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लोकसभा चुनाव से पहले अखिलेश को एक और बड़ा झटका, इधर सपा-कांग्रेस गठबंधन में बनी बात; उधर राष्ट्रीय सचिव ने दे दिया इस्तीफा

समाजवादी पार्टी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। एक ओर जहां पार्टी की कांग्रेस से सीटों के गठबंधन पर सहमति बनी वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय महासचिव सलीम शेरवानी के बाद अब राष्ट्रीय सचिव ठाकुर योगेंद्र सिंह तोमर ने भी अपने पद से त्याग पत्र दे दिया है। बुधवार को उन्होंने इसका पत्र राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को भेज दिया है।

By Jagran News Edited By: Abhishek Pandey Updated: Wed, 21 Feb 2024 03:13 PM (IST)
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लोकसभा चुनाव से पहले अखिलेश को एक और बड़ा झटका, इधर सपा-कांग्रेस गठबंधन में बनी बात
जागरण संवाददाता, अलीगढ़। समाजवादी पार्टी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। एक ओर जहां पार्टी की कांग्रेस से सीटों के गठबंधन पर सहमति बनी, वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय महासचिव सलीम शेरवानी के बाद अब राष्ट्रीय सचिव ठाकुर योगेंद्र सिंह तोमर ने भी अपने पद से त्याग पत्र दे दिया है।

बुधवार को उन्होंने इसका पत्र राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को भेज दिया है। इस पत्र में इन्होंने कहा है कि उन्होंने अब तक की राजनीति पांच बार के सांसद और केंद्रीय मंत्री सलीम शेरवानी के साथ ही की है। अब वह सपा से अलग हो गए, ऐसे में उनके लिए भी पार्टी के साथ रहने का कोई औचित्य नहीं हैं।

रियल स्टेट कारोबारी हैं योगेंद्र सिंह

पार्टी में अल्पसंख्यकों के साथ ही सामान्य और पिछड़े वर्ग की अनदेखी हो रही है। योगेंद्र सिंह तोमर पश्चिमी यूपी के प्रमुख रियल एस्टेट कारोबारी भी हैं। अलीगढ़ के साथ ही नाेएडा व बंदायू में इनका कारोबार है।

शहर के लक्ष्मीबाई मार्ग स्थित जापान हाउस के पार्क व्यू रेजीडेंसी निवासी योगेंद्र सिंह तोमर बंदायू की गुन्नौर तहसील के मिठनपुर गांव के मूल निवासी हैं। रियल एस्टेट कारोबार में इनकी अलग पहचान है। यह पिछले काफी समय से समाजवादी पार्टी से जुड़े हुए हैं।

धर्मेंद्र यादव को सांसद बनाने में था अहम योगदान

2014 में बंदायू लोकसभा क्षेत्र से धर्मेंद्र यादव को सांसद बनाने में अहम योगदान था। सामान्य वर्ग के साथ ही पिछड़े और अल्पसंख्यकों में इनकी गहरी पैठ है। समाज सेवा के लिए भी अलग पहचान है। ऐसे में पिछले दिनों समाजवादी पार्टी इनको राष्ट्रीय महासचिव पद पर नामित किया था, मगर बीते दिनों पूर्व केंद्रीय मंत्री सलीम शेरवानी के त्याग पत्र के बाद इनके भी समाजवादी पार्टी छोड़ने की अटकले लगाईं जा रही थीं।

बुधवार को इन्होंने अचानक से पार्टी से त्याग पत्र देने का एलान कर दिया। राष्ट्रीय अध्यक्ष को एक चिट्ठी लिखी है, जिसमें उन्होंने कहा है कि पार्टी में मुसलमानों के साथ ही सामान्य और पिछड़े वर्ग उपेक्षा से परेशान होकर राष्ट्रीय सचिव पद से इस्तीफा दे रहा हूं। पत्र में उन्होंने कहा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री सलीम शेरवानी के साथ इन्होंने समाजवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण की थी। कई साल से वह पूरी मेहनत से पार्टी की सेवा कर रहे हैं। मगर, अब पार्टी में मेहनती कार्यकर्ताओं को तवज्जों नहीं मिल रही है।

राज्यसभा न भेजने पर कार्यकर्ताओं में रोष

पूर्व केंद्रीय मंत्री के विश्वास को भी ठेस पहुंचाई गई है। इसी के चलते अल्पंसख्यक समाज के साथ ही सेक्युलर नीति से सामान्य और पिछड़ों में अलग पहचान रखकर पार्टी को मजबूत करने वाले व्यक्ति ने भी पार्टी पद से त्याग पत्र दे दिया है। इतनी कर्मठता के बाद भी इन्हें राज्यसभा नहीं भेजा गया। इससे जमीनी कार्यकर्ताओं में रोष है।

सपा की पीडीए नाम की राजनीति भी अब दिखावा लगती है। कई बार पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष से क्षत्रीय और ब्राह्मण हित में बात करने के प्रयास किए गए, मगर उन्होंने इस बात को सुनना ही पसंद नहीं किया। पार्टी कार्यकर्ताओं की भावनाओं का भी सम्मान नहीं हो रहा है। छुट भइये नेताओं के कहने पर प्रदेश में राज्य सभा सीटों का बंदरबांट किया गया है। जिन लोगों का जनता से कोई मतलब नहीं है, उन्हें राज्य सभा भेजा है। इससे उनका मन काफी आहत है।

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