Dhanipur Airport : अब अलीगढ़ से लखनऊ के लिए हवाई सेवा शुरू, एक घंटे में पहुंचेंगे राजधानी- जानिए कितना है किराया
छोटा गांव। मगर अब पहचान बड़ी होने जा है। हवाई पट्टी से शुरू हुआ उड़ान का सफर अब हवाई अड्डे का रूप ले चुका है। यह क्षेत्र विमानों के ठहराव के लिए 1956 में ही उपयुक्त मान लिया गया था लेकिन 1991 में पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने हवाई पट्टी के निमार्ण कराने के साथ विकास के द्वार खोले थे। धनीपुर हवाई पट्टी से क्षेत्र की पहचान होने लगी।
जागरण संवाददाता, अलीगढ़। हवाई अड्डे के लोकार्पण के दूसरे दिन पहला 19 सीटर विमान धनीपुर हवाई हड्डे पर लैंड हुआ। हालांकि पहले दिन ही विमान दो घंटे की देरी से पहुंचा। यह विमान लखनऊ से रवाना हुआ था। इसके आने के एक घंटे बाद यहां से लखनऊ के लिए रवाना होगा। इसके लिए यात्रियों का स्वागत किया जा चुका है।
आने वाले विमान के स्वागत के लिए जन प्रतिनिधि इंतजार क़र रहे हैं। 14 मार्च को विमान दोनों तरफ से उड़ान भरेगा। इंडिगो कंपनी की फ्लाइट एक घंटे 5 मिनट की है। इसका किराया 1500 से 6 हजार के बीच रहेगा। जो समय और तिथि के साथ परिवर्तित होता रहेगा।
हवाई अड्डा से धनीपुर की बड़ी पहचान
छोटा गांव। मगर, अब पहचान बड़ी होने जा है। हवाई पट्टी से शुरू हुआ उड़ान का सफर अब हवाई अड्डे का रूप ले चुका है। यह क्षेत्र विमानों के ठहराव के लिए 1956 में ही उपयुक्त मान लिया गया था, लेकिन 1991 में पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने हवाई पट्टी के निमार्ण कराने के साथ विकास के द्वार खोले थे। धनीपुर हवाई पट्टी से क्षेत्र की पहचान होने लगी। यह पहचान अब हवाई अड्डे ने और बढ़ा दी है।1956 में करवाई गई थी पहली इमरजेंसी लैंडिंग
धनीपुर विकास खंड के गांव खानगढ़ी व किशन गढ़ी क्षेत्र में बंजर यानि ऊसर भूमि अधिक थी। वर्ष 1956 में एक सरकारी विमान खराब हो गया था। उस दौर में विमानों के रूट दिल्ली व लखनऊ से पहले विमान की लैंडिंग के इंतजाम नहीं थे। विमान की इमरजैंसी लैंडिंग के लिए ऊसर भूमि की तलाश शुरू हुई तो धनीपुर ब्लाक क्षेत्र के गांव खानगढ़ी व किशन गढ़ी के नाम सामने आए। अधिकारियों ने इसी क्षेत्र में विमान उतरवाया। तभी से इस भूमि पर प्रशसन की नजर तो थी लेकिन, इसे उपयोगी बनाने के लिए कोई प्रयास नहीं हो सके।
वर्ष 1991 में कल्याण सिंह पहली बार मुख्यमंत्री बने। वे शुरू से ही ऊसरभूमि को उपजाऊ बनाने के हिमायती थे। औद्योगिक क्षेत्र ताला नगरी के साथ उन्होंने किशनगढ़ी व खानगढ़ी की ऊसर भूमि पर हवाई पट्टी का निर्णय लिया। क्षेत्र की पहचान धनीपुर नवीन गल्ला मंडी से होने लगी थी। इसलिए हवाई पट्टी का नाम भी धनीपुर से रखा गया।
भाजपा नेता ठा. गोपाल सिंह ने बताया है कि बाबूजी कल्याण सिंह ने अपने कार्यकाल में ही हवाई पट्टी का निर्माण कराया था। इस हवाई पट्टी का लाभ मंडल के जिलों के अलावा बबराला, बहजोई, बंदायू आदि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों को भी मिलता रहा। मुख्यमंत्री, राज्यपाल व अन्य केंद्रीय व कैबिनेट मंत्रियों के लखनऊ से आने वाले विमान इस हवाई पट्टी पर उतरते थे। अब तक इस हवाई पट्टी का प्रयोग वीवीआइपी व वीआइपी के लिए हो रहा था। हवाई अड्डा बनने के बाद अब विमान की यात्रा का लाभ सामान्य वर्ग को भी मिल सकेगा।
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