Aligarh Muslim University दुनिया के मशहूर विश्वविद्यालयों में शुमार, पढ़िए स्थापना के पीछे की एक दिलचस्प कहानी
Aligarh Muslim University विश्वविद्यालय का बिल सेंट्रल लेजिस्लेटिव काउंसिल में बिल पेश किया गया। उस पर चर्चा हुई। उस बिल को चर्चा के बाद विशेष अधिकारी समिति को दिया गया। एएमयू के पूर्व नौ सितंबर 1920 को एएमयू का बिल पास हो गया। बिल को एक्ट बनने में एक दिसंबर 1920 को अधिसूचना जारी हो गई। इसी तिथि में विश्वविद्यालय की स्थापना हुई।
By krishna chandEdited By: Abhishek SaxenaUpdated: Sat, 09 Sep 2023 08:11 AM (IST)
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के लिए नौ सितंबर का दिन खास है। अगर आज के दिन अंग्रेजों के जमाने में ब्रिटिश काउंसिल में विश्वविद्यालय के लिए बिल पास नहीं होता तो शायद मदरसे से शुरू हुआ यह विश्वविद्यालय दुनिया के गिने चुने विश्वविद्यालयों में नहीं गिना जाता।
सात छात्रों से शुरू हुआ मदरसा अब केंद्रीय विश्वविद्यालय की श्रेणी में नहीं गिना जाता। 1155 एकड़ एरिया में फैले एएमयू में अब 37113 छात्र-छात्राएं पढ़ रहे हैं। इसमें विदेशी छात्र-छात्राएं भी शामिल हैं।
24 जून 1875 को अलीगढ़ में एक मदरसा स्थापित हुआ
एएमयू की स्थापना के लिए 24 जून 1875 को अलीगढ़ में एक मदरसा स्थापित हुआ। उस समय सात छात्र पढ़ते थे। दो या तीन शिक्षक हुआ करते थे। इसके बाद आठ जनवरी 1977 को मोहम्मडन एंग्लो ओरियंटल कालेज की स्थापना भारत के वायस राय लार्ड लिटन ने की थी। उसके बाद 27 मार्च 1898 में सर सैयद अहमद का इंतकाल हो गया। तभी से यही प्रयास किए जाने लगे कि सर सैयद अहमद को सच्ची श्रद्धांजलि यही होगी कि इस कालेज को विश्वविद्यालय का स्तर प्राप्त हो। उसके लिए प्रयास तेज कर दिए गए।शान से खड़ी हैं यह इमारतें
- एएमयू में बाबे सैयद और सेंटेनरी गेट प्रमुख प्रवेश द्वार हैं।
- इससे पहले से कैनेडी हाल, विक्टोरिया गेट, स्ट्रैची हाल, मौलाना आजाद लाइब्रेरी और अन्य इमारतें एएमयू की शान बढ़ाती हैं।
- 1678 शिक्षक, 13 फैकल्टी, 117 विभाग, एएमयू में 20 आवासीय हाल हैं जहां पर छात्र-छात्राएं रहकर पढ़ते हैं। एक लाख 70 हजार पूर्व छात्र देश दुनिया के कोने कोने में फैले हुए हैं।
- एएमयू में जेएन मेडिकल कालेज, डेंटल कालेज, यूनानी कालेज, नर्सिंग कालेज भी चल रहे हैं।
'एएमयू के इतिहास में नौ सितंबर का दिन महत्वपूर्ण हैं। इस दिन संसद में बिल पास हुआ था। इसी बिल के पास होने के बाद एएमयू को विश्वविद्यालय का दर्जा मिला है। यही सर सैयद अहद को सच्ची श्रद्धांजलि थी। आज यह विश्वविद्यालय वटवृक्ष के रूप में देश-दुनिया में नाम रोशन कर चुका है।' डा. राहत अबरार, पूर्व जनसंपर्क अधिकारी, एएमयू
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