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बाबूजी ने दी थी दीनदयाल अस्पताल की सौगात, 1991 में रखी थी नींव Aligarh news

कुशल प्रशासक के रूप में ख्याति पाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह (बाबूजी) ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी बेहतर काम किया। अपने विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए अलीगढ़ की जनता को पं. दीनदयाल उपाध्याय संयुक्त चिकित्सालय की सौगात दी।

By Anil KushwahaEdited By: Updated: Sun, 22 Aug 2021 01:41 PM (IST)
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बाबू जी ने अलीगढ़ की जनता को पं. दीनदयाल उपाध्याय संयुक्त चिकित्सालय की सौगात दी।
विनोद भारती, अलीगढ़। कुशल प्रशासक के रूप में ख्याति पाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह (बाबूजी) ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी बेहतर काम किया। अपने विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए अलीगढ़ की जनता को पं. दीनदयाल उपाध्याय संयुक्त चिकित्सालय की सौगात दी, जो इस समय मंडल का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है। अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस यह अस्पताल कोरोना काल में मरीजों के लिए संकट मोचक साबित हुआ। वर्तमान में यहां ओपीडी सेवाएं संचालित हैं, रोजाना दो से ढाई हजार मरीज अस्पताल का लाभ उठा रहे हैं।

14 दिसंबर 1991 में रखी दीन दयाल अस्‍पताल की नींव

कल्याण सिंह ने अपने पहले मुख्यमंत्रित्व काल के दौरान 14 दिसंबर 1991 में दीनदयाल अस्पताल की नींव रखी। शुरुआत में इसे छह सौ बेड की क्षमता के साथ तैयार किए जाने व भविष्य में मेडिकल कालेज बनाने की योजना थी। करीब आठ साल में इसकी भव्य इमारत बनकर तैयार हुई। आठ मई 1999 को पुन: मुख्यमंत्री के रूप में इसका लोकार्पण किया। हालांकि, तब जिला अस्पताल के अधीन एक डिस्पेंसरी की तरह शुरुआत हुई। जिला अस्पताल के सीएमएस की देखरेख में ही इसका संचालन होने लगा। जो ओपीडी व इमरजेंसी के लिए एक या दो डाक्टर तैनात कर देते थे। 2006 में यहां इंडोर सेवाएं शुरू हुईं। 2001 में इसे सौ बेड की स्वीकृति प्रदान की गई। सीएमएस नियुक्त किए, मगर 2006 तक फाइनेंसियल पावर जिला अस्पताल के सीएमएस के पास रहीं। 2008 में डाक्टर व अन्य स्टाफ के 25 पद स्वीकृत हुए। परिसर में आवास बनाए गए। 2012 में दो सौ बेड की स्वीकृति मिली। इसके बाद हास्पिटल को अत्याधुनिक रूप मिलना शुरू हुआ। सफाई व सुरक्षा निजी एजेंसियों के हवाले की गई है। सरकार भले कोई रही हो, बाबूजी और उनके परिवार का लगाव इस अस्पताल से कम नहीं हुआ। इसके जीर्णोद्धार व विस्तार के लिए सभी प्रयासरत रहे। पूर्व सीएमएस डा. बालकिशन के अनुसार संक्रामक बीमारियां हों या कोई हादसा या फिर कोरोना संकट। दीनदयाल अस्पताल हर चुनौती से जूझने के लिए तैयार रहा है। करीब डेढ़ साल से यह लेबल-यू की सुविधा वाले कोविड केयर सेंटर के रूप में संचालित है। दूसरी लहर में यहां बेड क्षमता 364 तक बढ़ा दी गई। करीब 60 वेंटीलेटर युक्त आइसीयू का संचालन हुआ। अब मेडिकल कालेज की स्थापना की तैयारी है।

इसलिए कराई गई स्थापना

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवॢसटी (एएमयू) के जवाहर लाल नेहरू (जेएन) मेडिकल कालेज में सिविल लाइन क्षेत्र व जिला अस्पताल में पुराने शहर के विशेष वर्ग को ही ज्यादा लाभ मिल रहा था। मलखान सिंह जिला अस्पताल भी शहर के अंदर था। नए शहर के लोगों को इलाज में समस्या होने लगी। कल्याण सिंह तक यह बात लगातार पहुंच रही थी, लिहाजा उन्होंने क्वार्सी के निकट अस्पताल बनाने का निर्णय लिया। बाबू जी बहुत स्वाभिमानी थे, इतना बड़ा अस्पताल जनता को समॢपत करने के बाद वे कभी दीनदयाल अस्पताल नहीं गए, लेकिन अपने बेटे राजवीर सिंह उर्फ राजू भइया के जरिए इसका हालचाल लेते रहे।

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