AMU: एएमयू का रहा विवादों से नाता, पहले भी सामने आए आतंकी रिश्ते; कभी अफजल गुरु को दिया था शहीद का दर्जा
Aligarh Muslim University अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का नाता हमेशा विवादों में रहा। कभी अपने नारों तो कभी अपने आतंकी रिश्तों की वजह से। 25 अप्रैल 1977 को अलीगढ़ में स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) की स्थापना की थी। यह संगठन एक दशक बाद ही रास्ता भटक गया। फरवरी 2013 में संसद पर हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु को एएमयू छात्रों ने शहीद का दर्जा दिया है।
जब निकला था मन्नान वानी का आतंकी कनेक्शन
छह वर्ष पहले एएमयू छात्र मन्नान वानी का आतंकी कनेक्शन सामने आने के बाद सबके होश उड़ गए थे। उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा के लोलब निवासी मन्नान वानी पीएचडी कर रहा था। दो जनवरी 2018 को हबीब हाल के कमरा नंबर 237 में रहने वाला मन्नान लापता हो गया था। सात जनवरी को इंटरनेट मीडिया पर उसकी एके-47 लिए तस्वीर सामने आई। अक्टूबर 2018 में जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में सुरक्षाबलों के साथ मुठभेड़ में मारा गया था।सीएए-एनआरसी को लेकर सुर्खियों में था एएमयू
अबु बशर व उसके साथी के आने के मिले थे इनपुट
अहमदाबाद में सीरियल बम धमाके में सजा पाने वालों में शामिल अबु बशर यहां आया था और एक रात रुका था। मुख्य साजिशकर्ता सफदर नागौरी के भी अलीगढ़ से गहरे संपर्क रहे हैं। अबु बशर के दूसरे साथी आजमगढ़ के संजरपुर के मो. सैफ को लेकर भी अलीगढ़ आने की जानकारी मिली थी। शोर मचा था कि बाटला हाउस कांड के बाद वह किसी पुलिस अधिकारी के रिश्तेदार के घर में ठहरा था।पीएफआई की राजनीतिक विंग के अध्यक्ष को पकड़ा था
पहले भी सुर्खियों में रहा है एएमयू
वर्ष 1992 में कश्मीर से आए शाल के गट्ठर में एके-56 राइफल पकड़ी गई थी। ये शाल सिविल लाइन क्षेत्र के एक दुकानदार ने कश्मीर के श्रीनगर के सराय शाही निवासी जावेद यूसुफ से मंगाई थीं। इसमें सात लोग जेल गए थे।वर्ष 1998 में कश्मीरी आतंकी के एएमयू में छिपे होने जानकारी पर आइबी इंस्पेक्टर राजन शर्मा हबीब हाल के पास गए थे। आरोप है कि कुछ लोग उन्हें हाल के अंदर खींच ले गए। विरोध करने पर राजन शर्मा को यातनाएं दी गई थी। पीठ पर अल्लाह गोद दिया गया। पुलिस ने राजन शर्मा को मुक्त कराया था। बाद में उनकी मृत्यु हो गई। वर्ष 2001-2002 में हबीब हाल में मुबीन नाम के छात्र को आतंकवादी संगठन से जुड़े होने के शक के आधार पर उठाया था। इसे लेकर काफी विरोध हुआ। छात्रों ने कई दिनों तक आंदोलन भी किया। बाद में सबूतों के अभाव में उसे बरी कर दिया गया।सितंबर 2016 में जम्मू कश्मीर के उरी में सेना की छावनी पर आतंकवादी हमले में शहीद हुए जवानों पर एएमयू छात्र मुदासिर यूसुफ लोन ने अभद्र टिप्पणी की थी। इससे इंतजामिया ने निष्कासित कर दिया।जब अफजल गुरु को दिया गया था शहीद का दर्जा
फरवरी 2013 में संसद पर हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु को फांसी दिए जाने के बाद में एएमयू छात्रों ने शहीद का दर्जा दिया है। अफजल की फांसी के बाद छात्रों ने मौलाना आजाद लाइब्रेरी के पास नमाज-ए-जनाजा (गायबाना) पढ़ी और अफजल को शहीद का दर्जा दिया। फांसी दिए जाने के विरोध में एएमयू में छात्रों ने प्रोटेस्ट मार्च भी निकाला था।आतंकी साजिश का रहा जाल
- सात जनवरी 2018 को एएमयू के हबीब हाल में रहने वाले मन्नान की तस्वीर इंटरनेट मीडिया पर एके-47 के साथ सामने आई थी। अक्टूबर 2018 में मन्नान मारा गया था।
- छह दिसंबर 2020 को केला नगर से दिल्ली पुलिस ने अब्दुल्ला दानिश को गिरफ्तार किया था। अब्दुल्ला प्रतिबंधित आतंकी संगठन सिमी का सर्वेसर्वा था। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल 19 वर्ष से इसकी तलाश कर रही थी। इसने वर्ष 2008 में अहमदाबाद में हुए बम धमाके के आरोपित को अलीगढ़ में अपने घर में पनाह दी थी।
- एएमयू के कुछ छात्र करीब 46 वर्ष पहले स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट इन इंडिया (सिमी) संगठन बनाने में शामिल रहे। स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया की स्थापना 25 अप्रैल 1977 को हुई थी। शमशाद मार्केट में उसका कार्यालय बनाया गया था। कुख्यात मुनीर और उसका गैंग भी एएमयू से जुड़ा रहा था।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
46 वर्ष पहले एएमयू में ही सिमी की स्थापना हुई थी। आपातकाल हटने के बाद छात्रों ने 25 अप्रैल 1977 को अलीगढ़ में स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) की स्थापना की थी।
मन्नान वानी अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्याल का छात्र था। छह साल पहले मन्नान वानी का आतंकी कनेक्शन सामने आने के बाद सबके होश उड़ गए थे।
फरवरी 2013 में संसद पर हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु को फांसी दिए जाने के बाद में एएमयू छात्रों ने शहीद का दर्जा दिया था। अफजल की फांसी के बाद छात्रों ने मौलाना आजाद लाइब्रेरी के पास नमाज-ए-जनाजा (गायबाना) पढ़ी थी। छात्रों ने नारा दिया था 'अफजल हम शर्मिंदा हैं, तेरे कातिल जिंदा हैं'।
गोरखपुर के चर्चित डॉ. कफील पर अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्याल में भड़काऊ भाषण देने के आरोप लगे थे। इन आरोपों के चलते डॉ कफील पर एनएसए लगा था। कई महीनों तक वो जेल में रहे थे। अंत में इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद डॉ कफील निर्दोष साबित हुए थे।