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Aligarh Railway Station : इंतजार खत्‍म, ध्वस्त होगा ब्रिटिशकाल में बना स्टेशन का भवन, नया बनाने की तैयारी

शुरूआत में एक ही रेलवे लाइन बिछाई गई थी। 1866 में ईस्ट इंडियन रेलवे कंपनी की कोयले वाले इंजन से ट्रेनें इस लाइन पर चलने लगीं थीं। 1894 में अवध और रोहिलखंड रेलवे द्वारा रामपुर के रास्ते बरेली-मुरादाबाद होकर अलीगढ़ की एक शाखा लाइन डाली गई थी।

By Jagran NewsEdited By: Mohammed AmmarUpdated: Mon, 03 Apr 2023 09:39 PM (IST)
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Aligarh Railway Station : इंतजार खत्‍म, ध्वस्त होगा ब्रिटिशकाल में बना स्टेशन का भवन, नया बनाने की तैयारी

संदीप सक्सेना, अलीगढ़ : शहर की पुरानी इमारतों में शामिल अलीगढ़ के रेलवे स्टेशन का भवन कुछ साल बाद नजर नहीं आएगा। ब्रिटिशकाल में यूरोपीय माडल के अनुरूप बने इस भवन को तोड़कर नया भवन बनाने की योजना है। ट्रैक के बीच बनी दीवार बनी रहेगी, लेकिन मुख्य द्वार, कार्यालय ध्वस्त किए जाएंगे। इसके स्थान पर भव्य भवन बनाने के लिए तैयारी की गई डिजायन स्वीकृति के लिए उत्तर मध्य रेलवे प्रयागराज मंडल के उच्चाधिकारियों के पास भेजी गई है।

मुगल शासनकाल के इस शहर में कई ऐतिहासिक भवन ऐसे हैं, जिन्हें लोग देखने आते हैं। भवन की बनावट और सुरक्षा की दृष्टि से ट्रैक के बीच बनाई गई दीवार अलीगढ़ स्टेशन को खास बनाए रहा है। गजेटियर्स के अनुसार वर्ष 1854 में कलक्टर वाटसन के दरबार में रेलवे के अधिकारियों ने उत्तर रेलवे की लाइन बिछाने के लिए मुलाकात की थी। उन्होंने स्वीकृति देने में देरी नहीं की और उसी साल निर्माण शुरू हो गया।

वर्ष 1865-66 में स्टेशन का निर्माण पूरा होने पर रेलवे सेवा शुरू हो गई थी। अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के आर्किटेक्ट विभाग के प्रोफेसर फरहान फाजली के अनुसार अलीगढ़ जंक्शन यूरोपीय माडल के अनुरूप बना है। इसके निर्माण में कोलोनियल व सेमी सरक्यूलर आर्ट को शामिल किया गया है। यूरोप में ज्यादातर रेलवे स्टेशन इसी तरह बने हुए हैं। स्टेशन की दीवारों की गोलाई व छत आदि यूरोपियन स्थापत्य कला को दर्शाती हैं।

केवल एक लाइन से शुरू हुई थी रेलवे सेवा

शुरूआत में एक ही रेलवे लाइन बिछाई गई थी। 1866 में ईस्ट इंडियन रेलवे कंपनी की कोयले वाले इंजन से ट्रेनें इस लाइन पर चलने लगीं थीं। 1894 में अवध और रोहिलखंड रेलवे द्वारा रामपुर के रास्ते बरेली-मुरादाबाद होकर अलीगढ़ की एक शाखा लाइन डाली गई थी। इस शाखा लाइन के बाद स्टेशन अलीगढ़ जंक्शन में तब्दील हो गया। शुरू में एक ही प्लेटफार्म था। वर्तमान में सात प्लेटफार्म हैं।

1976 में हुआ विद्युतीकरण

ब्रिटिश शासनकाल के अधिकारियों ने निर्माण के दौरान गुणवत्ता व मजबूती का पूरा ध्यान रखा गया। अप और डाउन रेलवे लाइन के बीच करीब तीन फुट चौड़ी मजबूत दीवार बनाई गई। सेवानिवृत्त स्टेशन अधीक्षक आरएन शुक्ला के अनुसार निर्माण के दौरान इस बात पर विशेष ध्यान दिया कि कोयले के इंजन से चलने वाली रेलगाड़ी की धमक दीवारें आसानी से सह सकें।

टुंडला-अलीगढ़-गाजियाबाद और अलीगढ़-हरदुआगंज सेक्टर का विद्युतीकरण 1975-76 में पूरा हुआ था। प्रयागराज मंडल ने अलीगढ़ को 'ए' श्रेणी के जंक्शन का दर्जा दिया हुआ है।

सिटी सेंटर के रूप में विकसित होगा अलीगढ़ जंक्शन

रेलवे ने नई डाउन रेलवे लाइन बिछाने का निर्णय लिया है। अलीगढ़ जंक्शन के सिविल लाइन की ओर से 800 करोड़ की लागत से नया भवन प्रस्तावित है, जोकि हवाई अड्डे की तरह दिखेगा। इसे सिटी सेंटर के रूप में विकसित किया जाएगा।

ज्यादातर रेलवे स्टेशन अंग्रेजों के समय के हैं। पहले ट्रेनों की गति इतनी नहीं थी। अधुनिक सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए स्टेशन का विकास किया जा रहा है। अलीगढ़ जंक्शन को सिविल लाइन की ओर से सिटी सेंटर के रूप में विकसित किया जाएगा। पुराने भवन को ध्वस्त किया जाएगा। नई डिजायन के अनुसार ही तैयार किया जाएगा।

अमित कुमार सिंह, पीआरओ उत्तर मध्य रेलवे प्रयागराज मंडल।

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