Aligarh News : कर्ज में डूबी एशिया के सबसे बड़े हिंद एग्रो कंपनी का प्लांट दिवालिया घोषित, मांस का करते थे निर्यात
वहीं बैंकों ने लोकपाल इंडस्ट्रीज में इस प्रकरण को उठाया। सभी बैंकों ने मिलकर सीआइआरपी की नियुक्ति करा दी। पिछले एक साल से इस कोर्ट के नियुक्त प्रतिनिधि सरदार परमजीत सिंह भाटिया प्रयास कर रहे थे। कब्जा लेने पहुंची टीम कर्मचारी व ठेकेदारों के विरोध के चलते 15 बार वापस की गई। इस बार ठोस रणनीति के तहत सफलता अर्जित की।
जासं, अलीगढ़। अनुपशहर रोड छेरत स्थित मांस निर्यात फैक्ट्री हिंद एग्रो इंडस्ट्रीज का प्लांट हाईकोर्ट के निर्देश पर नियुक्त कारपोरेट इनसल्वेंसी रिजाल्यूशन प्रक्रिया (सीआइआरपी) के प्रतिनिधि ने अपने कब्जे में ले लिया है।
इस समूह पर पांच बैंक, विदेशी मांस कारोबारियों का अग्रिम भुगतान, बिजली का बिल, स्टाफ की देनदारी सहित अन्य सुविधाओं पर खर्च किए खर्च के नौ सौ करोड़ रुपये की देनदारी है। गत 12 अगस्त को हाईकोर्ट के निर्देश पर डीएम ने तहसील प्रशासन व एसएसपी ने पुलिस व पीएसी टीम को उपलब्ध कराई थी। बुधवार को इस फैक्ट्री पर कब्जा में लेने का बोर्ड भी लगा दिया गया है।
दिल्ली के सिराजुद्दीन कुरैशी ने गाजियाबाद के साहिबाबाद के बाद वर्ष 1996 में छेरत रोड पर हिंद एग्रो नाम से पशु मांस निर्यात प्लांट का संचालन किया था। इसमें 5000 से अधिक कर्मचारी काम करते थे। शुरूआत में सबकुछ ठीक से चला। 1700 पशु प्रतिदिन कटान की तो प्रशासन ने ही अनुमति दे रखी थी। कारोबार पर सरकार की कुछ बंदिश व अंतरराष्ट्रीय कड़ी शर्तों के चलते बफेलो मांस कारोबार पर विपरीत असर पड़ने लगा।
साल 2017-18 में पड़ा था छापा
वर्ष 2017-18 में इस प्लांट पर कई विभागों की टीम ने संयुक्त रूप से छापा मारा। तब बड़े स्तर पर गड़बड़ी मिली थी। कोरोना संकट ने तो इस कारोबार की कमर तोड़ दी। इसी बीच इस फैक्ट्री में भीषण अग्निकांड हुआ। इससे कंपनी को बड़े पैमाने पर हानि हुई। कंपनी के खर्चे लगातार बढ़ते गए। कारोबार आधा भी नहीं रहा। इसके चले यह कंपनी कर्ज में डूबती चली गई।पीएनबी, जम्मू एंड कश्मीर बैंक, केनरा बैंक आफ बड़ौदा सहित पांच बैंकों की देनदारी हो गई। अप्रैल वर्ष 2022 में प्रशासनिक अधिकारियों की टीम ने इस प्लांट पर छापा मारा। उस समय पशुओं का फर्श पर कटान होते पाया गया। मौके से 35 कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया।
जनरल मैनेजर आबिद व एचआर हेड मोहम्मद रहुफ के विरुद्ध भी क्षेत्रीय थाने में अपराध पंजीकृत किया गया। इसके बाद प्रशासन ने प्लांट में पशु कटान पर रोक लगा दी। मांस निर्यातक सिराजुद्दीन कुरैशी पर उस समय संकट और बढ़ गया, जब कर्ज में डूबा साहिबाबाद प्लांट को नीलाम कर दिया गया।
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