया था। निजामुद्दीन मूलरूप से बलरामपुर के थाना पचमेड़वा, तहसील तुलसीपुर के 139, परसा बुजुवा का रहने वाला था। पता लगा था कि वह आरएसएस के खिलाफ लोगों को भड़काता था। भाजपा को दलित विरोधी बता उससे दूर रहने के लिए उकसाने की भी जानकारी मिली थी। उसके पास से भड़काऊ इस्लामिक पुस्तक व दस्तावेज बरामद किए गए थे।

पहले भी सुर्खियों में रहा है एएमयू

वर्ष 1992 में कश्मीर से आए शाल के गट्ठर में एके-56 राइफल पकड़ी गई थी। ये शाल सिविल लाइन क्षेत्र के एक दुकानदार ने कश्मीर के श्रीनगर के सराय शाही निवासी जावेद यूसुफ से मंगाई थीं। इसमें सात लोग जेल गए थे।

वर्ष 1998 में कश्मीरी आतंकी के एएमयू में छिपे होने जानकारी पर आइबी इंस्पेक्टर राजन शर्मा हबीब हाल के पास गए थे। आरोप है कि कुछ लोग उन्हें हाल के अंदर खींच ले गए। विरोध करने पर राजन शर्मा को यातनाएं दी गई थी। पीठ पर अल्लाह गोद दिया गया। पुलिस ने राजन शर्मा को मुक्त कराया था। बाद में उनकी मृत्यु हो गई।

वर्ष 2001-2002 में हबीब हाल में मुबीन नाम के छात्र को आतंकवादी संगठन से जुड़े होने के शक के आधार पर उठाया था। इसे लेकर काफी विरोध हुआ। छात्रों ने कई दिनों तक आंदोलन भी किया। बाद में सबूतों के अभाव में उसे बरी कर दिया गया।

सितंबर 2016 में जम्मू कश्मीर के उरी में सेना की छावनी पर आतंकवादी हमले में शहीद हुए जवानों पर एएमयू छात्र मुदासिर यूसुफ लोन ने अभद्र टिप्पणी की थी। इससे इंतजामिया ने निष्कासित कर दिया।

जब अफजल गुरु को दिया गया था शहीद का दर्जा

फरवरी 2013 में संसद पर हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु को फांसी दिए जाने के बाद में एएमयू छात्रों ने शहीद का दर्जा दिया है। अफजल की फांसी के बाद छात्रों ने मौलाना आजाद लाइब्रेरी के पास नमाज-ए-जनाजा (गायबाना) पढ़ी और अफजल को शहीद का दर्जा दिया। फांसी दिए जाने के विरोध में एएमयू में छात्रों ने प्रोटेस्ट मार्च भी निकाला था।

आतंकी साजिश का रहा जाल

  • सात जनवरी 2018 को एएमयू के हबीब हाल में रहने वाले मन्नान की तस्वीर इंटरनेट मीडिया पर एके-47 के साथ सामने आई थी। अक्टूबर 2018 में मन्नान मारा गया था।
  • छह दिसंबर 2020 को केला नगर से दिल्ली पुलिस ने अब्दुल्ला दानिश को गिरफ्तार किया था। अब्दुल्ला प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिमी का सर्वेसर्वा था। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल 19 वर्ष से इसकी तलाश कर रही थी। इसने वर्ष 2008 में अहमदाबाद में हुए बम धमाके के आरोपित को अलीगढ़ में अपने घर में पनाह दी थी।
  • एएमयू के कुछ छात्र करीब 46 वर्ष पहले स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट इन इंडिया (सिमी) संगठन बनाने में शामिल रहे। स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया की स्थापना 25 अप्रैल 1977 को हुई थी। शमशाद मार्केट में उसका कार्यालय बनाया गया था। कुख्यात मुनीर और उसका गैंग भी एएमयू से जुड़ा रहा था।


अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में स्थित है। इस विश्वविद्यालय की स्थापना 1920 में सर सैयद अहमद खान द्वारा की गई थी और 1921 में भारतीय संसद के एक अधिनियम के माध्यम से केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया।

46 वर्ष पहले एएमयू में ही सिमी की स्थापना हुई थी। आपातकाल हटने के बाद छात्रों ने 25 अप्रैल 1977 को अलीगढ़ में स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) की स्थापना की थी।

मन्नान वानी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्याल का छात्र था। छह साल पहले मन्नान वानी का आतंकी कनेक्शन सामने आने के बाद सबके होश उड़ गए थे।

फरवरी 2013 में संसद पर हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु को फांसी दिए जाने के बाद में एएमयू छात्रों ने शहीद का दर्जा दिया था। अफजल की फांसी के बाद छात्रों ने मौलाना आजाद लाइब्रेरी के पास नमाज-ए-जनाजा (गायबाना) पढ़ी थी। छात्रों ने नारा दिया था 'अफजल हम शर्मिंदा हैं, तेरे कातिल जिंदा हैं'।

गोरखपुर के चर्चित डॉ. कफील पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्याल में भड़काऊ भाषण देने के आरोप लगे थे। इन आरोपों के चलते डॉ कफील पर एनएसए लगा था। कई महीनों तक वो जेल में रहे थे। अंत में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद डॉ कफील निर्दोष साबित हुए थे।