Aligarh news : नशीले पदार्थ का सेवन करना ही नशा नहीं होता बल्कि बुरी लत का आदी होना भी एक नशा है : डा विपिन
Aligarh news नशीले पदार्थों का सेवन करना ही नशा नहीं होता बल्कि किसी भी बुरी लत का आदी होना भी एक नशा है। इसलिए समाज को बचाने के लिए नशामुक्ति अत्यंत आवश्यक है। ये कहना है डीएवी कालेज के प्रधानाचार्य डा विपिन कुमार वार्ष्णेय का।
By Anil KushwahaEdited By: Updated: Thu, 06 Oct 2022 05:35 PM (IST)
अलीगढ़, जागरण संवाददाता। Aligarh news : डीएवी इंटर कालेज के प्रधानाचार्य डा. विपिन कुमार वार्ष्णेय का कहना है कि नशा करना किसी भी समाज के लिए अभिशाप है, समाज में यदि लोग किसी बुरी व्यसन के आदी हैं तो ऐसे समाज का नैतिक एवं सामाजिक पतन सुनिश्चित है । इसलिए समाज को बचाने के लिए नशा मुक्ति अत्यंत आवश्यक है। नशीले पदार्थों का सेवन करना ही नशा नहीं होता बल्कि किसी भी बुरी लत का आदी होना भी एक नशा है, छात्र जीवन में यदि वह किसी भी प्रकार के नशा के आदी हैं तो यह उनके लिए घातक है।
कोरोना के चलते आनलाइन क्लासेज का प्रयोग
कोविड-19 के दौरान परिस्थितिवश छात्रों द्वारा आनलाइन क्लासेज एवं अन्य प्रकार से अध्ययन करने के लिए मोबाइल एवं टेबलेट का प्रयोग किया गया था। परंतु वर्तमान सामान्य परिस्थितियों में छात्र मोबाइल एवं टेबलेट का उपयोग लगातार कर रहे हैं। मोबाइल डाटा की असीमित उपलब्धता एवं उसकी तीव्र गति ने छात्रों को मोबाइल प्रयोग करने का आदी बना दिया है, वे बिना मोबाइल के रह नहीं सकते, मोबाइल वास्तव में छात्रों के लिए नशा बन गया है। मोबाइल पर उपलब्ध असंख्य गेम्स इस प्रकार डिजाइन किए जाते हैं जिससे छात्रों में उनकी लत छुड़ाना असंभव हो जाता है ।आनलाइन गेम खेलने के आदी हुए बच्चे
पब्जी गेम इसका ज्वलंत उदाहरण है जो छात्र इस गेम को खेलने के आदी हैं तो वह न सिर्फ अपने परिवारी जनों बल्कि समाज से भी अलग होकर रह जाते हैं। व्हाट्सएप, यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम जैसी सोशल साइट्स उन्हें दिग्भ्रमित कर रही हैं। इन साइट्स पर उपलब्ध सामग्री छात्रों के अंदर गलत प्रवृत्ति पैदा कर रही है जिससे छात्रों का नैतिक एवं चारित्रिक पतन हो रहा है। आए दिन विद्यालय प्रांगण में अथवा विद्यालय से बाहर छात्र समूह के मध्य होने वाले संघर्ष देखना सामान्य बात हो गई है । किडनैपिंग चोरी हत्या आत्म हत्या जैसे मामले भी सामने आ रहे हैं।
मोबाइल के चलते करियर हो रहा प्रभावित
प्रायः ऐसे छात्रों में अध्यापकों, अभिभावकों से विद्रोह, चिड़चिड़ापन देखना बहुत सामान्य है, ऐसे छात्र अपने अभिभावकों का कहना बिल्कुल नहीं मानते। मोबाइल के आदी होने से उनका कैरियर, स्वास्थ्य एवं समय बर्बाद हो रहा हैं। अतः छात्रों को मोबाइल प्रयोग के इस नशे से मुक्त होना ही चाहिए। इसके लिए काउंसलिंग द्वारा उन्हें मोबाइल के अधिक प्रयोग के लिए हतोत्साहित करना होगा । इसके लिए माता- पिता, शिक्षक एवं अन्य अभिभावकों द्वारा प्यार एवं समझदारी से छात्रों को समझाना होगा कि मोबाइल का अधिक प्रयोग उनके जीवन, कैरियर एवं स्वास्थ्य को बर्बाद कर रहा है। बाद में असफल होने पर छात्रों को पछतावा होता है परंतु फिर वही कहावत चरितार्थ होती है कि अब पछताने से क्या होता है जब चिड़िया चुग गई खेत।इसे भी पढ़ें : Aligarh News : कट्टरपंथियों की धमकियों को दर किनार कर रूबी आसिफ खान ने मां की प्रतिमा को किया विसर्जित
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