Ramveer Upadhyay : बड़े बुजुर्ग भी नहीं टाल पाते थे रामवीर की बात
Ramveer Upadhyay मंत्री रामवीर उपाध्याय में अपनी बात मनवाने का हुनर था। तभी उन्हीं की गांव के बड़े बुजुर्ग भी उनकी बात नहीं टाल पाते थे। उनके चुनाव के दौरान मिलने के अंदाज भी जुदा होता था। वह बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद लेते थे।
By Sandeep Kumar SaxenaEdited By: Updated: Sun, 04 Sep 2022 11:59 AM (IST)
हाथरस, जागरण संवाददाता। पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय में अपनी बात मनवाने का हुनर था। तभी उन्हीं की गांव के बड़े बुजुर्ग भी उनकी बात नहीं टाल पाते थे। उनके चुनाव के दौरान मिलने के अंदाज भी जुदा होता था। वह बड़ों के पैर छूकर आशीर्वाद लेते थे और छोटों को पीठ थपथपा कर आशीर्वाद देते थे। यही कारण है कि वह अपने ही गांव में लगातार छह बार निर्विरोध प्रधान बनवाने में कामयाब रहे।
ऐसे होता था प्रधान का चुनाव
जहां एक ओर प्रधान के चुनाव को लेकर ग्राम पंचायतों में लाठी- तमंचे बाहर निकल आते हैं वहीं रामवीर उपाध्याय के गांव में छह बार प्रधान निर्विरोध हुए। गांव के लोग बताते हैं कि पूर्व मंत्री प्रधान का चुनाव होने से पहले पंचायत बुलाते थे वहां गांव के 20 प्रबुद्ध लोगों की टीम बनती थी जिसमें हर वर्ग के लोग शामिल होते थे। टीम में अधिकांश सदस्य जिसको भी प्रधान बनाने को हाथ उठाते वही गांव प्रधान होता था। पूर्व मंत्री के फैसले को कोई टाल नहीं पाता था।
ये हुए थे निर्विरोध प्रधान
- ओमप्रकाश
- राजेंद्र प्रसाद रावत
- हरनारायण शर्मा
- रीना
- मिथलेश
- शिवकुमार।
इस बार कराना पड़ा चुनाव
ग्राम प्रधान कन्हैयालाल शर्मा का कहना है कि मंत्री जी इस बार भी निर्विरोध चुनाव कराना चाहते थे मगर गांव का एक व्यक्ति अड़ गया जिसके कारण चुनाव कराना पड़ा। मगर जीत रामवीर उपाध्याय के पक्ष की हुई। प्रधान के मुताबिक पूर्व मंत्री के कारण गांव की सभी गलियां पक्की हैं।ये भी जानिए3500 गांव की आबादी1430 मतदाता संख्यारामवीर का राजनीतिक सफर
1996 में बसपा से पहली बार विधायक बने, वे हाथरस विधानसभा क्षेत्र से जीते थेमार्च 1997 में मायावती मंत्रिमंडल में ऊर्जा व परिवहन मंत्री बने।1997 में कल्याण सिंह मंत्रिमंडल में यही मंत्रालय इनके पास रहे।2002 में दूसरी बार हाथरस से जीते और बसपा सरकार में ऊर्जा, चिकित्सा शिक्षा मंत्री बने2007 में हाथरस से विधायक बने। तीसरी बार ऊर्जा मंत्री बने।2012 में सिकंदराराऊ से विधायक बने।
2017 से वह सादाबाद से विधायक बने।2022 के विधानसभा के चुनाव के दौरान उन्होंने बसपा छोड़ दी और भाजपा से सादाबाद विधानसभा क्षेत्र में चुनाव लड़ा। खराब स्वास्थ्य के कारण प्रचार में नहीं जा सके। वे रालोद के प्रत्याशी प्रदीप चौधरी गुड्डू से हार गए थे।यह पद भी रहे2002 -2003 में नियम समिति के सदस्य रहे।2012 में बसपा विधान मंडल दल का मुख्य सचेतक बनाया गया।
2012-12 में कार्य मंत्रणा समिति के सदस्य बनाए गए।2016-17 में लोक लेखा समिति के सदस्य रहे।वकालत से मंत्री तकरामवीर उपाध्याय को राजनीति विरासत में नहीं मिली। खुद के दम पर उन्होंने अपनी दिग्गज नेता के रूप में पहचान बनाई। एक अगस्त 1957 को हाथरस के बामौली गांव में रामचरन उपाध्याय के यहां जन्मे रामवीर हर चुनौती को स्वीकार करते थे। उन्होंने स्नातक, एलएलबी तक शिक्षा ग्रहण की। इसके बाद गाजियाबाद में वकालत की। 1990 के बाद वे राजनीति में सक्रिय हुए। इनका एक पुत्र चिराग उपाध्याय है, जो कि राजनीति में सक्रिय हैं। दो पुत्रियां हैं।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।