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नए कानून से यूपी में पहली सजा, दुष्कर्मी को 20 वर्ष कारावास; पढ़िए 23 दिन तक अदालत में किस तरह हुई गवाही

नए कानून के तहत राज्य में पहली सजा सुनाई गई है । अतरौली में मानसिक रूप से परेशान 11 साल की किशोरी से दुष्कर्म के मामले में आरोपी को महज 29 दिनों में 20 साल कारावास की सजा सुनाई गई है। मिशन शक्ति अभियान के तहत यह निर्णय पाक्सो की विशेष अदालत के न्यायाधीश सुरेंद्र मोहन ने सुनाया है ।

By Sumit Kumar Sharma Edited By: Aysha Sheikh Updated: Sat, 19 Oct 2024 08:47 PM (IST)
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नए कानून से यूपी में पहली सजा - प्रतीकात्मक तस्वीर.

जागरण संवाददाता, अलीगढ़। एक जुलाई से लागू किए गए नए कानून के मुकदमे में जिले में प्रदेश की पहली सजा सुनाई गई है। अतरौली में मानसिक रूप से परेशान किशोरी से दुष्कर्म के मामले में आरोप तय होने के बाद महज 23 दिन में दोषी को 20 वर्ष कारावास की सजा से दंडित किया गया है। मिशन शक्ति अभियान के तहत यह निर्णय पाक्सो की विशेष अदालत के न्यायाधीश सुरेंद्र मोहन ने सुनाया। दोषी पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है, जिसमें से 40 हजार रुपये पीड़िता को क्षतिपूर्ति के रूप में देने के आदेश दिए हैं।

विशेष लोक अभियोजक महेश सिंह ने बताया कि 19 जुलाई को दोपहर एक बजे अतरौली क्षेत्र के एक गांव की 11 वर्षीय किशोरी घर के बाहर चारपाई पर बैठी थी। तभी क्षेत्र का ही भरत भूषण उर्फ सोनू उसके पास आया। 10 रुपये का लालच देकर उससे अश्लील बातें करने लगा। थोड़ी देर बाद अश्लील हरकतें शुरू कर दी और किशोरी से दुष्कर्म किया। उसी दौरान गांव का एक युवक अपनी सेल्फी ले रहा था। उसकी नजर पड़ी तो उसने फोन में घटना का वीडियो बना लिया।

उसने वीडियो पुलिस को सौंपा। किशोरी के पिता की तहरीर पर पुलिस ने नए कानून की धारा 65 (2) में भरत के विरुद्ध मुकदमा पंजीकृत किया और उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। कुछ दिन बाद ही उसके विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल कर दिया गया। 21 सितंबर को भरत पर आरोप तय किए गए। सात गवाह परीक्षित कराए गए। इसमें पीड़िता की गवाही व वीडियो बनाने वाले चश्मदीद युवक के बयान महत्वपूर्ण साबित हुए। साक्ष्यों व गवाहों के आधार पर अदालत ने शनिवार को भरत को दोषी करार देते हुए निर्णय सुनाया।

इस तरह हुईं गवाही

  • 21 सितंबर, आरोप तय किए गए।
  • 23 सितंबर, वादी व पीड़िता की गवाही कराई गई।
  • 24 सितंबर, किशोरी की मां की गवाही।
  • 25 सितंबर, मुकदमे लिखने वाली सिपाही की गवाही।
  • 30 सितंबर, चश्मदीद साक्ष्य, जिसने वीडियो बनाया।
  • 1 अक्टूबर, मेडिकल करने वाली डाक्टर।
  • 3 अक्टूबर, विवेचक व अतरौली थाने के पूर्व एसओ रितेश कुमार।
  • 5 अक्टूबर, 351 बीएनएसएस (पूर्व में 313) के तहत मुल्जिम के बयान।
  • 10 अक्टूबर, सफाई साक्ष्य हुए।
  • 14 अक्टूबर, बहस की प्रक्रिया पूरी हुई।

देश में दूसरी सजा का दावा

अभियोजन व पुलिस का दावा है कि नए कानून में यह देश की दूसरी सजा है। इससे पहले बिहार के सारण जिले में सुनाई जा चुकी है।

मिशन शक्ति अभियान के तहत डीजीसी के नेतृत्व में मामले में प्रभावी तरीके से पैरवी कराई गई। अदालत ने आरोप तय होने के बाद महज 29 दिन में सजा सुनाई है। यह नए कानून में प्रदेश की पहली सजा सजा है। - महेश सिंह, विशेष लोक अभियोजक

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