स्वतंत्रता सेनानी आफताब अहमद खां बोले, दिल्ली में पथराव कर दौड़ाए थे फिरंगी Aligarh News
जंगलों में पैदल चलकर अपने-अपने घरों पर पहुंचना अगली बार फिर जंग-ए-आजादी में जोश और जुनून से कूद पडऩा...यह याद करके अतरौली के स्वतंत्रता सेनानी आफताब आलम भावुक हो जाते हैैं।
By Sandeep SaxenaEdited By: Updated: Thu, 15 Aug 2019 06:01 PM (IST)
अलीगढ़ (जेएनएन)। आजादी की लड़ाई में अंग्रेजों की लाठियां शरीर पर बरसना, पूरी-पूरी रात भूखे-प्यासे रहना, जंगलों में पैदल चलकर अपने-अपने घरों पर पहुंचना, अगली बार फिर जंग-ए-आजादी में जोश और जुनून से कूद पडऩा...यह याद करके अतरौली के स्वतंत्रता सेनानी आफताब आलम भावुक हो जाते हैैं।
जिंदगी जंगलों में झाडिय़ों के बीच गुजार दी
स्वतंत्रता संग्राम को याद करते हुए अतरौली नगर के मोहल्ला चौधरियान निवासी स्वतंत्रता सेनानी आफताब अहमद खां ने बताया कि देश के आजाद होने से पहले आधे से अधिक जिंदगी जंगलों में झाडिय़ों के बीच गुजार दी थी। दिल्ली में एक आंदोलन के दौरान फिरंगियों के ऊपर पथराव करते हुए उन्हें दौड़ा दिया था। इस दौरान हमारे भी काफी चोट आईं। कई साथी गंभीर से घायल हो गए।पुराना जज्बा आज भी दिल में
आज उम्र भले 98 वर्ष से अधिक हो गई हो, मगर देश के लिए वह पुराना जज्बा आज भी दिल में जवान है। वह बताते हैं कि देश को आजादी दिलाने के लिए उनके तमाम साथियों ने अपनी जान देश के लिए कुर्बान कर दी थी। आफताब अहमद खां बताते हैैं कि जहां भी फिरंगी दिखते वंदे मातरम के नारे लगाते हुए उनके ऊपर पथराव कर देते थे। फिरंगी भी बंदूकों से उनके ऊपर फायर कर देते थे मगर देशभक्ति का जज्बा ऐसा कि हम भी पीछे नहीं हटते थे। पथराव कर अंग्रेजों को हम लोग ही पीछे हटने पर मजबूर कर देते थे।
स्वतंत्रता संग्राम को याद करते हुए अतरौली नगर के मोहल्ला चौधरियान निवासी स्वतंत्रता सेनानी आफताब अहमद खां ने बताया कि देश के आजाद होने से पहले आधे से अधिक जिंदगी जंगलों में झाडिय़ों के बीच गुजार दी थी। दिल्ली में एक आंदोलन के दौरान फिरंगियों के ऊपर पथराव करते हुए उन्हें दौड़ा दिया था। इस दौरान हमारे भी काफी चोट आईं। कई साथी गंभीर से घायल हो गए।पुराना जज्बा आज भी दिल में
आज उम्र भले 98 वर्ष से अधिक हो गई हो, मगर देश के लिए वह पुराना जज्बा आज भी दिल में जवान है। वह बताते हैं कि देश को आजादी दिलाने के लिए उनके तमाम साथियों ने अपनी जान देश के लिए कुर्बान कर दी थी। आफताब अहमद खां बताते हैैं कि जहां भी फिरंगी दिखते वंदे मातरम के नारे लगाते हुए उनके ऊपर पथराव कर देते थे। फिरंगी भी बंदूकों से उनके ऊपर फायर कर देते थे मगर देशभक्ति का जज्बा ऐसा कि हम भी पीछे नहीं हटते थे। पथराव कर अंग्रेजों को हम लोग ही पीछे हटने पर मजबूर कर देते थे।
एक माह तीन दिन की काटी जेल
आफताब ने बताया कि सन 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था और जेल में डाल दिया गया था। उन्होंने उस दौरान एक माह तीन दिन की जेल काटी थी। अब तो एक ही तमन्ना है कि मेरा भारत देश फिर सोने की चिडिय़ा बनकर सामने आए। राष्ट्रपिता ने थपथपाई थी पीठ
महात्मा गांधी जी ने एक बार उनकी पीठ भी थपथपाई थी और कहा कि बेटा तू कुछ बड़ा करेगा। भारत छोड़ो आंदोलन के बाद आफताब महात्मा गांधी से मिलने गए। उन्होंने तारीफ की तो जोश और भी बढ़ गया था।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।आफताब ने बताया कि सन 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था और जेल में डाल दिया गया था। उन्होंने उस दौरान एक माह तीन दिन की जेल काटी थी। अब तो एक ही तमन्ना है कि मेरा भारत देश फिर सोने की चिडिय़ा बनकर सामने आए। राष्ट्रपिता ने थपथपाई थी पीठ
महात्मा गांधी जी ने एक बार उनकी पीठ भी थपथपाई थी और कहा कि बेटा तू कुछ बड़ा करेगा। भारत छोड़ो आंदोलन के बाद आफताब महात्मा गांधी से मिलने गए। उन्होंने तारीफ की तो जोश और भी बढ़ गया था।