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बेसवां में इस वर्ष भी नहीं लगा बलदेव छठ मेला, दाऊ बाबा का सजा फूल बंगला Aligarh news

बेसवां में भी दाऊजी महाराज का मंदिर है। यह मंदिर लगभग 400 वर्ष पुराना बताया जाता है। यहां पिछले 200 वर्ष से लगने वाला मेला इस साल भी कोरोना की भेंट चढ़ गया है। त्रेतायुग में जनकल्याण के लिए ऋषि विश्वामित्र ने पृथ्वी के नाभि केंद्र पर यज्ञ किया था।

By Anil KushwahaEdited By: Updated: Sun, 12 Sep 2021 04:22 PM (IST)
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दाऊ सो दाता नहीं जग में कोई एक, दीनन की रक्षा करें फल देवे अनेक।
अलीगढ़, जागरण संवाददाता।  दाऊ सो दाता नहीं जग में कोई एक, दीनन की रक्षा करें फल देवे अनेक। यह ब्रज के राजा दाऊजी महाराज के लिए यूं ही नहीं कही जाती, क्योंकि वे अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते। भाद्रपद शुक्ल पक्ष की षष्ठी बुधवार के दिन मध्याह्न 12 बजे तुला लग्न तथा स्वाति नक्षत्र में माता रोहणी के गर्भ से बल्देव जी का जन्म हुआ था। जिला मुख्यालय से 25 किमी दूर बेसवां में भी दाऊजी महाराज का मंदिर है। यह मंदिर लगभग 400 वर्ष पुराना बताया जाता है। यहां पिछले 200 वर्ष से लगने वाला मेला इस साल भी कोरोना की भेंट चढ़ गया है।

जनकल्‍याण के लिए ऋषि विश्‍वामित्र नेे पृथ्‍वी के नाभिकेंद्र पर किया था यज्ञ 

बताया जाता है त्रेतायुग में जनकल्याण के लिए ऋषि विश्वामित्र ने पृथ्वी के नाभि केंद्र पर यज्ञ किया था। आज वही यज्ञ कुंड धरणीधर सरोवर के नाम से जाना जाता है, जो विश्वामित्रपुरी (बेसवां) में स्थित है। यहां त्रेतायुग में भगवान श्रीराम लक्ष्मण ने विश्वामित्र के साथ आकर यज्ञ संपन्न कराया था। वहीं द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने अपने भ्राता बलराम के साथ लीलाएं की थी। सरोवर के तट पर उत्तर दिशा में बने एक प्राचीन मंदिर ब्रज के राजा दाऊजी महाराज का विग्रह है। 25 वर्षों से सेवा कर रहे कृष्ण मुरारी बताते हैं कि मंदिर लगभग 400 वर्ष पुराना है। पुराणों में भले ही मंदिर का कोई इतिहास दर्ज नहीं है, लेकिन इनकी महिमा दूरदराज तक फैली हुई है। पहले दाऊजी महाराज की ढोड़ी पर एक डायमंड लगा हुआ था। 70 वर्ष पहले डायमंड के लिए चोर मूर्ति को चोरी कर ले गए थे।

स्वप्न में दिए दर्शन

बताया जाता है मूर्ति चोरी होने के बाद गांव नया बास निवासी दाऊजी की भक्त चिरौंजा देवी को काफी दुख हुआ। अपने आराध्य के चोरी होने के में खाना भी छोड़ दिया था। तब रात्रि को दाऊजी महाराज ने उन्हें स्वप्न देकर बताया था कि वह सादाबाद के पास एक रजबहा में है। स्वप्न की बात सुनकर जब लोग वहां पहुंचे तो मूर्ति रजबहा में मिल गई। मूर्ति को वहां से लाकर पुनः यहां स्थापित किया गया।

नहीं लगा मेला

ब्रज के राजा हलधर के जन्मोत्सव पर प्रतिवर्ष सरोवर के किनारे तीन दिवसीय बल्देव छट मेले का आयोजन धूमधाम से किया जाता रहा है। मंदिर पर फूल बंगला सजता है। माखन मिश्री का भोग लगाकर प्रसाद वितरण किया जाता है। यहां दर्शन करने के लिए लोग दूर दराज से आते हैं। लेकिन इन वर्ष भी कोरोना के चलते देवछट मेले का आयोजन नहीं हुआ। मंदिर को भव्य तरीके से सजाया गया है। हालांकि कुछ दुकानदारों ने अपनी दुकानें सजाकर मेले की परंपरा को जिंदा रखा है। मंदिर के पुजारी ने बताया कि शाम के समय भव्य फूल बंगला सजेगा। माखन मिश्री का प्रसाद भी वितरित किया जाएगा।

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