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राजा महेंद्र प्रताप सिंह राज्य विवि के पहले दीक्षा समारोह में बोले उपराष्ट्रपति, 'शिक्षा का न हो व्यावसायीकरण'

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शिक्षा के व्यावसायीकरण पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि भारत में गुरुकुल प्रणाली बहुत सफल रही जहाँ कोई फीस नहीं थी और कोई रोकटोक नहीं थी। उन्होंने राष्ट्र शिक्षा नीति को आगे बढ़ाने वार्षिक आय बढ़ाने तकनीक को अपनाने और भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने पर ज़ोर दिया। उन्होंने युवाओं से देश के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का आह्वान किया।

By Jagran News Edited By: Abhishek Saxena Updated: Mon, 21 Oct 2024 01:53 PM (IST)
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राजा महेंद्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय के पहले दीक्षा समारोह में उपराष्ट्रपति और राज्यपाल।
जागरण संवाददाता, अलीगढ़। उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा है कि शिक्षा का व्यावसायीकरण नहीं होना चाहिए। भारत में गुरुकुल सिस्टम से बहुत फायदा हुआ। वहां फीस नहीं होती थी, कोई रोकटोक नहीं होती थी।हमको भविष्य के रोडमेप को शिक्षा को आगे रखना होगा। उन्होंने इसके लिए हर शिक्षक और प्रोफेसर से अपील भी की।

राजा महेंद्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय के पहले दीक्षा समारोह को सम्बोधित करते हुए उप राष्ट्रपति ने कहा, राष्ट्र शिक्षा नीति को आगे बढ़ाना है। वार्षिक आय को बढ़ाना है। तकनीक बढ़ रही है। भारत की भी प्रगति हो रही है। तकनीकी का अमृतकाल है। नए भारत में काम करना है। राष्ट्र से बड़ा कुछ नहीं है। राष्ट्रवाद हमारा धर्म है। राष्ट्र निजी हित से आगे है। यह हमारी नींव है। 

एक पेड़ मां के नाम की शुरुआत

उपराष्ट्रपति ने कहा, हमने यहां एक पेड़ मां के नाम की शुरुआत की थी, लोगों पर रहने के लिए धरती के अलावा कुछ नहीं है । हरियाली को बढ़ाना होगा। सभी लोग पेड़ जरूर लगाएं। युवाओं पर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी है। छात्र बदलते भारत में भूमिका निभाएं। 2047 तक विसकित भारत बनाना है। वित्त और तकनीकी रूप से मजबूत होना है। इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाना है।

राजा महेंद्र प्रताप सिंह का आजादी में महत्वर्ण योगदान रहा । उन्होंने अफगानिस्तान में भारत की अपदस्त सरकार का ग़ठन किया। उनकी कहानी प्रेरक है। लेकिन उन्हें इतना महत्व नहीं मिला। पूर्व प्रधान मंत्री चरण सिंह, कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिया गया।मैं गर्व महसूस करता हूं, लेकिन हमने अपने नायकों को पहचानने में देरी कर दी।

संबोधन के दौरान उपराष्ट्रपति।

विश्वविद्यालय ने पूरे किए दो वर्ष

14 सितंबर 2021 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस विश्वविद्यालय की नींव रखी थी। करीब सौ करोड़ की लागत से अब यह विश्वविद्यालय बनकर तैयार हुआ है। इसका क्षेत्रफल कुल सौ एकड़ क्षेत्रफल में फैला हुआ है। हालांकि, अब तक विश्वविद्यालय की कक्षाओं का संचालन जमिया उर्दू संस्थान में किया जा रहा था। अब जल्द ही यह विश्वविद्यालय अपने परिसर में कक्षाएं संचालित कर देगा। 2022में विश्वविद्यालय ने अपना कामकाज शुरू किया था। अब इसे दो वर्ष पूरे हो गए हैं।

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41 विद्यार्थियों को दिए गए स्वर्ण पदक व उपाधियां

समारोह में स्नातक व परास्नातक पाठ्यक्रमों के 41 विद्यार्थियों को कुल 45 स्वर्ण पदक व उपाधियां देकर सम्मानित किया गया। शारिका, दीक्षा, भानु व शिवानी को अपने पाठ्यक्रम के अलावा स्नातक व परास्नातक स्तर पर सर्वोच्च अंक के लिए दो-दो पदक देकर सम्मानित किया गया। 50 हजार 172 उपाधियां व 31 हजार 507 उपाधियां डिजिलॉकर में सुरक्षित की गई।

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