कुछ ऐसे हैं बाबा के ठाठ बाट: खचाखच भीड़... सफाई से सुरक्षा तक हर इंतजाम स्वयंसेवकों के पास, मीडिया से दूरी
बाबा के ठाठ बाट किसी वीवीआइपी से कम नहीं हैं। जिस जिले में बाबा का कार्यक्रम निर्धारित होता है वहां तीन-चार दिन पहले सैकड़ों की तादाद में स्वंय सेवक पहुंच जाते हैं। सफाई से लेकर सुरक्षा तक के इंतजाम इन्हीं स्वयंसेवकों के हाथों में होती है। खास बात ये है कि इनके कार्यक्रम में मीडिया को आने की अनुमति नहीं होती है।
जागरण संवाददाता, अलीगढ़। साकार बाबा का सत्संग अलीगढ़ में भी चार से पांच बार हो चुके हैं। तालानगरी स्थित खाली प्लाट में बाबा सत्संग में इतनी भीड़ हो जाती है कि पैर रखने को जगह नहीं होती है।
कई दिन पहले उनके भक्त यहां पर आकर मैदान की सफाई शुरू कर देते हैं। बाबा की सेवा बताकर दिन रात महिला और पुरुष भक्त आयोजन में जुट जाते हैं। प्रवचन स्थल तक बाबा के लिए अलग से एक रास्ता भी बनाया जाता था। इस मार्ग पर बाबा का काफिला ही निकलता था।
इसके अलावा किसी को जाने की अनुमति नहीं थी। उनका कार्यक्रम जब समाप्त हो जाता तब रामघाट रोड ताला नगरी से लेकर क्वार्सी चौराहे तक जाम लग जाता था।बाबा प्रवचन के दौरान किसी आसपास के गेस्ट हाउस में रुकते थे। अलीगढ़ ही नहीं एटा, कासगंज, हाथरस, आगरा, बुलंदशहर और अन्य जिलों के श्रद्धालु यहां पर आते हैं। रामघाट रोड पर बाबा का काफिला जब गुजरता था तब उनके सेवादार क्वार्सी चौराहे से लेकर ताला नगरी तक दोनों ओर सेवादार लग रहते थे। वे ही ट्रैफिक व्यवस्था नियंत्रित करते हैं।
मीडियाकर्मियों को बाबा के कार्यक्रम में अनुमति नहीं मिलती है। पानी पिलाने से लेकर पंडाल की व्यवस्थाएं उनके सेवादारों के हाथ में होती थी। भक्तों की आस्था का अंदाजा इस बात से लगाया जाता था कि बरसात के दिन में कार्यक्रम स्थल में पानी भर जाता था तो भक्त वहीं दलदल के आसपास रात गुजारते थे।
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