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CPR Beat Cardiac Arrest: सांस या दिल रुक जाए तो CPR से बचाई जा सकती है जान, क्‍या है तरीका, पढ़ें विस्‍तृत खबर

CPR Beat Cardiac Arrest एएमयू के जेएन मेडिकल कालेज में आर्थोपेडिक डिपार्टमेंट के प्रोे नैयर आसिफ ने कहा सीपीआर को कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन Cardiopulmonary resuscitation (CPR) कहते हैं। दिल धड़कना बंद हो जाए तो उसे Cardiac Arrest हो जाता है।

By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Updated: Mon, 08 Aug 2022 02:08 AM (IST)
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राष्ट्रीय हड्डी व जोड़ दिवस पर प्रोफेसर नैयर आसिफ ने पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षण दिया। फाटो जागरण
अलीगढ़, जेएनएन। एएमयू के जेएन मेडिकल कालेज में आर्थोपेडिक डिपार्टमेंट के प्रोे नैयर आसिफ ने कहा सीपीआर को कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन Cardiopulmonary resuscitation (CPR) कहते हैं। यह इमरजेंसी मेडिकल टेक्निक है। इसके जरिए यदि किसी व्यक्ति की सांस या दिल रुक जाए तो उसकी जान बचाई जा सकती है। किसी व्यक्ति का दिल धड़कना बंद कर देता है, तो उसे Cardiac Arrest होता है।

CPR में छाती से बनाते हैं दबाव 

कार्डिएक अरेस्ट के दौरान, हृदय मस्तिष्क और फेफड़ों सहित शरीर के बाकी हिस्सों में खून पंप नहीं कर सकता है। उपचार के बिना मृत्यु मिनटों में हो सकती है। सीपीआर में मरीज की छाती पर दबाव बनाते हैं। इससे ब्लड फ्लो को बेहतर बनाने में सहायता मिल सकती है। इससे मरीज को आसानी से बचाया जा सकता है। 

CPR से बच सकती है मरीज की जान

प्रोफेसर नैयर आसिफ राष्ट्रीय हड्डी व जोड़ दिवस पर पुलिस लाइन स्थित पुलिस चिकित्सालय में यूपी आर्थोपेडिक एसोसिएशन के सहयोग से पुलिस व जनता के बेसिक लाइफ सपोर्ट प्रशिक्षण कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। CPR के जरिए समस्या कम हो सकती है। यदि Cardiac Arrest के पहले कुछ मिनटों में मरीज को सीपीआर दिया जाए, तो मरीज के जीवित रहने की संभावना तिगुना हो सकती है।

डेमो देकर पुलिस कर्मियों को दिया प्रशिक्षण

यूपी आर्थोपेडिक एसोसिएशन के अध्‍यक्ष डा. नैयर आसिफ व डा. सुमित सिंघल द्वारा पुलिस कर्मियों को दुर्घटना में घायल को घटनास्थल पर ही सीपीआर देने के विषयक जानकारी व डेमो देकर प्रशिक्षित किया गया। दुर्घटना की स्थिति में घायल को जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाने के लिए कहा गया। एसोसिएशन द्वारा सड़क दुर्घटना, आपदा प्रबंधन, हृदयघात व अन्य किसी चिकित्सीय आकस्मिकता के दौरान सहायता प्रदान करने के लिए पुलिस कर्मियों व जनता के लोगों को बेसिक लाइफ सपोर्ट का प्रशिक्षण दिया गया।

एंबूलेंस आने में हो देरी तो दे CPR

डाक्‍टरों ने बताया कि प्रायः सड़क दुर्घटना, आपदा प्रबंधन, हृदयघात व अन्य किसी चिकित्सीय आकस्मिकता के दौरान सूचना सर्वप्रथम स्थानीय पुलिस को प्राप्त होती है, जिसमें कभी-कभी एंबुलेंस आने व अस्पताल तक पहुंचने व चिकित्सा सहायता प्राप्त होने में समय लग जाता है। इन हालात में CPR के जरिए चिकित्‍सकों को बचाया जा सकता है।

पुलिस कर्मियों का प्रशिक्षित होना बेहद आवश्‍यक

यूपी आर्थोपेडिक एसोसिएशन के अध्‍यक्ष डा. नैयर आसिफ ने CPR के बारे में विस्‍तार से जानकारी दी। इससे पहले कार्यक्रम का शुभारंभ एसएसपी कलानिधि नैथानी ने किया। एसएसपी ने कहा सड़क दुर्घटनाओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए अधिक से अधिक लोगों की जान बचाने के उद्देश्य से यह प्रशिक्षण कार्यक्रम रखा गया है। वर्तमान समय में फर्स्ट रेस्पांडर होने के नाते पुलिस कर्मियों का बेसिक लाइफ सपोर्ट में प्रशिक्षित होना आवश्यक है।

काम आएगा अनुभव

प्रशिक्षण के दौरान क्षेत्राधिकारी नगर प्रथम अशोक कुमार, क्षेत्राधिकारी बरला शिवप्रताप सिंह, प्रभारी निरीक्षक महिला थाना सरिता द्विवेदी, प्रभारी निरीक्षक देहलीगेट नित्यानंद पांडे, प्रभारी निरीक्षक जवां अरविंद कुमार, प्रभारी निरीक्षक चंडौस प्रमोद कुमार मलिक, प्रभारी निरीक्षक गोधा विपिन कुमार के अलावा यातायात पुलिस, यूपी-112, जीआरपी, पीएसी, अग्निशमन विभाग के कर्मचारी मौजूद रहे। सीओ सिविल लाइन श्वेताभ पांडेय ने बताया कि प्रशिक्षण से बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है। निश्चित रूप से भविष्य में यह अनुभव लोगों की जान बचाने में काम आएगा।

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