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Aligarh News : कर्ज में डूबी एशिया के सबसे बड़े हिंद एग्रो कंपनी का प्लांट दिवालिया घोषित, मांस का करते थे निर्यात

वहीं बैंकों ने लोकपाल इंडस्ट्रीज में इस प्रकरण को उठाया। सभी बैंकों ने मिलकर सीआइआरपी की नियुक्ति करा दी। पिछले एक साल से इस कोर्ट के नियुक्त प्रतिनिधि सरदार परमजीत सिंह भाटिया प्रयास कर रहे थे। कब्जा लेने पहुंची टीम कर्मचारी व ठेकेदारों के विरोध के चलते 15 बार वापस की गई। इस बार ठोस रणनीति के तहत सफलता अर्जित की।

By manoj kumar Edited By: Mohammed Ammar Updated: Fri, 16 Aug 2024 09:55 PM (IST)
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बैंक ने इस प्लांट पर कब्जा ले लिया है।

जासं, अलीगढ़। अनुपशहर रोड छेरत स्थित मांस निर्यात फैक्ट्री हिंद एग्रो इंडस्ट्रीज का प्लांट हाईकोर्ट के निर्देश पर नियुक्त कारपोरेट इनसल्वेंसी रिजाल्यूशन प्रक्रिया (सीआइआरपी) के प्रतिनिधि ने अपने कब्जे में ले लिया है।

इस समूह पर पांच बैंक, विदेशी मांस कारोबारियों का अग्रिम भुगतान, बिजली का बिल, स्टाफ की देनदारी सहित अन्य सुविधाओं पर खर्च किए खर्च के नौ सौ करोड़ रुपये की देनदारी है। गत 12 अगस्त को हाईकोर्ट के निर्देश पर डीएम ने तहसील प्रशासन व एसएसपी ने पुलिस व पीएसी टीम को उपलब्ध कराई थी। बुधवार को इस फैक्ट्री पर कब्जा में लेने का बोर्ड भी लगा दिया गया है।

दिल्ली के सिराजुद्दीन कुरैशी ने गाजियाबाद के साहिबाबाद के बाद वर्ष 1996 में छेरत रोड पर हिंद एग्रो नाम से पशु मांस निर्यात प्लांट का संचालन किया था। इसमें 5000 से अधिक कर्मचारी काम करते थे। शुरूआत में सबकुछ ठीक से चला। 1700 पशु प्रतिदिन कटान की तो प्रशासन ने ही अनुमति दे रखी थी। कारोबार पर सरकार की कुछ बंदिश व अंतरराष्ट्रीय कड़ी शर्तों के चलते बफेलो मांस कारोबार पर विपरीत असर पड़ने लगा।

साल 2017-18 में पड़ा था छापा

वर्ष 2017-18 में इस प्लांट पर कई विभागों की टीम ने संयुक्त रूप से छापा मारा। तब बड़े स्तर पर गड़बड़ी मिली थी। कोरोना संकट ने तो इस कारोबार की कमर तोड़ दी। इसी बीच इस फैक्ट्री में भीषण अग्निकांड हुआ। इससे कंपनी को बड़े पैमाने पर हानि हुई। कंपनी के खर्चे लगातार बढ़ते गए। कारोबार आधा भी नहीं रहा। इसके चले यह कंपनी कर्ज में डूबती चली गई।

पीएनबी, जम्मू एंड कश्मीर बैंक, केनरा बैंक आफ बड़ौदा सहित पांच बैंकों की देनदारी हो गई। अप्रैल वर्ष 2022 में प्रशासनिक अधिकारियों की टीम ने इस प्लांट पर छापा मारा। उस समय पशुओं का फर्श पर कटान होते पाया गया। मौके से 35 कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया।

जनरल मैनेजर आबिद व एचआर हेड मोहम्मद रहुफ के विरुद्ध भी क्षेत्रीय थाने में अपराध पंजीकृत किया गया। इसके बाद प्रशासन ने प्लांट में पशु कटान पर रोक लगा दी। मांस निर्यातक सिराजुद्दीन कुरैशी पर उस समय संकट और बढ़ गया, जब कर्ज में डूबा साहिबाबाद प्लांट को नीलाम कर दिया गया।

कोर्ट की शरण में गए निर्यातक

जम्मू एंड कश्मीर बैंक व बैंक आफ बड़ौदा का करीब 150 करोड़ रुपये की देनदारी थी। खाता एनपीए होने पर बैंक ने जब इसकी निलामी प्रक्रिया से पहले कब्जा लेने का प्रयास किया, तो वर्ष 2021 में निर्यातक हाईकोर्ट चले गए।

एशिया का सबसे बड़ा है प्लांट

हिंद एग्रो समूह का मांस निर्यात के क्षेत्र में बड़ा साम्राज्य रहा है। खाड़ी देशों के अलावा मलेसिया, सिंगापुर जैसे कई विकसित देशों में मीट का निर्यात होता था। करुणा निधी शासन में इस समूह ने चेन्नई में एक प्लांट तैयार किया था। प्लांट बनकर तैयार ही हुआ था, कि ममता बेनर्जी सरकार ने मांस कटान की अनुमति नहीं दी।

इसके विरुद्ध निर्यातक ने 10 साल तक कोर्ट के माध्यम से केस जीता। सरकार पर 40 करोड़ रुपये जुर्मान वसूल कर समूह के खाते में डाल दिया। इसे भी सीआइआरपी प्रतिनिधि ने कब्जा में ले लिया है। छेरत का प्लांट 100 बीघा से अधिक जमीन पर बना है। इसमें हैलीपेड भी है।

हिंद एग्रो कर्ज में डूबा हुआ है। पांच से अधिक बैंकों की देनदारी है। इन बैंकों के उच्चस्तरीय अधिकारियों ने सीआइआरपी प्रतिनिधि नियुक्त करने का सामूहिक निर्णय लिया। हाईकोर्ट ने हमें इसका प्रतिनिधि नियुक्त किया। प्लांट को कब्जा में ले लिया है। ताकि कर्मचारियों से लेकर बैंकों की भी देनदारी दी जा सके।

- सरदार परमजीत सिंह आहूजा, प्रतिनिधि, सीआइआरपी

हिंद एग्रो पर कर्मचारियों के वेतन के रूप में दो करोड़ रुपये से अधिक की देनदारी है। मैं उत्पदान क्वालिटी मैनेजर पद पर कार्यरत था। अवैध पशु कटान के बाद कंपनी बंद हो गई। हमारा भी करीब साढे चार लाख रुपये वेतन की देनदारी है।

- प्रमोद कुमार, पूर्व क्वालिटी मैनेजर, हिंद एग्रो प्लांट, छेरत

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